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PM Modi repeals farm bills: PHOTOS में देखें किसानों का जश्न, कहीं खुशी में झूमे; कहीं अरदास और मिठाई बांटी
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीनों नए कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान किया है। इन कानूनों के विरोध में सालभर से दिल्ली बॉर्डर पर किसान आंदोलन कर रहे थे। गुरु पर्व पर पीएम मोदी ने ये किसानों को खुशखबरी दी। जब आज सुबह प्रधानमंत्री मोदी ने अपने कानूनों को वापस लेने की घोषणा की तो देशभर में किसानों ने जश्न मनाना शुरू कर दिया। कहीं धरनास्थलों पर किसान जिंदाबाद के नारे लग रहे हैं तो कहीं मिठाइयां बांटी जा रही हैं। कुछ स्थानों पर किसान महिलाओं के साथ नाच-गान भी कर रहे हैं। गुरुदारे में अरदास की जा रही है। किसान इसे आंदोलन की जीत बता रहे हैं तो कुछ मोदी सरकार का आभार जता रहे हैं। देशभर में जगह-जगह मनाए जा रहे जश्न की तस्वीरें सामने आईं हैं, आईए देखते हैं किसानों ने कैसे मनाया जश्न और क्या कहा....
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तीनों नए कृषि कानूनों को वापसी का ऐलान होते ही दिल्ली के सिंघु और टीकरी बॉर्डर पर पिछले एक साल से डटे किसान खुशी से झूम उठे। जश्न का माहौल है। किसान एक-दूसरे के गले मिलकर खुशी जाहिर कर रहे हैं। किसानों ने इसे लंबे संघर्ष की जीत बताया। साथ ही बॉर्डर पर संयुक्त किसान मोर्चा ने इमरजेंसी मीटिंग बुला ली है।
आमतौर पर सुबह करीब 9 बजे इन दोनों बॉर्डर पर किसानों के मंच पर हल्की चहल-पहल होती है, लेकिन कृषि कानूनों के वापस लेने की बात सुनते ही बड़ी संख्या में किसान मंच की तरफ पहुंच गए। किसानों ने इसे आंदोलन की जीत बताया।
सिंघु और टिकरी बॉर्डर पर कई किलोमीटर एरिया में किसानों के टेंट लगे हैं। हालांकि, पहले के मुकाबले किसानों की संख्या बहुत कम है। सर्दी का सीजन शुरू होते ही मंच पर 10 बजे के बाद ही लोग पहुंचते हैं, लेकिन शुक्रवार को कृषि कानूनों की वापसी के बाद किसानों ने अपने टेंट में ही जश्न मनाना शुरू कर दिया।
इन दोनों बॉर्डर से किसान आंदोलन स्थल पर बनाए गए मुख्य मंच की तरफ बढ़ रहे हैं। किसानों ने सरकार के फैसले के बाद शनिवार को संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक बुलाई है। इसमें किसान संगठन आगे की रणनीति तय करेंगे। फिलहाल, कृषि कानूनों की वापसी के संघर्ष और खुशी का इजहार किया जा रहा है।
पिछले साल नवंबर में ही पंजाब से तीनों नए कृषि कानूनों के विरोध में किसानों का संघर्ष शुरू हुआ था। बाद में दिल्ली के सिंघु और टिकरी बॉर्डर पर किसानों ने डेरा जमाया। एक साल से सर्दी-गर्मी के बीच किसान तीनों कृषि कानूनों को वापस कराने की मांग पर अड़े रहे। सरकार ने बातचीत के जरिए संशोधन के लिए सुझाव मांगे। लेकिन, संगठन वापसी की मांग कर रहे थे।
पिछले 10 माह से किसानों और सरकार के बीच कानून वापसी को लेकर कोई बातचीत भी नहीं हुई। शुक्रवार सुबह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र के नाम संबोधन में तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान किया।
कृषि कानूनों के विरोध में किसान आंदोलन में अभी तक 600 से ज्यादा किसानों की जान गई है। किसी की हार्टअटैक से तो किसी की एक्सीडेंट में मौत हुई। बहुत से किसानों ने आत्महत्या की है। आंदोलन लंबा खिंचने की वजह से किसानों में भी सरकार के प्रति नाराजगी बढ़ती जा रही थी।
किसानों ने एक साल पूरा होने पर 26 नवंबर को आंदोलन को तेज करने की चेतावनी दी थी। मोर्चे का कहना था कि 500 किसानों के साथ संसद कूच किया जाएगा। लेकिन, उससे पहले ही पीएम मोदी ने किसानों को गुरु पर्व पर खुशियां देकर चौंका दिया।
भारतीय किसान यूनियन के पदाधिकारियों के मुताबिक, आंदोलन के दौरान कई ऐसे मामले आए, जिन पर सरकार से बात होनी जरूरी है, कृषि कानून तो वापसी करने का ऐलान प्रधानमंत्री ने कर दिया है लेकिन यह संसद सत्र के दौरान ही होना संभव हो पाएगा। साथ ही आंदोलन के दौरान जिन किसानों पर केस दर्ज हुए हैं उसका क्या होगा?
उत्तर प्रदेश के कई इलाकों से जश्न मनाने की तस्वीरें सामने आईं। गाजीपुर बॉर्डर पर ढोल बजाकर जीत का जश्न मनाया तो मुजफ्फरनगर में लोगों ने डांस करके जश्न मनाया। हालांकि, किसानों का मानना है कि अभी हमारा आंदोलन खत्म नहीं हुआ है, अभी कई मुद्दों पर बातचीत होगी।
कानपुर में किसानों में खुशी की लहर दौड़ गई। यहां मंधना इलाके में किसानों ने आतिशबाजी करके खुशी जताई। किसानों ने अपने खेतों पर फुलझड़ी जलाकर खुशी जाहिर की। किसानों का कहना है कि मोदी देर से आए, लेकिन दुरस्त आए।
गाजीपुर बॉर्डर पर आंदोलन में शामिल संयुक्त किसान मोर्चा के प्रवक्ता जगतार सिंह बाजवा ने कहा कि यह किसान और मजदूर की एकजुटता का परिणाम है। शहादत का परिणाम है। लंबे संघर्ष का परिणाम है। गुरु नानक देव जी के जन्म उत्सव पर जो आज यह सूचना मिली है, मैं सबको बधाई देता हूं जिन्होंने हमारा साथ दिया।
मेरठ के सिवाया टोल प्लाजा पर 6 महीने से धरने पर बैठे किसानों ने सरकार को धन्यवाद दिया और कहा कि सरकार को लिखित में देना चाहिए। मुरादाबाद में भारत भारतीय किसान यूनियन (असली) के नेता चौधरी हरपाल सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्रीजी इस आंदोलन में एक साल में 700 किसान शहीद हुए हैं, उनकी शहादत की जिम्मेदारी लें।
संयुक्त किसान मोर्चा के सदस्य चौधरी हरपाल सिंह ने कहा कि किसानों से हाथ जोड़कर माफी मांगें। उन्होंने कहा कि अगर पहले ही किसानों की बात मानी होती तो किसानों की शहादत नहीं होती। चौधरी हरपाल सिंह ने एमएसपी गारंटी कानून पास करने की मांग की।
भाकियू (भानू) के राष्ट्रीय अध्यक्ष भानु प्रताप सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीनों कृषि कानून को वापस लेने की आज घोषणा कर दी है, इसके लिए उनका बार-बार स्वागत और बार-बार अभिनंदन करता हूं। ऐसा ही होना चाहिए, किसान आज से नहीं 75 साल से परेशान हैं।
किसान नेता सरदार वीएम सिंह ने कहा कि किसान को MSP गारंटी बिल चाहिए। हमें एक-एक किसान का फायदा देखना है, ना कि किसान नेताओं का। अगर MSP पर गारंटी मिल जाती तो ये तीनों बिल होल्ड पर हैं, होल्ड पर रहने और वापस लेने में फक्र नहीं हैं।
मथुरा में भाकियू अम्बवाबता गुट के जिलाध्यक्ष राजकुमार तोमर ने कहा कि जब तक संसद में कानून वापस नहीं होगा, तब तक इसे नहीं मानेंगे। आगे का निर्णय क्या होता है यह एक घंटे में साफ होगा।
जय किसान आंदोलन से जुड़े किसान नेता अविक साहा ने कहा कि अभी किसानों की डिमांड बाकी है। अभी एक कदम आगे बढ़ पाएं हैं, लेकिन पूरी सड़क नापना बाकी है।
सरकार ने गुरु साहिब की आवाज पहचाना, इसलिए धन्यवाद
शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की प्रधान बीबी जागीर कौर ने केंद्र सरकार का धन्यवाद किया है। उन्होंने कहा कि आज गुरु नानक साहिब ने उनके मन में बस कर कानून वापस करवाए। इसके लिए गुरु नानक साहिब का लाख-लाख धन्यवाद। सरकार का इसलिए धन्यवाद कि उन्होंने गुरु साहिब की आवाज को पहचाना है।
किसानों का कर्ज माफ हो: भानु गुट
भारतीय किसान यूनियन (भानु गुट) के अध्यक्ष भानुप्रताप सिंह ने कहा कि मैं इस कदम का स्वागत करता हूं। 75 साल से किसान विरोधी नीतियों के चलते कर्ज के कारण किसानों की मौत हो गई। मैं पीएम मोदी से एक कृषि समिति बनाने और फसल की दरें तय करने का आग्रह करता हूं। आज की तरह घोषणा से किसानों का कर्ज एक दिन में माफ हो।
टिकैत बोले- अभी एमएसपी और बिजली बिल की समस्या का निपटारा होना बाकी
राकेश टिकैत का कहना था कि अभी हम विश्वास नहीं करेंगे। संसद से कानूनी प्रक्रिया पूरी होने के बाद भी हम अपना आंदोलन वापस लेंगे। लेकिन न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कमेटी बनाने और बिजली अमेंडमेंट समेत अन्य मुद्दों पर अभी बात होनी बाकी है। उन्होंने यह कहा कि फिलहाल संयुक्त मोर्चा प्रधानमंत्री की घोषणा को लेकर बातचीत कर रहा है, आगे की रणनीति जल्द बताई जाएगी। उन्होंने कहा कि संसद के सत्र में इन कानूनों को वापस लेने की प्रक्रिया शुरू होगी। राकेश टिकैत ने कहा कि जब तक संसद से तीनों कानून वापस नहीं होते, तब तक वह धरने से वापस नहीं उठेंगे। ये किसान आंदोलन तीनों कानून वापस होने तक चलेगा।