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एम्बुलेंस में ऑक्सीजन नहीं मिलने पर तड़प-तड़पकर मर गई मासूम, पिता गोद में लाश लेकर भटकता रहा
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आरोन के गुलाबगज निवासी अनिल वंशकार ने बताया कि उनकी 2 महीने की बेटी कनक की तबीयत बेहद खराब थी। मंगलवार दोपहर उसे ग्वालियर रेफर किया गया था। लेकिन एम्बुलेंस शाम 6 बजे आई। उल्लेखनीय है कि एक एम्बुलेंस में 14 किलो ऑक्सीजन होती है। यह 200 किमी की दूरी तय कर लेती है। ऐसे में रास्ते में ही ऑक्सीजन खत्म होना सवाल खड़े करता है। इस मामले में जिगित्सा हेल्थ केयर के समन्वयक गिर्रराज तोमर तर्क देते हैं कि ऐसा तकनीकी खराबी से हुआ होगा। लेकिन इसके लिए कौन जिम्मेदार होगा? बताते हैं कि गरीब पिता ने 3000 रुपए में प्राइवेट गाड़ी की, तब वो शिवपुरी से बच्ची की लाश लेकर घर लौट सका। आगे देखिए लॉकडाउन में परेशान होते बच्चों की कुछ तस्वीरें...
यह तस्वीर गुवाहाटी की है। लॉकडाउन के दौरान घर के लिए निकली एक फैमिली की बच्ची यूं लगेज पर सो गई।
यह तस्वीर नई दिल्ली की है। घर वापसी के लिए गाड़ी के इंतजार में बैठी मां के पास यूं सो गई बच्ची।
यह तस्वीर मुंबई की है। घर वापसी के दौरान स्टेशन पर घबराकर यूं रो पड़ी बच्ची।
यह तस्वीर गुरुग्राम है। उदास दादी के पास लगेज पर सो रही उसकी पोती। ये लोग घर वापसी के लिए निकले थे।
यह तस्वीर नोएडा की है। गाड़ी के इंतजार में मां के साथ बैठी बच्ची थककर ऐसे लगेज पर ही सो गई।
यह तस्वीर गुरुग्राम की है। लॉकडाउन के दौरानी पानी की किल्लत। बच्चियों को पानी भरने निकलना पड़ रहा है।