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'रिक्शेवाले का बेटा बना IAS अफसर...मां-बाप को बिठा शहर में घुमाया' झकझोर देगी फोटो की असली कहानी
| Published : Apr 12 2020, 12:04 PM IST / Updated: Apr 12 2020, 12:51 PM IST
'रिक्शेवाले का बेटा बना IAS अफसर...मां-बाप को बिठा शहर में घुमाया' झकझोर देगी फोटो की असली कहानी
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सोशल मीडिया इस एक फोटो ने बवाल मचा दिया था। इसमें बताया जा रहा है कि एक इंजीनियरिंग छात्र के पिता रिक्शा चलाने वाले हैं और कॉन्वोकेशन के दिन वो अपने मां-बाप को रिक्शे पर बैठाकर खुद उसको चलाकर घर तक ले गया। टीम इंडिया के स्टार क्रिकेटर रहे वीरेंद्र सहवाग ने ये स्टोरी अपने ट्विटर पेज पर शेयर की थी।
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वायरल पोस्ट क्या है? सोशल मीडिया पर रोजाना सैकड़ों तस्वीरें और दावे वायरल होते हैं। ऐसे ही ये तस्वीर भी काफी शेयर की गई। फोटो और कहानी ने हर किसी का दिल झकझोर दिया था। ये फोटो साल 2018 में जमकर वायरल हुई थी। लोगों ने दावा किया था कि रिक्शा चालक का बेटा इकराम खान आईएएस ऑफिसर बन गया। इसके बाद उसने बाप और मां को उसी रिक्शे पर बिठा के शहर में घुमाया। फोटो सोशल मीडिया पर सनसनी बन चुकी थी।
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लोगों ने तस्वीर को धड़ाधाड़ शेयर किया और लड़के की सफलता को दूसरों के लिए मिसाल के तौर पर पेश करने लगे। साथ ही उसकी वाहवाही में सोशल मीडिया सैकड़ों पोस्ट से भर गया।
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क्या दावा किया गया? इस कहानी के सोशल मीडिया पर वायरल होते ही मशहूर क्रिकेटर वीरेंद्र सहवाग ने इस फोटो में दिख रहे लड़के की तस्वीर को अपने ट्विटर अकाउंट पर शेयर किया। उन्होंने लिखा एक लड़का रिक्शा खींच रहा है और उसकी पिछली सीट पर एक बुजुर्ग कपल बैठे हुए है। तस्वीर के साथ ही वीरू ने कैप्शन में लिखा है- ‘सुन्दर, हिसामुद्दीन खान एक इंजीनियरिंग ग्रेजुएट है और उसके पिता एक रिक्शा चालक हैं। और कन्वोकेशन के बाद वह अपने माता-पिता को रिक्शे में बैठाकर ले जा रहा है।"
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सच्चाई क्या है? वायरल फोटो के साथ हर किसी ने नई कहानी बताई। लोगों ने इसे कभी इकराम बताया तो किसी ने हिसामुद्दीन खान। लेकिन असल कहानी यह नहीं है ये तो महज एक अफवाह है जो लोगों में फैला दी गई है। चलिए अब आपको इस फोटो का सच बताते हैं। दरअसल सोशल मीडिया पर वायरल हुई ये फोटो तो सच है, लेकिन इसके साथ जुड़ी कहानी बिल्कुल अलग है। इस फोटो में जो शख्स रिक्शा चला रहा है, उसका नाम हिसामुद्दीन नहीं बल्कि वली उल्लाह है। वली भारत का नहीं बल्कि बांग्लादेश का रहने वाला है। उसकी फेसबुक प्रोफाइल के मुताबिक उसने अकाउंटेंसी एंड इनफॉरमेशन सिस्टम से ग्रैजुएशन किया था और वो भी यूनिवर्सिटी ऑफ ढाका से।
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सोशल मीडिया पर यह खबर वायरल होने के बाद खुद लड़के ने बताया था कि" मेरा नाम वलीउल्लाह है और मेरे पिता रिक्शा चालक नहीं बल्कि किसान हैं और दिन-रात खेत खलियान में काम कर के उन्होंने मुझे इस क़ाबिल बनाया है कि मैं इंजीनियर बन गया। आज मैं जो कुछ भी हूं उनकी क़ुर्बानियो का नतीजा है।"
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फोटो वायरल होने के बाद वली ने इसे फिर से फेसबुक पर शेयर किया। उन्होंने इस फोटो को शेयर करते हुए लिखा था, 'मेरी मां मेरी जिंदगी का ताज हैं, इसलिए मेरी कॉन्वोकेशन कैप उनके लिए। मेरे पिता ने जिंदगीभर मुझे तकलीफों से बचाया है इसलिए मेरा कॉन्वोकेशन गाउन उनके शरीर पर ज्यादा जंच रहा है।' अपनी वायरल हो रही फोटो के साथ गलत इनफॉर्मेशन को देखकर वली ने एक और फेसबुक पोस्ट लिखी और बताया कि उनके पिता रिक्शा चालक नहीं बल्कि किसान हैं। सोशल मीडिया पर वायरल दावे पूरी तरह बेवुनियाद और फर्जी निकले थे। पर इस तस्वीर ने सभी का दिल जीत लिया था।
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बहरहाल वायरल कहानी भले ही सही नहीं हो लेकिन सच्चाई यह है कि वलीउल्लाह नाम के इस इंजीनियर ने भी एक किसान का बेटा होने के बावजूद कई मुश्किल हालातों में इतनी बड़ी कामयाबी हासिल की। ये सम्मान की बात है। इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता की वह हिंदुस्तान का हो या बांग्लादेश का फर्क इस बात से पड़ता है कि इस कहानी को प्रेरणा बनाकर ना जाने कितने ही बच्चें अपने माता पिता के त्याग को समझेंगे और उनके सपनों को पूरा करेंगे।