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Fact Check. कोरोना आपदा में गरीबों को बांटी गईं 'मोदी रोटी', जानिए कब और कहां हुआ ये भंडारा?
| Published : Apr 05 2020, 02:17 PM IST / Updated: Apr 07 2020, 01:18 PM IST
Fact Check. कोरोना आपदा में गरीबों को बांटी गईं 'मोदी रोटी', जानिए कब और कहां हुआ ये भंडारा?
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देश में चल रहे लॉकडाउन के बीच सोशल मीडिया पर दो तस्वीरें खूब वायरल हो रही हैं। तस्वीरों के जरिए दावा किया जा रहा है किस्वीरों में कुछ रोटियों पर 'अबकी बार मोदी सरकार' का ठप्पा लगा हुआ देखा जा सकता है। हजारों वायरल पोस्ट में लोग कह रहे हैं कि कोरोना आपदा में लॉकडाउन के मद्देनजर मोटी रोट बंट रही है।
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वायरल पोस्ट क्या है? वायरल पोस्ट में दिए गए कैप्शन में लिखा है- "भाजपा वाले गरीबों की रोटी पर भी अपने चुनावी प्रचार का ठप्पा लगा रहे हैं। यह ठप्पा मजदूरों की रोटी पर ही नहीं बल्कि मुल्क के गरीबों एवं मजदूरों के गाल पर तमांचा भी है। बहुत ही शर्मनाक कृत्य"
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क्या दावा किया जा रहा ? ये तस्वीरें लॉकडाउन के बीच मोदी नाम के प्रचार के कारण छाई हुई हैं। लोगों का कहना है कि जरूरतमंदों को खाना भिजवाने के साथ सरकार अपना प्रचार भी कर रही है, हर रोटी पर अबकी बार मोदी सरकार वाला नारा छपा हुआ है, खाने की पैकिंग पर भी भाजपा और मोदी प्रचार की छपाई करवाई गई है। ऐसी सैकड़ों तस्वीरें वायरल हो रही हैं। अभी तक सोशल मीडिया पर हजारों लोग इन तस्वीरों को शेयर कर चुके हैं।
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दावे की सच्चाई क्या है? फोटो वायरल होने के बाद हमने इनकी जांच-पड़ताल की तो पाया कि तस्वीर के साथ किया जा रहा दावा भ्रामक है। वायरल तस्वीरें लगभग छह साल पुरानी हैं और इनका गरीबों में बांटे जाने वाले खाने से कोई लेना देना नहीं। तस्वीरों को रिवर्स सर्च करने पर हमें 2014 के कुछ न्यूज आर्टिकल मिले, जिनमें इन तस्वीरों का इस्तेमाल किया गया था। ये तस्वीरें मई 2014 में बनारस में ली गई थीं।
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उस समय लोकसभा चुनाव के दौरान बनारस के एक होटल में 'अबकी बार मोदी सरकार' का ठप्पा लगा कर रोटियां बेंची जा रही थीं। इन्हीं रोटियों को लेकर एनडीटीवी ने भी एक खबर की थी। होटल के कर्मचारी के अनुसार, प्रशासन ने उन्हें ऐसी रोटियां बनाने पर हड़काया था जिसके बाद ऐसी रोटियां बननी बंद हो गई थीं।
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ये निकला नतीजा सोशल मीडिया का दावा कि लॉकडाउन के गरीबो को मोदी नाम की रोटियां खिलाकर प्रचार किया जा रहा है झूठा साबित होता है। ऐसी कोई खबर भी मीडिया में नहीं आई है। वायरल तस्वीरें 6 साल पुरानी हैं जो अब भ्रामक दावे के साथ शेयर की जा रही हैं।