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'लॉकडाउन में पुलिस ने गूंगे-बहरे शख्स पर किया लाठीचार्ज'...दिल दहलाने वाले इस VIDEO का सच कुछ और है

नई दिल्ली. हाल में महाराष्ट्र के पालघर में मॉब लिचिंग की एक घटना हुई है। 20 अप्रेल सोमवार के दिन शाम को एक साधू को भीड़ ने लाठियों से पीटकर मार डाला। इस घटना का वीडियो भी वायरल हो रहा है। पूरे देश में कोरोना वायरस के चलते लॉकडाउन घोषित है। ऐसे में लोग घरों में कैद है। सोशल मीडिया पर कई तरह के वीडियो वायरल हो रहे हैं। बीते कुछ दिनों से सोशल मीडिया पर एक विचलित करने वाला वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें कई पुलिसकर्मी एक व्यक्ति पर लाठीचार्ज करते दिख रहे हैं। इस वीडियो में सांप्रदायिक एंगल जोड़कर लोग शेयर कर रहे हैं फैक्ट चेकिंग में आइए जानते हैं कि आखिर सच क्या है? 

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Asianet News Hindi
Published : Apr 20 2020, 07:33 PM IST| Updated : Apr 20 2020, 08:01 PM IST
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वीडियो में देखा जा सकता है कि वह व्यक्ति पुलिसकर्मियों से बचकर भागने का प्रयास कर रहा है लेकिन वे उसे पकड़कर पीट रहे है। सोशल मीडिया पर ये वीडियो काफी वायरल है। लोग पुलिस की बर्बरता पर सवाल उठा रहे हैं। 

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वायरल पोस्ट क्या है? 

 

वीडियो के साथ गुजराती में कैप्शन में लिखा गया है, “बहरामपुरा के परीक्षितलाल नगर का रहने वाला मस्तान मकसूद, जिसे पुलिस ने बर्बरतापूर्वक लाठियों से पीटा, हमें ऐसा नहीं होने देना चाहिए, ये बेगुनाह मकसूद को निर्दयता से मारने का कृत्य है। सरकार को पुलिस के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए। मकसूद को कैसे पता होगा कि देश के क्या हालात हैं? गरीब को कैसे पता चलेगा कि कोरोना क्या है?”

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क्या दावा किया जा रहा है? 

 

वायरल वीडियो के साथ दावा किया जा रहा है कि, मार खाने वाला शख्स गूंगा और बहरा है। कैप्शन के मुताबिक यह घटना अहमदाबाद के बहरामपुरा इलाके की है जहां कोरोना वायरस के कई पॉजिटिव मामले सामने आने के बाद 21 अप्रैल तक पूरी तरह से कर्फ्यू लगा दिया गया है। ये व्हाट्सएप पर काफी से शेयर किया जा रहा है।

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सच क्या है? 

 

वीडियो वायरल होने के बाद हमने कुछ कीवर्ड के साथ वीडियो को गूगल पर सर्च किया जिससे पता चला कि यही वीडियो घटना के साथ ‘मुम्बई मिरर’ ने 3अप्रैल को शेयर किया है। यह वीडियो दिखाता है कि मुम्बई के वसाई कोलीवाड़ा की गलियों में पुलिस लोगों को दौड़ा दौड़ा कर मार रही है। यानी यह वीडियो बहरामपुरा में लगे कर्फ्यू का नहीं है। रिपोर्ट के मुताबिक, “वसाई पुलिस ने कोरोना वायरस के संदिग्ध संक्रमित की जांच के लिए आये सरकारी अधिकारियों और पुलिस की टीम पर हमला करने के आरोप में 9 लोगों पर मामला दर्ज किया है।”

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पुलिस ने बताया पूरा मामला- 

 

पुलिस ने पूरा मामला विस्तार से बताया। वसाई कोलीवाड़ा में अज़हर खान के घर 2 अप्रैल को लॉकडाउन के बावजूद महाराष्ट्र के मुम्ब्रा से कुछ मेहमान आए थे। वसाई पुलिस को शक हुआ कि 8-9 लोगों का यह समूह कोरोना वायरस से संक्रमित हो सकता है क्योंकि पुलिस को मिली सूचना के मुताबिक इन लोगों ने दिल्ली के तबलीगी जमात के कार्यक्रम में हिस्सा लिया था। पुलिस कोई जोखिम नहीं लेना चाहती थी। स्थानीय पुलिस की एक टीम और कुछ प्रशासनिक अधिकारी उन मेहमानों की जांच करने अज़हर खान के घर गए, जांच के दौरान उनमें से किसी में भी वायरस के लक्षण नहीं पाए गए। जब पुलिस बाकी अधिकारियों की टीम के साथ वापस लौट रही थी तो अज़हर खान और उनके मेहमानों ने पटाखे जलाने शुरू कर दिए। पुलिसकर्मी उनके पास वापस गए और इस तरह की हरकतें न करने को कहा जो सोशल डिस्टेंसिंग को खराब कर रही हों। 

 

एसपी गौरव सिंह ने मुम्बई मिरर को जो बयान दिया उसके मुताबिक खान और उनके मेहमानों ने पुलिसकर्मियों को धक्का देकर उस जगह से निकल जाने को कहा। थोड़ी देर बाद इन लोगों का समूह हिंसक हो उठा। पुलिस ने लोगों को तितर- बितर करने के लिए लाठीचार्ज किया, जिसका वीडियो स्थानीय लोगों ने बना लिया।

 

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ये निकला नतीजा- 

 

घटना का वीडियो पुलिस की बर्बता दिखाने और पुलिस पर सवाल उठाने के लिए शेयर किया जा रहा है। हालांकि असलियत में स्थानीय लोग खुद हिंसा करने के लिए जिम्मेदार थे। मुम्बई के वसाई कोलीवाड़ा का वीडियो अहमदाबाद के बहरामपुरा का बताकर शेयर किया गया और कहा गया कि पुलिस ने एक गूंगे-बहरे शख्स पर लाठीचार्ज किया। ये दोनों ही दावे पूरी तरह फर्जी निकले हैं। अहमदाबाद के बहरामपुरा में कर्फ्यू लगा हुआ है और ऐसी कोई घटना नहीं हुई है। 

 

(Demo Pic) 

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तबलीगी जमात के मामले के बाद सैकड़ों कई फेक वीडियो के साथ कुछ खास समुदाय को द्वारा कोरोना को फैलाने का आरोप लगाया गया था। ये सभी वीडियो और खबरें फर्जी निकलीं। पुलिस ने फेक न्यूज को लेकर सख्ती बरती है। कई लोग गिरफ्तार भी हुए हैं।

 

कुछ लोग समाज की फेक खबर को फैलाकर यहां के माहौल को खराब करना चाहते हैं। इनसे बचें। आए दिन सोशल मीडिया पर ऐसी कई फेक खबर वायरल हो जाती है, जो समाज में तनाव की स्थिति पैदा कर देती है। कोरोना और लॉकडाउन के समय में फर्जी खबरों से हालात और ज्यादा बदत्तर हो गए हैं। 

 

 

(Demo Pic)

 

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