MalayalamNewsableKannadaKannadaPrabhaTeluguTamilBanglaHindiMarathiMyNation
  • Facebook
  • Twitter
  • whatsapp
  • YT video
  • insta
  • ताज़ा खबर
  • राष्ट्रीय
  • वेब स्टोरी
  • राज्य
  • मनोरंजन
  • लाइफस्टाइल
  • बिज़नेस
  • सरकारी योजनाएं
  • खेल
  • धर्म
  • ज्योतिष
  • फोटो
  • Home
  • Fact Check News
  • 'इस्लामिक स्टडीज' पढ़कर मुस्लिम कैंडिडेट्स बन रहे हैं अफसर? पड़ताल में जानें UPSC जिहाद का पूरा सच

'इस्लामिक स्टडीज' पढ़कर मुस्लिम कैंडिडेट्स बन रहे हैं अफसर? पड़ताल में जानें UPSC जिहाद का पूरा सच

फैक्ट चेक डेस्क. UPSC Jihad fact check: केंद्रीय लोक सेवा आयोग (UPSC) ने 4 अगस्त को सिविल सर्विसेज परीक्षा 2019 के परिणाम जारी किए। इसमें 829 कैंडिडेट्स सफल हुए। सफल कैंडिडेट्स की संख्या के अलावा एक और आंकड़ा बहुत चर्चा में रहा। वह था परीक्षा में सफल होने वाले मुस्लिम कैंडिडेट्स की संख्या के बढ़ने का आंकड़ा।  पिछले साल यूपीएससी की सिविल सर्विसेज परीक्षा 28 मुस्लिम उम्मीदवारों ने पास की थी। 2019 परीक्षा के परिणामों में ये संख्या बढ़कर 42 हो गई है। इसे 40 फीसदी बढ़त बताया जा रहा है। मुस्लिम उम्मीदवारों की सफलता का आंकड़ा आने के बाद सोशल मीडिया पर एक नई बहस छिड़ गई है। इस बहस में ‘यूपीएससी जिहाद’ शब्द का खूब इस्तेमाल हो रहा है। बहस के तार जुड़े हैं ‘इस्लामिक स्टडीज’ नाम के एक विषय से। सोशल मीडिया पर दावा किया जा रहा है कि इस्लामिक स्टडीज के चलते ही यूपीएससी में सफल होने वाले मुस्लिम उम्मीदवारों की संख्या बढ़ रही है। लिहाजा इस विषय को सिलेबस से हटाया जाना चाहिए। फैक्ट चेक में आइए जानते हैं कि आखिर यूपीएससी जिहाद शब्द क्या है? क्या वाकई यूपीएससी में इस्लामिक स्टडीज जैसा कोई शब्द है? 

4 Min read
Asianet News Hindi
Published : Aug 31 2020, 02:59 PM IST| Updated : Aug 31 2020, 03:02 PM IST
Share this Photo Gallery
  • FB
  • TW
  • Linkdin
  • Whatsapp
  • GNFollow Us
19

कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक भाजपा के राज्यसभा सदस्य हरनाथ सिंह यादव ने भी यूपीएससी के सिलेबस से इस्लामिक स्टडीज को हटाने की मांग रखी है।
 

29

कहां से आया यूपीएससी जिहाद का विवाद ?

 

सुदर्शन टीवी चैनल पर एंकर सुरेश चव्हाणके ने यूपीएससी के जरिए नौकरशाही में मुस्लिमों के प्रवेश पर सवाल उठाए थे। सवाल था कि कैसे इस समुदाय के लोग बड़ी संख्या में सिविल सर्विजेस परीक्षा को पास कर रहे हैं ? उन्होंने जामिया के रेसिडेंसियल कांचिंग एकेडमी को जिहादी बताया था और UPSCJihad हैशटैग चलाया था।

 

हालांकि, दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को सुदर्शन टीवी के उस टीवी शो पर रोक लगा दी, जिसमें यह विवादित कार्यक्रम प्रसारित होना था। लेकिन, सोशल मीडिया पर इस्लामिक स्टडीज को सिलेबस से हटाए जाने की मांग जारी है।

39

दावा किया जा रहा है कि इस्लामिक स्टडीज विषय के चलते ही परीक्षा में सफल होने वाले मुस्लिम छात्रों की संख्या बढ़ी है।

49

फेसबुक, ट्विटर पर सैकड़ों जगह यूपीएससी जिहाद को लेकर पोस्ट लिखी जा रही हैं।
 

59

फैक्ट चेक 

 

यूपीएससी के सिलेबस से इस्लामिक स्टडीज हटाए जाने की मांग कितनी जायज है ? क्या मुस्लिम छात्रों के यूपीएससी में सफल होने की वजह यही एक विषय है ? इन सवालों के जवाब के लिए हमने जांच-पड़ताल की। 

 

इस दावे की सत्यता जांचने के लिए हमने यूपीएससी की सिविल सर्विसेज परीक्षा का सिलेबस चेक किया।
साल 2019 की जिस परीक्षा के परिणाम 4 अगस्त को जारी हुए हैं। उसके नोटिफिकेशन में दिए गए सिलेबस में इस्लामिक स्टडीज नाम का कोई विषय नहीं है।
 

69

साल 2020 की सिविल सर्विसेज परीक्षा के नोटिफिकेशन में दिए गए सिलेबस में भी ‘इस्लामिक स्टडीज’ विषय हमें नहीं मिला। पड़ताल के दौरान हमें आईएएस अधिकारी सोमेश उपाध्याय का एक ट्वीट मिला। सोमेश ने अपने ट्वीट में इस्लामिक स्टडीज वाले दावे को तंज कसते हुए फेक बताया है। ट्वीट का हिंदी अनुवाद है - एक समानांतर दुनिया है, जहां यूपीएससी के ऑप्शनल सब्जेक्ट में इस्लामिक स्टडीज भी है। इसे वॉट्सएप यूनिवर्स कहा जाता है।
 

79

एक्सपर्ट की राय

 

‘सिविल सर्विसेज क्लब’ के संस्थापक लक्ष्मी शरण मिश्रा लंबे समय से स्टूडेंट्स को यूपीएससी परीक्षा के लिए प्रशिक्षित कर रहे हैं। वे कहते हैं : UPSC में इस्लामिक स्टडीज नाम का कोई सब्जेक्ट नहीं है। उर्दू साहित्य के सिलेबस में भी इस नाम की कोई यूनिट नहीं है। यहां तक की हिस्ट्री के सिलेबस में भी अब मुस्लिम काल से जुड़े सवाल नहीं पूछे जाते। मेरा अनुभव रहा है कि ज्यादातर मुस्लिम स्टूडेंट्स भी उर्दू की जगह दूसरे सब्जेक्ट लेकर ही सिविल सर्विसेज परीक्षा में सिलेक्ट हो रहे हैं।

 

2019 में जो 829 लोग सफल हुए उनमें मुस्लिम कैंडिडेट्स की संख्या केवल 42 है, यानी केवल 5 %। जबकि देश की आबादी में मुसलमानों का हिस्सा 14 % है। तो चिंता इस बात की होनी चाहिए कि इन सेवाओं में मुसलमानों की भागीदारी उनकी जनसंख्या के अनुपात में कम क्यों है।

89

एक नजर में यूपीएससी का सिलेबस

 

यूपीएससी की सिविल सर्विसेज परीक्षा में दो चरण होते हैं। प्रिलिम्स और मेन्स। प्रिलिम्स के सिलेबस में जनरल अवेयरनेस, हिस्ट्री, इंडियन पॉलिटी, ज्योग्राफी, इकोनॉमिक एंड सोशल डेवलपमेंट,क्लाइमेट चेंज, लॉजिकल रीजनिंग, रीडिंग कॉम्प्रिहेन्शन आदि विषय शामिल हैं।

 

मेन्स का सिलेबस कुल सात हिस्सों में बंटा है। इसमें पांच विषय सभी के लिए अनिवार्य होते हैं। वहीं छठवां और सातवां विषय चुनने की छूट कैंडिडेट के पास होती है। यूपीएससी द्वारा जारी की गई ऑप्शनल सब्जेक्ट्स की लिस्ट में से कोई विषय ही कैंडिडेट अपने छठवें और सातवें विषय के रूप में चुन सकता है। इन ऑप्शनल सब्जेक्ट्स की लिस्ट में ‘इस्लामिक स्टडीज’ नहीं है।
 

99

ये निकला नतीजा  

 

सोशल मीडिया पर जिस ‘इस्लामिक स्टडीज’ विषय को यूपीएससी की सिविल सर्विसेज परीक्षा के सिलेबस से हटाने की मांग हो रही है। वह विषय सिलेबस में है ही नहीं। एक विशेष वर्ग को लेकर लव जिहाद के बाद अब यूपीएससी जिहाद जैसे शब्दों से जहर फैलाया जा रहा है। इन फर्जी दावों पर भरोसा न करें बल्कि देश की अखंडता, सहिष्णुता और एकता को बनाए रखें।  

About the Author

AN
Asianet News Hindi
एशियानेट न्यूज़ हिंदी डेस्क भारतीय पत्रकारिता का एक विश्वसनीय नाम है, जो समय पर, सटीक और प्रभावशाली खबरें प्रदान करता है। हमारी टीम क्षेत्रीय, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय घटनाओं पर गहरी पकड़ के साथ हर विषय पर प्रामाणिक जानकारी देने के लिए समर्पित है।

Latest Videos
Recommended Stories
Related Stories
Asianet
Follow us on
  • Facebook
  • Twitter
  • whatsapp
  • YT video
  • insta
  • Download on Android
  • Download on IOS
  • About Website
  • Terms of Use
  • Privacy Policy
  • CSAM Policy
  • Complaint Redressal - Website
  • Compliance Report Digital
  • Investors
© Copyright 2025 Asianxt Digital Technologies Private Limited (Formerly known as Asianet News Media & Entertainment Private Limited) | All Rights Reserved