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हर कोरोना मरीज पर नगर निगमों वालों को डेढ़ लाख दे रही केंद्र सरकार? जानें वायरल मैसेज का सच
फैक्ट चेक. सोशल मीडिया पर एक पोस्ट वायरल हो रही है। इस पोस्ट में दावा किया जा रहा है कि हर एक कोरोना संक्रमित मरीज के लिए केंद्र सरकार महानगरपालिका और नगर पालिकाओं को 1.5 लाख रुपये दे रही है। वायरल मैसेज के मुताबिक, इस वजह से सर्दी-जुकाम के मरीज को भी कोरोना पॉजिटिव बताकर जबर्दस्ती एडमिट करा दिया जा रहा है। वायरल मैसेज में अपील की जा रही है कि लैब में या डॉक्टर के पास टेस्टिंग कराना बंद कर दीजिए। फैक्ट चेक में आइए जानते हैं कि आखिर सच क्या है?
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कोरोना वायरस को लेकर भारत में फेक न्यूज ने अभी तक बवाल मचाया हुआ है। देश में कोरोना के मामले 50 लाख पार हो गए हैं वहीं 82 हजार लोगों की मौत हो चुकी हैं।
वायरल पोस्ट क्या है?
सोशल मीडिया के अलग-अलग प्लेटफॉर्म्स (फेसबुक,ट्विटर, वॉट्सऐप) पर ये मैसेज वायरल हो रहा है। Poonam Mishra नाम की एक फेसबुक यूजर ने भी इस वायरल मैसेज को शेयर किया है। इस वायरल मैसेज में लिखा है, ‘सभी नागरिक कृपया ध्यान दें, केन्द्र सरकार ने हर एक कोरोना पोजिटिव बीमार के लिए डेढ़ लाख रुपया खर्च के तोर पर महानगर पालिका और नगरपालिका को फंडिंग किया है इसलिए महानगर पालिका और नगरपालिका, प्राइवेट डॉक्टर, टेस्टिंग लेब सभी मिलकर पोजिटिव केस ज्यादा से ज्यादा कैसे उपलब्ध हो इसलिए सर्दी, जुकाम, बुखार आदि होने पर उन्हें पोजिटिव बताकर जबरदस्ती एडमिट कर देते हैं और जैसे ही उन्हें डेढ़ लाख का एप्रुवल मील जाता है वे दर्दी को ठीक हो गया कहकर घर वापस भेज देते है *इनका गोरखधंदा बंद करने का एक ही उपाय है डोक्टर्स के पास या टेस्टिंग लेब में जाना बंद कीजिये अगर सर्दी, जुकाम या बुखार हो तो घर पर ही घरेलू उपचार करें।’
इस मैसेज में और भी तमाम बातें लिखीं हैं। यहां इन्हें ज्यों का त्यों पेश किया गया है। हालांकि अब ये डिलीट कर दिया गया। (Demo Pic)
फैक्ट चेक
सबसे पहले हमने जरूरी कीवर्ड्स (कोरोना मरीज, 1,5 लाख रुपये, नगरपालिका आदि…) से इस खबर को इंटरनेट पर सर्च किया। हमें ऐसी कोई प्रामाणिक रिपोर्ट नहीं मिली, जिसमें इस वायरल मैसेज के दावे की पुष्टि होती हो कि सरकार हर कोरोना मरीज के लिए नगरपालिकाओं को 1.5 लाख रुपये दे रही है। इसके उलट हमें ऐसी रिपोर्ट जरूर मिलीं, जिनमें इस तरह के वायरल मैसेज को गलत बताया गया है। फाइनेंशियल टाइम्स की ऐसी ही एक रिपोर्ट मौजूद है।
इस वायरल मैसेज में नगरपालिकाओं को भी हर कोरोना पेशेंट पर 1.5 लाख रुपये देने का दावा किया गया है। इस दावे के संबंध में हमने कानपुर म्युनिसिपल कॉरपोरेशन के डिप्टी म्युनिसिपिल कमिश्नर स्वर्ण सिंह से बात की। उन्होंने वायरल मैसेज को सिरे से खारिज करते हुए बताया कि कोरोना मरीजों पर नगर निगमों को केंद्र सरकार से डेढ़ लाख रुपये नहीं दिए जा रहे हैं।
इस संबंध में पीआईबी ने भी फैक्ट चेक अलर्ट जारी करके सूचना दी। वहीं राम सागर मिश्र कम्बाइंड कोविड एल-1 अस्पताल में कंसल्टेंट डॉक्टर सुमित कुमार ने बताया कि सरकारी अस्पतालों में कोरोना संक्रमितों से एक भी पैसे नहीं लिए जा रहे हैं और न ही सरकार की तरफ से प्रति मरीज कोई राशि मिल रही है।
डॉक्टर सुमित ने कहा, ‘वायरल मैसेज की यह अपील काफी खतरनाक है कि लोग टेस्ट कराने न जाएं। अगर कोई कोरोना संक्रमित अपनी समस्या को सामान्य फ्लू समझकर टेस्ट कराने नहीं जाता तो वो केवल खुद को ही नहीं, बल्कि अपने परिवार, पड़ोस, समाज सभी को खतरे में डाल रहा है। हमारे यहां कोरोना संक्रमितों की रिकवरी का रेट काफी शानदार है। ऐसे में डरने या मर्ज को छिपाने की जरूरत नहीं है। लोगों को ऐसी अफवाहों पर ध्यान नहीं देना चाहिए।’
(demo Pic)
ये निकला नतीजा
केंद्र सरकार प्रति कोरोना मरीजों के हिसाब से नगर पालिकाओं को 1.5 लाख रुपये नहीं दे रही। वायरल मैसेज का दावा फर्जी है। एक्सपर्ट्स डॉक्टरों का कहना है कि अगर आपको कोरोना संक्रमण की आशंका है तो तुरंत इसकी जांच करानी चाहिए वरना ये जानलेवा भी हो सकता है।