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यह है देसी जुगाड़ से बनी एकदम धांसू साइकिल, डबल चेन पर 54 किमी/घंटे की स्पीड से दौड़ती है
जमशेदपुर, झारखंड. आवश्यकता आविष्कार की जननी होती है! लेकिन आविष्कार भी वे ही लोग कर पाते हैं, जो यह नहीं सोचते कि दुनिया क्या कहेगी? वे बस अपने इनोवेटिव आइडियाज को साकार करने में जुट जाते हैं। भारत में देसी जुगाड़ साइंस से कई ऐसी वस्तुएं बनती रहती हैं, जो विभिन्न क्षेत्रों में मददगार साबित होती हैं। कुछ लोग अपने शौक को पूरा करने देसी जुगाड़ से मोडिफाइड व्हीकल बनाते रहते हैं। यहां हम आपको कुछ ऐसी साइकिलों के बारे में बता रहे हैं, जो आम साइकिलों की 'बाप' हैं! मतलब, वे हर मायने में आम साइकिलों पर भारी पड़ती हैं। पेट्रोल से चलन वाले टूव्हीलर्स को ये टक्कर देती हैं। पहली तस्वीर झारखंड के जमशेदपुर में पिछले दिनों सामने आई थी। यह हैं चाईबासा स्थित सुपलसाई के रहने वाले 48 वर्षीय विलियम लेयांगी। विलियम का दावा है कि उनकी साइकिल आम साइकिल से तीन गुनी रफ्तार से दौड़ सकती है। जहां आम साइकिलें सामान्यतौर पर 18 किमी/घंटे की रफ्तार पकड़ सकती हैं, वही यह साइकिल 54 किमी/घंटा की स्पीड से दौड़ती है। आइए देखते हैं ऐसी की कुछ अलग तरह की साइकिलें...
| Published : Aug 19 2020, 03:47 PM IST
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6 गीयर पर चलती है यह साइकिल...
विलियम लेयांगी की यह साइकिल जुगाड़ तकनीक से बनाई गई है। इसमें जहां दो चेन हैं, वहीं 4 कबाड़ साइकिलों से छोटे-बड़े गीयर-एक्सएल आदि निकालकर असेंबल किए गए हैं। यह साइकिल 6 गीयर पर चलती है। आपको जानकर ताज्जुब होगा कि विलियम सिर्फ मैट्रिक तक पढ़े हैं। पढ़ाई-लिखाई में होशियार थे, लेकिन गरीबी के कारण आगे नहीं पढ़ सके। विलियम साइकिल की मरम्मत की दुकान चलाते हैं। इसी दौरान उन्हें इस तरह की साइकिल बनाने का आइडिया आया। आगे पढ़ें...बीकानेर की लगड़ीं, लेकिन बहुत काम की साइकिल...
राजस्थान के बीकानेर जिले की पांचू पंचायत के सांईसर गांव के रहने वाले दो भाइयों पवन और नंदकिशोर पंचारिया ने खेत में बीज बोने यह साइकिल बनाई है। इनके पास 15 बीमा खेत हैं। लॉकडाउन काल में फ्री बैठे-बैठे उन्हें साइकिल को खेती में काम लाने लायक आइडिया आया। उन्होंने साइकिल का पिछला पहिया निकालकर उसे इस तरह तैयार किया कि उससे खेतों में बीज बोये जा सकते हैं। इससे उनका खर्चा बचा और काम भी आसान हुआ। आगे पढ़ें... आगे पढ़े बिलासपुर में रेलवे ने बनाई अनूठी साइकिल...
बिलासपुर, छत्तीसगढ़. भारतीय रेलवे ने सबसे सस्ते मॉडल यानी करीब 5 हजार रुपए वाली साइकिल को अपने के लिए बेहद काम की चीज बना दिया। साइकिल के बाद अब रेलवे ट्रैक की पेट्रोलिंग करना आसान हो गया है। दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे जोन-बिलासपुर अब इस साइकिल का इस्तेमाल करने लगा है। बता दें कि बिलासपुर में 13 हजार ट्रैकमेंटेनर हैं। प्रत्येक करीब 5 किमी पैदल चलकर रेलवे ट्रैक की निगरानी करता है। इस साइकिल के जरिये अब वे 15 किमी तक बिना थके पेट्रोलिंग कर सकते हैं। आगे पढ़ें 10 किमी/घंटे से दौड़ती है यह साइकिल...
इस जुगाड़ वाली साइकिल का नार्थ वेस्टर्न रेलवे-अजमेर पहले ही सफल प्रयोग कर चुका है। इस साइकिल का वजन महज 20 किलो है। वहीं इसकी गति 10 किमी/प्रति घंटा है। आगे पढ़िए बच्चे ने बनाई..अनूठी बाइक...
देसी जुगाड़ का यह मामला मध्य प्रदेश के नरसिंहगढ़ जिले के आमला गांव का है। यहां 9वीं क्लास के बच्चे ने लॉकडाउन में अपनी क्रियेटिविटी का सदुपयोग किया और साइकिल में ही इंजन लगाकर उसे बाइक में बदल दिया।यह है अक्षय राजपूत। इन्होंने कबाड़ी से पुरानी चैम्प गाड़ी का इंजन खरीदा। इसके बाद कुछ दिनों की मेहनत से उसे साइकिल में फिट करके बाइक का रूप दे दिया।