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केरल के BJP प्रेसिडेंट के. सुरेन्द्रन का Exclusive इंटरव्यू, कहा- यहां के लोग मोदी की नीतियों से प्रभावित
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सवाल - केरल में राजनीतिक मुकाबला यूडीएफ (UDF) और एलडीएफ (LDF) की बीच होता रहा है। ऐसे में, भाजपा वोट शेयरिंग को लेकर क्या उम्मीद कर रही है?
जवाब - वास्तव में, पिछले 60 सालों के दौरान यहां दो ध्रुवीय मुकाबला होता रहा है। लेकिन 2019 में लोकसभी चुनाव के दौरान हमारा वोट शेयर बढ़ा है। यहां तक कि 2016 में भी हमारा वोट शेयर 6 फीसदी से बढ़ कर 16 फीसदी हो गया था। इसके बाद अब सभी विधानसभा क्षेत्रों में त्रिकोणात्मक मुकाबले की उम्मीद है। भाजपा इस चुनाव में कड़ी टक्कर देगी।
सवाल - सबरीमाला का मुद्दा भाजपा के समर्थन में किस हद तक कारगर हो सकता है?
जवाब - सबरीमाला का मुद्दा अभी भी खत्म नहीं हुआ है। इस मामले में सरकार के एक मंत्री ने माफी मांगते हुए स्टेटमेंट जारी किया। इसके बाद सीपीआई (एम) के राष्ट्रीय महासचिव सीताराम येचुरी और मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने कहा कि इस मामले में माफी मांगने की कोई जरूरत नहीं है। वहीं, इस मामले पर हमारा स्टैंड राजनीतिक तौर पर पूरी तरह स्पष्ट है। सबरीमाला अभी भी एक बड़ा मुद्दा है। लोकसभा चुनाव के बाद सीपीआई (एम) और लेफ्ट फ्रंट के नेताओं ने अपने रुख में बदलाव लाने की कोशिश की। सु्प्रीम कोर्ट में दिया गया एफिडेविट अभी भी वहां मौजूद है। इसमें कोई दो राय नहीं कि इस विधानसभा चुनाव में लोग सबरीमाला के मुद्दे की चर्चा करेंगे।
सवाल - आरएसएस के विचारक और ऑर्गनाइजर के संपादक रह चुके आर बालाशंकर ने आरोप लगाया है कि बीजेपी के राज्य नेतृत्व ने आपकी जीत के लिए सीपीएम के साथ गोपनीय समझौता किया है। आपका इस पर क्या कहना है?
जवाब - नहीं, नहीं, बालाशंकर खुद चेंगान्नुर सीट से लड़ना चाहते थे और मेरा कहना है कि चेंगान्नुर वे पिछले 50 साल पहले ही छोड़ चुके हैं। वे दिल्ली में बीजेपी के सेंट्रल लीडरशिप सर्किल में रहे हैं। चेंगान्नुर विधानसभा क्षेत्र के पार्टी कार्यकर्ताओं और एनडीए के कार्यकर्ताओं ने भाजपा के जिला अध्यक्ष गोपाकुमार का नाम सुझाया। स्टेट पार्टी इलेक्शन कमेटी ने 3 नाम सुझाए, जिनमें गोपाकुमार और बालाशंकर के नाम थे। सेंट्रल इलेक्शन कमेटी ने गोपाकुमार का चयन किया। इसलिए निराशा में उन्होंने ऐसा कहा है। इसे गंभीरता से लेने की जरूरत नहीं है।
सवाल - इस इलेक्शन में जातिगत समीकरण की भूमिका होगी? क्या बीजपी नैयर, एझवा और क्रिश्चियन गठजोड़ पर भरोसा कर रही है?
जवाब - ऐसा पहले से माना जाता रहा है कि केरल भाजपा में उच्च जातियों का वर्चस्व रहा है। लेकिन पिछले 5-6 सालों से ओबीसी, एझवा एससी, एसटी और दूसरे पिछड़े समुदायों के बीच पार्टी की पहुंच बढ़ी है। अब एझवा और एससी व एसटी समुदायों का भाजपा के प्रति समर्थन बढ़ रहा है। जहां तक क्रिश्चियन कम्युनिटी का सवाल है, वह एलडीएफ और यूडीएफ से निराश हो चुकी है। बीजेपी का संबंध क्रिश्चियन कम्युनिटी से बेहतर होता जा रहा है। इसका चुनाव पर सकारात्मक असर पड़ेगा।
सवाल - ऐसा लगता है कि जैकोबिन चर्च बीजेपी के खिलाफ अपनी ताकत का प्रदर्शन करेगी। इसका भाजपा के परफॉर्मेंस पर कैसा असर पड़ेगा?
जवाब - इसका ज्यादा असर चुनाव पर नहीं पड़ेगा। देखा जाए तो आम तौर पर क्रिश्चियन कम्युनिटी भाजपा के साथ है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जनपक्षधर नीतियों और विकास कार्यों का काफी असर पड़ा है। इससे क्रिश्चियन कम्युनिटी के नजरिए में बदलाव आया है।
सवाल - ई श्रीधरन सक्रिय राजनीति में आ गए हैं। उनके अपने विचार और आकांक्षाएं हैं। उनकी मौजूदगी किस तरह से पार्टी के परफॉर्मेंस को बेहतर बनाएगी?
जवाब - ई श्रीधरन की छवि लोगों के बीच बहुत ही अच्छी है। उनका नेतृत्व लोग इसलिए स्वीकार कर रहे हैं, क्योंकि उनके काम बड़े उल्लेखनीय रहे हैं। आम आदमी का यह सोचना है कि भ्रष्टाचार के शिकार और विकास के मामले में पिछड़े केरल में उनका नेतृत्व कारगर होगा। एलडीएफ और यूडीएफ गले तक भ्रष्टाचार में डूबे हैं। जहां तक विकास का सवाल है, केरल सबसे कम विकसित राज्यों की श्रेणी में आता है। यहां बेरोजगारी की बड़ी समस्या है। उद्योग नहीं हैं। ऐसे में, ई श्रीधरन के आने से बीजेपी को बड़ी मदद मिलेगी।
सवाल - श्रीधरन के मुख्यमंत्री पद का दावेदार बनाए जाने को लेकर बहुत भ्रम की स्थिति है। इस पर आपका क्या कहना है?
जवाब - सामान्य तौर पर बीजेपी में इलेक्शन के पहले मुख्यमंत्री का नाम घोषित करने की परंपरा नहीं रही है। जहां तक श्रीधरन का सवाल है, अगर हम जीतने की स्थिति में होंगे तो ई श्रीधरन को मुख्यमंत्री बनाए जाने को लेकर सहमति बनेगी और हम निश्चित तौर पर मुख्यमंत्री के रूप में उनका चुनाव करेंगे।
सवाल - सर्वे के मुताबिक, यह कहा जा रहा है कि केरल में एलडीएफ की सरकार सत्ता में वापसी करेगी। इस पर आपका क्या कहना है?
जवाब - केरल में कई सर्वे में, खास तौर पर मलयालम टीवी चैनल्स जो सी-वोटर और दूसरी एजेंसियों से जुड़े हैं, कहा गया था कि राहुल गांधी 350 सीट के साथ सत्ता में आएंगे, लेकिन क्या हुआ? सर्वे में एक अनुमान जाहिर किया जाता है, लेकिन ये लोगों के वास्तविक विचारों को सामने नहीं ला पाते। कई बार सर्वे गलत साबित हुए हैं। एक बार तमिलनाडु में सर्वे में कहा गया कि डीएमके की जीत होगी, लेकिन जयललिता दो-तिहाई बहुमत से सत्ता में आईं।
सवाल - आपके चुनाव घोषणा पत्र के मुख्य मुद्दे क्या हैं?
जवाब - मुख्य रूप से भ्रष्टाचार का मुद्दा है। हम मोदी सरकार की तरह भ्रष्टाचार मुक्त सरकार देंगे। बेरोजगारी, सामाजिक न्याय, वोट बैंक पॉलिटिक्स, मंदिर, देवासम बोर्ड और लव जिहाद जैसे मुद्दे हैं। विकास, मानव संसाधन और उच्च शिक्षा से जुड़े मुद्दे हैं। इन मामलों में केरल की हमेशा उपेक्षा हुई है। यहां उद्योगों का पूरी तरह अभाव है। कृषि उत्पादों और वित्तीय प्रबंधन से जुड़ी समस्याएं भी हैं। इस चुनाव में हमारी टैगलाइन है - एक नया केरल। हम नए केरल और मोदीजी पर फोकस कर रहे हैं।
सवाल - मुख्यमंत्री पिनराई विजयन और उनकी सरकार की छवि गोल्ड स्मलिंग के मामले से खराब हुई है। वहीं, सरकार का दावा है कि इसके पीछे बीजेपी का षड्यंत्र है। इस पर आपका क्या कहना है?
जवाब - मुख्यमंत्री विजयन ने खुद प्रधानमंत्री को एक पत्र लिखा। इसमें उन्होंने केंद्रीय एजेंसियों से इस मामले की जांच कराने का अनुरोध किया। अब कस्टम डिपार्टमेंट और एन्फोर्समेंट डायरेक्टोरेट इस मामले की जांच के लिए सामने आए हैं। कई तथ्य और प्रमाण सामने आ रहे हैं। अब सरकार कह रही है कि यह राजनीतिक विरोध की वजह से की जा रही है जांच है और इसका एक राजनीतिक एजेंडा है। राज्य सरकार इस मामले में हाईकोर्ट में गई है और जांच एंजेसियों के अधिकारियों को धमकियां तक दी जा रही हैं। सीपीआई (एम) ने पहले भी ऐसा किया है, जब सीबीआई के अधिकारी 5 साल पहले राज्य में मर्डर केस की जांच करने आए थे।
सवाल - मुख्यमंत्री पिनराई विजयन का कहना है कि राज्य में कांग्रेस और भाजपा के बीच एक अपवित्र गठबंधन बन गया है और चुनाव प्रचार में सांप्रदायिक मुद्दे उठाए जा रहे हैं। इस पर आपका क्या कहना है?
जवाब - बंगाल और तमिलनाडु में क्या हो रहा है? विजयन सीपीएम के पोलित ब्यूरो के मेंबर हैं। यह उनकी पार्टी की राष्ट्रीय नीति है। कांग्रेस और सीपीएम का राष्ट्रीय स्तर पर खुला गठबंधन रहा है। वे बंगाल में दोस्तों की तरह संघर्ष कर रहे हैं। वालयार चेकपोस्ट से अलग कांग्रेस पार्टी और सीपीएम ने खुला गठबंधन कर रखा है। केरल में पिछले चुनाव में मैं मंजेश्वरम से सिर्फ 89 वोट से हार गया। इसके पीछे क्या वजह थी? वजह यह थी कि कांग्रेस, यूडीएफ और एलडीएफ ने मेरी हार को सुनिश्चित करने के लिए हाथ मिला लिया था। दरअसल, कांग्रेस और सीपीएम के बीच खुला गठबंधन है, जो पूरी तरह अवसरवाद पर आधारित है। मुख्यमंत्री के आरोप में कोई दम नहीं है।