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मां की मौत-पिता चल नहीं पाते, 3 मासूम तपती धूप में 5 KM नंगे पैर चलकर जुटाते हैं 2 वक्त की रोटी
इंदौर. कोरोना के कहर से निपटने के लिए देश भर में लागू लॉकडाउन ने ऐसे-ऐसे दिन दिखा दिए हैं, जिसकी किसी कल्पना तक नहीं की थी। इस तालाबंदी का सबसे ज्यादा असर लाखों दिहाड़ी मजदूरों पर पड़ा है। जिनको इस संकट के वक्त दो वक्त की रोटी के लिए क्या-क्या नहीं करना पड़ा रहा है। ऐसी एक रूला देने वाली तस्वीर मध्य प्रदेश के इंदौर जिले से सामने आई है। जहां 3 बच्चों को तपती दोपहरी में अपना पेट भरने के लिए 5 किलोमीटर नंगे पैर जाना पड़ता है
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यह मार्मिक तस्वीर इंदौर जिले के देपालपुर ग्राम पंचायत से सामने आई है। जहां यह तीन भाई-बहन अपने गांव से करीब 5 किलोमीटर दूर एक प्रेट्रोल पंप पर पैदल चलकर राशन लेने जाते हैं। इनके मां की कुछ महीने पहले बीमारी के चलते मौत हो चुकी है। पिता एक्सीडेंट के चलते चल नहीं पाते हैं। ऐसे हालातों में इन बच्चों को ही दो वक्त की रोटी का इंतजाम करना होता है। जब मासूमों को धूप में नंगे पैर राशन लेने जाने की जानकारी यहां के समाजसेवी राजेंद्र चौधरी को लगी तो उन्होंने एक दुकान खुलवाकर इनके लिए 10 जोड़ी चप्पल भिवजा दिए। बच्चों का कहना है कि वह पहली बार पैर में इनको पहनेंगे।
यह तस्वीर भी इंदौर शहर की है, जहां यह मजदूर परिवार लॉकडाउन के पहले तीन बच्चों को साथ लेकर गुजरात से यहां आया हुआ था। लेकिन लॉकडाउन लागू हो जाने के चलते यहीं फंस गए। उनकी तीन बेटियां अभी भी गुजरात में अकेली रह रही हैं।
परिवार की वह तीन बेटियां जो माता-पिता के इंदौर आने के बाद गुजरात में रह रही हैं।
यह दर्दनाक तस्वीर एमपी के खंडवा से सामने आई है। जहां एक मजदूर मुंबई से यूपी जाने के लिए निकले। 552 किमी का सफर तय करके वो यहां पहुंचा हुआ था। उसने जब अपना जूता उतारा तो पता चला कि उसके पैर का अंगूठा फट चुका है और तलवे में छाले पड़ चुके हैं।
झकझोर देने वाली यह तस्वरी बिहार के गया जिले के शिवगंज गांक की है। जहां लॉकडाउन के बीच दबंगों की दबंगई के भी मामले सामने आ रहे हैं। पहले दबंगों ने परिवार के करीब छह सदस्यों के साथ मारपीट की। इतने में मन नहीं भरा तो एक नौ महीने की बच्ची के साथ भी उन्होंने क्रूरता की और उसकी तीन उंगलियों के नाखून उखाड़ दिए।
यह तस्वीर इंदौर से कुछ दिन पहले सामने आई थी। जहां एक महिला तपती धूप में गुजरात से पैदल चलकर अपने घर प्रयागराज जा रही थी। उसके एक हाथ में ट्रॉली बैग था तो दूसरे हाथ में 9 महीने के मासूम बेटे को लिए हुई थी। जब इंदौर पुलिस को पता चला तो उन्होंने महिला को कानपुर तक पहुंचाने की व्यवस्था की।