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MP: सचिन ने 2300 आदिवासी बच्चों की पढ़ाई की जिम्मेदारी ली, बोले- इनके सपने साकार करेंगे, शिवराज से भी मिले
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सीहोर जिले के गांव सेवनिया, बीलपाटी, खापा, नयापुरा और जामुन झील के बच्चों को अब तेंदुलकर फाउंडेशन की मदद से पोषण भोजन और शिक्षा मिल रही है। बच्चे मुख्य रूप से बरेला भील और गोंड जनजाति के हैं। इनमें ज्यादातर माध्यमिक शाला के छात्र हैं। सेवा कुटीर में छात्रों के भोजन का और शैक्षणिक सामग्री का विशेष ध्यान रखा जाता है। ग्रामीण बताते हैं कि यहां छात्रों को प्रतिदिन दोनों समय भोजन, नाश्ता और पोषण आहार दिया जाता है। सप्ताह में एक दिन विशेष भोज दिया जाता है। सेवनिया में करीब 30 बच्चे हैं। जिन्हें सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती है। सचिन ने प्रदेश के करीब 42 गांवों में सेवा कुटीर बनाए हैं। इनमें से सेवनिया और देवास जिले के बच्चों से मिलने वे पहुंचे।
सेवनिया में बच्चों ने सेल्फी ली और ऑटोग्राफ भी लिए
सीहोर में सचिन और बच्चों को एक-दूसरे के साथ जो सुकून था, वह दिल में साफ झलक रहा था। उन्होंने बच्चों साथ कुछ गेम भी खेले। उन्हें प्रोत्साहित किया और कहा कि सपनों का पीछा करें और किसी भी परिस्थिति में हार न मानें। सचिन की संस्था करीब 2300 आदिवासी बच्चों के लिए 10 साल तक पढ़ाई की जिम्मेदारी उठाएगी।
देवास: खातेगांव के संदलपुर पहुंचे सचिन
सचिन देवास जिले के संदलपुर गांव पहुंचे और बच्चों से बातचीत की। सचिन मंगलवार सुबह इंदौर पहुंचे थे। सचिन ने कहा कि यहां 2300 बच्चे शिक्षा हासिल कर रहे हैं, इसी संस्थान की मैं हेल्प कर रहा हूं। पिता का सपना था कि गरीब बच्चों को लेकर कुछ किया जाए। वो अगर आज हमारे बीच होते तो बहुत खुश होते। बता दें कि संदलपुर गांव में कोलकाता की संस्था परिवार एजुकेशन सोसाइटी भी यही काम कर रही है। सचिन के साथ एक टीम भी आई थी, जो इस विजिट को शूट कर रही थी। सचिन ने परिवार संस्था की भगिनी निवेदिता विद्यापीठ की निर्माणाधीन बिल्डिंग का भी दौरा किया। यहां पर वे किसी बच्चे से नहीं मिले।
सचिन अपनी टीम के साथ ही बात करते रहे। सचिन ने अपनी संस्था सचिन तेंदुलकर फाउंडेशन के बाल आश्रय श्री रामकृष्ण विवेकानंद सेवा कुटीर विद्यालय का निरीक्षण किया। गरीब बच्चों को यहां पर फ्री शिक्षा दी जाती है। बच्चों को दिन में दो बार भोजन उपलब्ध कराया जाता है। तेंदुलकर ने बच्चों के साथ बातचीत करते हुए विद्यालय का निरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने बच्चों के साथ क्रिकेट भी खेली। वे यहां दिवंगत पिता प्रो. रमेश तेंदुलकर की याद में स्पोर्टिंग आइकॉन, स्कूल और हॉस्टल का निर्माण करवा रहे हैं। सचिन ने संदलपुर और सेवनिया का दौरा करके संस्था के सीईओ से जानकारी मांगी।
सचिन मध्य प्रदेश में करीब 6 से 7 घंटे रहे। उन्होंने देवास में एक बच्चों के साथ क्रिकेट भी खेला और काफी समय बिताया। बच्चों की हौसला अफजाई भी की।
भोपाल में मुख्यमंत्री से मिले सचिन तेंदुलकर
सचिन ने मंगलवार शाम सीएम निवास पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मुलाकात की। उनकी सीएम से काफी देर तक बातचीत होती रही। इसके बाद शिवराज ने ट्वीट कर जानकारी दी।
तेंदुलकर ने ट्वीट किया- ''हमेशा एक #Teamindia के लिए खेलने का सौभाग्य रहा- मैदान पर या उसके बाहर। कुटीर और मुफ्त आवासीय विद्यालय हम परिवार के साथ बना रहे हैं।
सचिन ने ये कहा...
सचिन ने कहा कि संदलपुर और सेवनिया में आकर बहुत खुशी हो रही है। हम संदलपुर में एक स्कूल और छात्रावास बनाने में मदद कर रहे हैं। इसमें करीब 2,300 छात्र होंगे। ये 10 साल तक यहां रहेंगे और पढ़ाई करेंगे। हमारी संस्था बच्चों की मदद करेगी और उनके करियर को आकार देगी।
सचिन ने कहा- इस समय उन्हें मार्गदर्शन की जरूरत है। 4 से 16 वर्ष की आयु के बच्चों को उचित मार्गदर्शन दिया जाएगा। इसके अलावा, उचित पोषण योजना के साथ भोजन की व्यवस्था होगी। ये देश का भविष्य हैं। भारत सबसे युवा औसत आयु वर्ग का देश है। यह हमारी ताकत है और हमें इसकी जरूरत है। आने वाले सालों में अच्छे परिणाम देखने को मिलेंगे।
उन्होंने आगे आश्वासन दिया कि उनके, उनकी पत्नी अंजलि द्वारा बच्चों को हर संभव मदद प्रदान की जाएगी। सचिन ने बच्चों से बात करते हुए उनसे उनकी आकांक्षाओं के बारे में पूछा, जिस पर कुछ बच्चों ने कहा कि वे शिक्षक, पुलिस कर्मी बनना चाहते हैं।
जिन बच्चों ने कहा कि वे शिक्षक बनना चाहते हैं, उन्होंने सचिन से वादा किया कि वे अन्य वंचित बच्चों को पढ़ाने के लिए इस 'सेवा कुटीर' में लौटेंगे। सचिन का कहना था कि किसी को भी अपनी जड़ों को नहीं भूलना चाहिए। जैसे कोई यहां उन्हें पढ़ाने आ रहा हो, एक दिन वे यहां आएंगे और आने वाली पीढ़ी को पढ़ाएंगे।
कहा जाता है, एक बार जब आप गेंद को रोल करते हैं तो यह गति पकड़ती है और थोड़ा धक्का देने की जरूरत है। इन्हीं के वादे के साथ बच्चों की एक श्रृंखला बनेगी और इसे तोड़ा नहीं जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि
करीब 150 बच्चे ऐसे हैं जिनके सपने हैं और हम सपोर्ट करेंगे, प्लेटफॉर्म देंगे। वे वो बन सकते हैं जो वे बनना चाहते हैं।