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लॉकडाउन में सड़क पर लाइन से रख जला दिए गए लाखों अख़बार, क्या मीडिया के बायकाट के लिए उठी ये लपटें?

नई दिल्ली.  सोशल मीडिया पर एक तस्वीर ज़ोरों से वायरल हो रही है। तस्वीर में कतार में रखे अखबारों के एक खेप को जलाया जा रहा है। फेसबुक, ट्विटर पर ये तस्वीर जमकर शेयर की जा रही है लोगों का कहना है कि मीडिया के खुलकर बहिष्कार के लिए अखबार जलाए गए हैं। वायरल पोस्ट के द्वारा ये जताने की कोशिश की गयी है की पब्लिक अब मीडिया का खुलकर बहिष्कार कर रही है।  फैक्ट चेकिंग में आइए जानते हैं कि आखिर सच क्या है? 

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Asianet News Hindi
Published : Apr 27 2020, 02:02 PM IST| Updated : Apr 27 2020, 02:11 PM IST
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अख़बार जला रहे व्यक्ति ने लाल रंग की टोपी पहन रखी है। इसके बाद 'समाजवादी पार्टी' और 'दैनिक जागरण' कीवर्ड्स के साथ इंटरनेट सर्च किया तो हमें पूरी बात पता चली। 

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वायरल पोस्ट क्या है? 

 

फोटो के साथ कैप्शन कहता है: इतना जहर घोला है मीडिया ने हवाओ में..अब तो अखबार भी जलाए जा रहे है खुलेआम फिजाओं में। 

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क्या दावा किया जा रहा है? 

 

ये पोस्ट ऐसे समय पर वायरल हो रहा है जब की भारतीय मीडिया को उसके निष्पक्ष होने को लेकर काफ़ी सवालों का सामना कर पड़ रहा है।

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सच क्या है? 

 

दरअसल अखबार जलाए जाने की ये तस्वीर मीडिया के बहिष्कार की नहीं बल्कि समाजवादी पार्टी के सममर्थकों द्वारा दैनिक जागरण अखबार के विरोध की हैं। अखबार द्वारा छापी गई खबर एक गलती थी जिसके लिए अख़बार ने खेद भी व्यक्त किया था। दैनिक जागरण के गोरखपुर संस्करण में अप्रैल 24 को एक रिपोर्ट छपी थी जिसके मुताबिक लॉकडाउन हटने के बाद शराब सस्ते दामों पर बिकने का अंदेशा जताया गया था।

 

इसी लेख के साथ जागरण ने सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव की तस्वीर भी प्रकाशित की थी। इस तस्वीर पर पार्टी समर्थकों ने गुस्सा जाहिर किया और अखबार का बहिष्कार कर प्रतियां जलाई गईं। 

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हालांकि बाद में अखबार ने इस गलती के लिए माफीनामा प्रकाशित किया था। (अप्रैल 25, रात्रि 8 .16 मिनट) जागरण ने साफ़ किया की यादव की तस्वीर गलती से दूसरे रिपोर्ट के साथ चली गयी थी। डेस्क द्वारा हुई इस गलती पर जागरण ने खेद प्रकट किया था।

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ये निकला नतीजा

 

वायरल हो रही तस्वीरों को देश भर में मीडिया के बहिष्कार से कोई संबंध नहीं है। ऐसा सिर्फ उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के लोगों ने किया था बाकी कहीं नहीं हुआ। 
 

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तो देखा न आपने कि कैसे हमारे समाज से तेजी से फेक न्यूज वायरल हो रहा है। ऐसे में हमारी जिम्मेदारी बनती है कि लोगों तक इसके सच को पहुंचाए। ऐसे में पढ़ें-लिख वर्ग को इस बात का विशेष ध्यान रखना होगा कि बिना जांचे परखे कोई खबर, वीडियो फॉरवर्ड न करें। आपका एक गैर-जिम्मेदारना हरकत समाज की शांति को भंग कर सकती है। वहीं किसी भी खबर पर संदेह हो तो उसे किसी विश्ववसनीय जगह, संस्थान या लोगों से एक बार जरूर कंफर्म करें। आप खुद भी एक बार गूगल पर चेक कर सकते हैं।

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पुलिस ने फेक न्यूज को लेकर सख्ती बरती है। कई लोग गिरफ्तार भी हुए हैं। कुछ लोग समाज की फेक खबर को फैलाकर यहां के माहौल को खराब करना चाहते हैं। इनसे बचें। आए दिन सोशल मीडिया पर ऐसी कई फेक खबर वायरल हो जाती है, जो समाज में तनाव की स्थिति पैदा कर देती है। कोरोना और लॉकडाउन के समय में फेक खबरों से हिंसा और भगदड़ की घटनाओं से हालात और ज्यादा बदत्तर हो गए हैं। इसलिए सतर्क और सुरक्षित रहें।

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एशियानेट न्यूज़ हिंदी डेस्क भारतीय पत्रकारिता का एक विश्वसनीय नाम है, जो समय पर, सटीक और प्रभावशाली खबरें प्रदान करता है। हमारी टीम क्षेत्रीय, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय घटनाओं पर गहरी पकड़ के साथ हर विषय पर प्रामाणिक जानकारी देने के लिए समर्पित है।

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