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हॉकी कप्तान रानी रामपाल ने कही दिल छूने वाली बात, जिसे हर पेरेंट्स को जानना चाहिए..सब बोले-यही शेरनी
पानीपत (हरियाणा). भारत की बेटियां आज अपनी सफलता का परिचम पूरी दुनिया में लहरा रही हैं। एक तरफ जहां वह देश की सेना में तैनात होकर रक्षा करने में जुटी हैं। तो वहीं दूसरी और वह ओलंपिक में मेडल जीतकर इतिहार रच रही हैं। लेकिन इसके बाद भी कुछ ऐसे लोग हैं जो अब भी बेटियों को बोझ समझते हैं। वह लड़िकयों की परवरिश से ज्यादा बेटों को काबिल बनाने में लगे हुए हैं। भारतीय हॉकी टीम की कप्तान रानी रामपाल (Indian women hockey team captain Rani Rampal ) ने कुछ ऐसी लोगों को लेकर एक ट्वीट किया जो देश के हर पेरेंट्स पढ़ना चाहिए। हो सकता है कि उनकी इससे सोच बदल जाए। वहीं कुछ लोग उनके इस ट्वीट को खूब पसंद कर रहे हैं और सालाम कर उसे शेयर करने में लगे हैं। आइए जानते हैं आखिर हॉकी कैप्टन ने ऐसा क्या लिखा...
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दरअसल, हॉकी कप्तान रानी रामपाल ने जो लिखा है उससे माता-पिता को काफी कुछ सीखने की जरूरत है। उन्होंने 27 अक्टूबर को यह ट्वीट किया है। जिसमें लिखा है 'अपनी बेटी को इतना काबिल बनाएं कि आपको यह चिंता न करनी पड़े कि उसके साथशादी कौन करेगा। उसकी शादी के दिन के लिए पैसे बचाने के बजाय, उसकी शिक्षा पर खर्च करें और सबसे महत्वपूर्ण बात, उसे शादी के लिए तैयार करने के बजाय, उसे अपने लिए तैयार करें। उसे आत्म-प्रेम, आत्मविश्वास सिखाएं।
वहीं रानी रामपाल ने अपने एक और ट्वीट में लिखा 'आप जो पसंद करते हैं उसे पाने के लिए कड़ी मेहनत करें, नहीं तो आपको जो मिलता है उसे पसंद करने के लिए आपको मजबूर होना पड़ेगा'। उन्होंने अपनी कुछ तस्वीरें शेयर कर कहा-एक लड़की की इज्जत करना उसे खूबसूरत कहने से भी ज्यादा खूबसूरत है
रानी रामपाल के इन ट्वीट को यूजर खूब पसंद कर रहे हैं। कोई लिख रहा है कि आपके विचार मेरे लिए प्रेरणा बने हैं, अब मेरी बेटी आपकी तरह बनेगी। तो वहीं कोई लिख रहा है कि 21वीं शताब्दी की बेटियां बेटों से कम नहीं है, उनसे आगे हैं, वह आपकी ही तरह इतिहास रचेंगी। वहीं एक यूजर ने लिखा जो शेरना का दूध पीता है तो वह दहाड़ता है।
रानी रामपाल के संघर्ष को आज पूरी दूनिया सैल्यूट करती है। टोक्यो ओलंपिक में भले ही सेमीफाइनल में पहुंचने के बाद भी भले ही उनकी टीम को ब्रॉन्ज मेडल जीता हो, लेकिन उन्होंने करोड़ों लोगों को दिलों में अपनी जगह जरूर बना ली है। उनकी कड़ी मेहनत के बाद ही हॉकी टीम ने सेमीफाइनल में जगह बना कर सालों के सपने को पूरा किया है। रानी के जीवन की संघर्ष की कहानी आज हम सब के लिए प्रेरणा है।
गरीबी और आर्थिक बदहाली भरे जीवन से टोक्यो ओलंपिक में भारतीय महिला हॉकी टीम की कमान संभालने तक रानी का सफर वाकई सराहनीय है। उन्होंने यह सफलता यू हीं रातों रात हासिल नहीं की है। इसके लिए उन्होंने सालों तक कड़ी मेहनत की है। रानी हरियाणा के शाहबाद मारकंडा की रहने वाली हैं। उनका परिवार बहुत गरीब था। दो समय की रोटी के लिए उनके परिवार को काफी संघर्ष करना पड़ता था। उनके पिता घोड़ा गाड़ी चलाने का काम करते थे। रानी जब 6 से 7 साल की हुईं, तो उन्हें मैदान में हॉकी पकड़ना शुरू कर दिया था। इसके बाद उन्होंने पिता से कहा कि उनका हॉकी खेलना का सपना है। पिता ने दिन रात मेहनत करके इस सपने को पूरा किया। इसके बाद स्कूलिंग में रानी का एडमिशन शाहबाद हॉकी एकेडमी में करवाया। कोच बलदेव सिंह और सीनियर खिलाड़ियों ने साथ उन्होंने अभ्यास किया और आज वह देश के नंबर वन हॉकी प्लेयर हैं।