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सोशल मीडिया पर खेल हो गया 'जी': इस बहाने कर रहे थे CM केजरीवाल की तारीफ, झूठा निकला दावा
| Published : Nov 27 2019, 04:08 PM IST / Updated: Nov 27 2019, 04:38 PM IST
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वीडियो में आखिर क्या है- वीडियो में स्कूल के बच्चों को एक मशीन के सामने अपने आई-कार्ड के ज़रिये हाज़री लगाते दिखाया जा रहा है। बच्चे एक के बाद एक लाइन में आकर आई-कार्ड मशीन के सामने लगाकार एटेंडेंस लगवाते हैं। इसके बाद मशीन से मैसेज उनके घर चला जाता है। इससे पैरेंट निश्चिंत हो जाते हैं कि उनका बच्चा आज स्कूल गया है।
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क्यों वायरल हुआ वीडियो- अब आपको बताते हैं कि आखिर ये वीडियो क्यों वायरल हो रहा है। दरअसल वीडियो को सोशल मीडिया पर दिल्ली के स्कूल का बताकर शेयर किया जा रहा है। फेसबुक पर यार जिगरी पेज पर लिखा- “देखो केजरीवाल ने दिल्ली के स्कूलों को क्या बना दिया, जिसे सारा संसार देखने आ रहा है, बच्चों के स्कूल में हाजिरी लगते ही मैसेज घर पहुंच जाता है।” इस पोस्ट को 12 लाख बार देखा और 29,785 बार शेयर किया गया है। फेसबुक पर अधिकतर लोग इस मैसेज को कॉपी पेस्ट कर वीडियो शेयर कर रहे हैं।
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फैक्ट चेक में फर्जी निकला वीडियो- हमले वीडियो को गूगल पर सर्च करके देखा तो चौंकाने वाली जानकारी सामने आई। यह वीडियो दिल्ली तो क्या भारत का ही नहीं है। वीडियो की पड़ताल करने के लिए इसे कई की-फ्रेम्स में तोड़ा। की-फ्रेम को रिवर्स सर्च करने पर हमें 31 जुलाई 2019 को स्कूल के पेज पर भी ये वीडियो शेयर किया गया था। दूसरे पाक फेसबुक ग्रुप में पोस्ट किया गया। वीडियो को रावलपिंडी के लेडियन्स स्कूल का निकला।
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जांच करने पर हमने पाया कि बिलाल कयानी नामक एक उपयोगकर्ता ने इस वीडियो को 31 जुलाई को पोस्ट किया था, जिसमें उन्होंने ‘लेडियन्स स्कूल सिस्टम’ को टैग किया था। फेसबुक पर दिए गए बिलाल के परिचय के अनुसार, वे लेडियन्स स्कूल के निर्देशक हैं। उसी दिन इस वीडियो को लेडियन्स स्चूल के फेसबुक पेज पर भी पोस्ट किया गया है। स्कूल के फेसबुक पेज को आगे खंगालने पर हमें 22 मई, 2019 को पोस्ट किया गया ऑनलाइन अटेंडेंस सिस्टम का एक अन्य वीडियो मिला, जिसे एक अलग एंगल से रिकॉर्ड किया गया था। इस वीडियो में भी समान मशीन को देखा जा सकता है, जिसमें बच्चे आई-कार्ड के ज़रिए अपनी अटेंडेंस लगा रहे हैं।
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अंत में, हमने अपनी जांच में पाया कि सोशल मीडिया में प्रसारित ऑनलाइन अटेंडेंस सिस्टम का ये वीडियो दिल्ली के किसी स्कूल का नहीं है। यह सीएम केजरीवाल को क्रेडिट देकर प्रमोशन के तौर पर इस्तेमाल की गई भ्रामक जानकारी भर है। हालांकि यह कहना झूठ नहीं है कि दिल्ली के सरकारी स्कूलों की हालत दूसरे राज्यों के मुकाबलों काफी बेहतर है।