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AIDS Day 2021: इंसानों नहीं जानवरों को भी होता है एड्स, संबंध बनाने से नहीं इस वजह से होती है ये घातक बीमारी
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एड्स का पूरा नाम है 'एक्वायर्ड इम्यूलनो डेफिसिएंशी सिंड्रोम' है और यह बीमारी एच.आई.वी. वायरस से होती है। एचआईवी से संक्रमित होने के बाद एड्स अंतिम चरण होता है। एच.आई.वी. पाजीटिव होने के 6 महीने से 10 साल के बीच में कभी भी एड्स हो सकता है। एड्स को अक्वायर्ड इम्यूनो डेफिशियेंसी सिंड्रोम (acquired immune deficiency syndrome) कहते है।
मनुष्यों में जिस वायरस से एड्स होता है उसी तरह के दूसरे वायरस से जानवरों को भी एड्स होता है। हालांकि, एड्स बंदरों से या चिम्पैंजी से मनुष्यों को आया था। सबसे पहले एड्स का पहला मामला 19वीं सदी की शुरुआत में जानवरों में ही मिला था।
इंसानों में 1959 में अफ्रीका के कांगों शहर में एक बीमार आदमी में एड्स की पुष्टि हुई थी। कहा जाता है कि इस आदमी ने आफ्रीका के जंगलों में शिकार के लिए चिम्पैंजी को मारा था। तब यह SIV वायरस मनुष्य के शरीर में प्रवेश किया होगा।
SIV को सिमियन इम्यूनोडेफिशियेंसी वायरस कहते हैं। SIV भी HIV के जैसा ही वायरस है जो कि बंदरों में पाया जाता है। शुरुआत में तो इसानों के शरीर SIV के कम लक्षण होते थे, लेकिन जब वह उत्परिवर्तन (mutation) होकर एचआईवी (HIV) हो गया तो, मानव शरीर में प्रतिरक्षा प्रणाली (immune system) के ऊपर अटैक करने लगा, क्योंकि हेचाईवी हमारे सफेद रक्त कणों (White blood cell) को मारता है।
जानवरों को एचआईवी (HIV) के तरह के दूसरे वायरस से एड्स हो सकता है। हमारे कोशिकाओं (cells) में रिसेप्टरस (receptors) है, जो एचआईवी वायरस से हमारे कोशिकाओं से जुड़ने देती है। दूसरे जानवरों में ऐसे रिसेप्टर्स नहीं है,लेकिन रिसेप्टर्स जरूर होते है। डॉक्टर्स का कहना है कि जानवरों को एचआईवी नहीं हो सकती है, पर उसके जैसे ही (SIV) चिम्पैंजियों में और (FIV) बिल्लियों में हो सकता है। जिससे आगे जाकर एड्स होता है।
कुछ लोगों का ये भी कहना है कि मच्छर या आपके शरीर से खून चूसने वाले कीड़ों के काटने से एचआईवी फैलता है। जबकि ऐसा नहीं है। खून चूसने वाले कीड़े या मच्छर काटते हैं तो वो पहले जिसे काटते हैं उसका खून दूसरे के शरीर में इन्जेक्ट नहीं करते, इससे ये वायरस फैल नहीं सकता।
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