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कैंसर के दौरान खत्म हो रही थी युवराज की एनर्जी, बढ़ रहा था गंजापन; ऐसे दिखने लगे थे युवी
नई दिल्ली. टीम इंडिया के पूर्व ऑलराउंडर युवराज सिंह कैंसर होने के बाद लगातार नई परेशानियों का सामना कर रहे थे। भारतीय टीम को वर्ल्डकप विजेता बनाने के बाद इस चैंपियन खिलाड़ी को जश्न मनाने का मौका भी नहीं मिला था। युवी को कैंसर की शिकायत होने के बाद उनका जीवन पूरी तरह से बदल गया था। वो जल्द से जल्द ठीक होकर मैदान में वापसी करना चाहते थे, पर कैंसर इतनी आसानी से खत्म होने वाली बीमारी नहीं थी। इलाज के दौरान उनकी एनर्जी लगातार खत्म हो रही थी। गंजापन भी बढ़ता जा रहा था। उदासी और अकेलापन उन्हें घेर रहा था, पर उन्होंने न सिर्फ इन चीजों पर जीत हासिल की बल्कि, कैंसर के खिलाफ जंग में बाकी लोगों का सहारा भी बने। अपनी किताब 'द टेस्ट ऑफ माइ लाइफ' में भी उन्होंने इस बात का जिक्र किया है।
| Published : Feb 04 2020, 11:39 AM IST
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कैंसर पर अपनी किताब के लांच पर युवी ने कहा था "मैं चंडीगढ़ में पैदा हुआ, मैं क्रिकेटर बना, दुनिया भर में एक क्रिकेटर के रूप में अपनी टीम के साथ कप के लिए लालायित रहा। अब अंग्रेजी का एक नया सी शब्द फिर से मेरी जिन्दगी में जुड़ गया है, जिसका नाम कैंसर है। यह किताब उसी कैंसर के बारे में है।"
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अपनी किताब में भी युवराज ने कैंसर से संघर्ष के बारे में बताया है। उनकी किताब लांस आर्मस्ट्रांग की किताब "इट्स नॉट द बाइक" की तरह ही है।
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कीमोथैरिपी के दौरान उनकी एनर्जी लगातार खत्म हो रही थी। गंजापन भी बढ़ता जा रहा था। उदासी और अकेलापन भी घेर रहा था, पर उन्होंने इन सब चीजों पर जीत हासिल की।
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युवराज को कैंसर का पता चलने के बाद उनके माता-पिता बहुत परेशान थे। हालांकि अपनी इच्छाशक्ति के दम पर इस खिलाड़ी ने हर मुश्किल पर विजय पाई।
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युवराज ने उदासी और अकेलेपन पर विजय पाने के लिए अस्पताल में भी बहुत सारे दोस्त बनाए। उनकी इस आदत ने बीमारी को हराने में अहम योगदान दिया।
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बीमारी का सामना करने के दौरान युवराज बहुत ही सकारात्मक तरीके से बात कर रहे थे। उनसे मिलने वाले हर इंसान को भरोसा था कि वो जल्द ही ठीक हो जाएंगे।
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युवराज को मीडियास्टिनल सेमिनोमा नाम का दुर्लभ कैंसर हुआ था। एक एथलीट को यह बीमारी होना चौकाने वाली बात थी।
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कैंसर के इलाज के दौरान युवराज टेबल टेनिस भी खेलते थे। इस दौरान उन्होंने कई बार अपने डॉक्टर के दोस्त पारुल चड्ढा को हराया था।
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उनके डॉक्टर का भी कहना था कि दोस्ताना स्वभाव के कारण उन्हें कैंसर से जीतने में बहुत मदद मिली।
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कैंसर से जूझते हुए युवराज को कई बार मुश्किल हालातों का सामना करना पड़ा, पर उन्होंने कभी भी अपनी तकलीफ जाहिर नहीं होने दी।