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Fact Check: हाई कोर्ट ने प्राइवेट स्कूलों के फीस लेने पर लगाई रोक? जानें वायरल दावे का सच
फैक्ट चेक डेस्क. high court stop private schools from taking fees: सोशल मीडिया के अलग-अलग प्लेटफॉर्म्स पर एक पोस्ट वायरल हो रही है। इस वायरल पोस्ट में किसी आदेश की एक प्रति शेयर करते हुए दावा किया जा रहा है कि हाई कोर्ट ने स्कूल नहीं खुलने तक प्राइवेट स्कूलों को फीस नहीं लेने का आदेश दिया है। हरियाणा शिक्षा निदेशालय का पुराना पत्र गलत दावे के साथ वायरल किया जा रहा है। फैक्ट चेक में आइए जानते हैं कि आखिर सच क्या है?
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कोरोना और लॉकडाउन के बीच स्कूल फीस रोकने की खबरें वायरल की जा रही हैं।
वायरल पोस्ट क्या है?
सोशल मीडिया पर वायरल हो रही इस पोस्ट में एक कैप्शन और दो तस्वीरें हैं। एक नजर में ये तस्वीरें किसी सरकारी पत्र जैसी लग रही हैं। Rajnish Singh नाम के एक फेसबुक यूजर ने इसी वायरल दावे को अपनी वॉल पर शेयर किया है। इस पोस्ट में लिखा है, ‘ब्रेकिंग। हाई कोर्ट ने प्राइवेट स्कूलों को दिया बड़ा झटका। जब तक स्कूल खुलते नही तब तक कोई फ़ीस नही ले सकता है।* पहली जीत मुबारक।’ इस पोस्ट कैप्शन को यहां ज्यों का त्यों पेश किया गया है।
ये दावा फेसबुक के अलावा ट्विटर पर भी वायरल है। एक ऐसी ही ट्वीट वायरल हो रही हैं।
फैक्ट चेक
सबसे पहले इस पोस्ट के साथ शेयर की जा रही तस्वीर को InVID मैग्निफायर टूल के इस्तेमाल से जूम करके देखा। पता चला कि ये हरियाणा विद्यालय शिक्षा निदेशालय की 23 अप्रैल 2020 को लिखी एक चिट्ठी है। इस चिट्ठी को राज्य के सभी जिला शिक्षा अधिकारी और जिला मौलिक शिक्षा अधिकारियों को लिखा गया है। हमें हरियाणा विद्यालय शिक्षा निदेशालय की साइट पर ये आधिकारिक चिट्ठी भी मिल गई।
ये चिट्ठी प्राइवेट स्कूलों के फीस से संबंधित थी। इसमें साफ लिखा है कि निजी स्कूल ट्यूशन फीस ले सकते हैं, लेकिन कोविड-19 को देखते हुए इसमें कोई बढ़ोत्तरी नहीं करेंगे। ऐसे में साफ है कि ये एक पुरानी चिट्ठी है, जिसका हाई कोर्ट के किसी आदेश से कोई लेना-देना नहीं है।
हरियाणा विद्यालय शिक्षा निदेशालय की मूल चिट्ठी पर पहुंचने के बाद हमने अपनी पड़ताल को आगे बढ़ाया। जरूरी कीवर्ड्स (हाई कोर्ट, स्कूल फीस, हरियाणा आदि) से हमने गूगल सर्च किया। हमारे सामने कई प्रामाणिक वेबसाइटों के लिंक सामने आए। यहां वायरल दावे के उलट ऐसी रिपोर्ट्स मिलीं, जिनमें हाई कोर्ट ने निजी स्कूलों को फीस लेने की मंजूरी दी थी। ऐसी ही दैनिक जागरण की एक रिपोर्ट यहां क्लिक कर देखी जा सकती है।
उन्होंने कहा, ‘निजी स्कूलों की फीस के संबंध में जारी हुआ ये पत्र काफी पुराना है। इसके बाद कई पत्र जारी हो चुके हैं।’ हालांकि, उन्होंने ये भी कहा कि कोरोना काल में अभिभावकों का रोजगार भी छिन गया है। ऐसे में स्कूल भी अभिभावकों की परेशानी को समझते हुए फीस देने के लिए उनको समय दें।
ये निकला नतीजा
हरियाणा-पंजाब हाई कोर्ट ने निजी स्कूलों को फीस लेने से रोकने का कोई आदेश नहीं दिया है। हरियाणा विद्यालय शिक्षा निदेशालय की पुरानी चिट्ठी को हाई कोर्ट का आदेश बता शेयर किया जा रहा है।