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नहीं देखा होगा ऐसा रामभक्त: मंदिर के लिए दादी ने 28 साल से नहीं खाया अन्न, अब दिल में एक ही तमन्ना
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इस बात से दुखी होकर लिया था संकल्प
दरअसल, जब 1992 में ढांचा गिरा था तो उस दौरान उर्मिला चतुर्वेदी 53 साल की थीं। ढांचा गिरने के बाद देश मे दंगे होने, बस इसी बात से दुखी होकर उर्मिला देवी ने संकल्प लिया था कि जब तक सबकी सहमति से मंदिर निर्माण शुरू नहीं हो जाता वह उस दिन तक अनाज का एक दाना भी ग्रहण नहीं करेंगी। फिर चाहे मैं मर ही क्यों ना जाऊं। भगवान ने उनकी पुकार सुनी और 5 अगस्त को मंदिर का भूमिपूजन होने जा रहा है।
तबीयत खराब होने पर भी नहीं किया भोजन
बत दें की सन् 1992 से ही उर्मिला चतुर्वेदी फलाहार के साथ राम नाम जपते हुए उपवास पर हैं। शुरूआत में उनके बच्चों और रिश्तेदारों ने उर्मिला देवी को बहुत समझाया, लेकिन वह अपने फैसले पर डटी रहीं। इतना ही नहीं इस दौरान उनकी कई बार तबीयत भी खराब हुई, डॉक्टरों ने उनको रोटी खाने की सलाह दी। लेकिन उनका कहना था कि अब तो श्रीराम जो चाहेंगे वह होगा।
PM मोदी को भेज चुकी हैं बधाई पत्र
जिस दिन मंदिर के पक्ष में फैसला आया था वह बहुत ही खुश थीं। इस दौरान उन्होंने फैसला सुनाने वाले सुप्रीम कोर्ट के जजों और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र भेजकर बधाई दी थी। उन्होंन कहा था कि आज भगवान ने मेरी पुकार सुन ली। बस जल्द से जल्द में उनका मंदिर बनते और देख लूं।
राम लला के दर्शन करने के बाद ही ग्रहण करेंगी अन्न
उर्मिला देवी का कहना है कि जिस दिन देश के पीएम मोदी जी राम मंदिर की नींव रखेंगे मैं पूरा दिन राम भगवान की जप करूंगी। बता दें कि वह चाहती हैं कि अयोध्या जाकर राम लला के दर्शन करने के बाद ही अन्न ग्रहण करें। लेकिन उनके घरवाले समझा रहे हैं कि अभी कोरोना चल रहा है,बाद में भगवान के दर्शन करने चलेंगे। अब आप अपना संकल्प तोड़ लीजिए, लेकिन वह मानने को तैयार नहीं।
कंठस्थ हैं पूरी रामायण...
बता दें कि उर्मिला चतुर्वेदी भगवान राम की बहुत बड़ी भक्त हैं, उनको रामायण कंठस्थ हैं। वह बिना देखे कोई सी भी चौंपाई सुना देती हैं। उनका अधिकतर सयम पूजा-पाठ और रामायण पढ़ने में बीतता है। इतनी बुजुर्ग होने के बाद भी उनकी दिनचर्या में कोई बदलाव नहीं आया है।
बाकी जीवन अयोध्या में बिताना चाहती हैं
राम का नाम जपते हुए पिछले 28 साल से बिना अन्न के जीवन बिता रही उर्मिला चतुर्वेदी चाहती हैं कि अब वह अपना बाकी का जीवन अयोध्या में बिताना चाहती हैं। उनका कहना है कि अयोध्या में थोड़ी सी जगह मिल जाए ताकि श्रीराम के चरणों में बैठकर जप कर सकूं।