- Home
- States
- Madhya Pradesh
- पत्नी की मौत के बाद महाकाल के चरणों में चढ़ाए लाखों के गहने, करवाचौथ से एक दिन पहले पूरी की अंतिम इच्छा
पत्नी की मौत के बाद महाकाल के चरणों में चढ़ाए लाखों के गहने, करवाचौथ से एक दिन पहले पूरी की अंतिम इच्छा
झारखंड/मध्य प्रदेश. 24 अक्टूबर, यानि आज रविवार को देश की लाखों सुहागिनों ने पति की लंबी आयु के लिए करवा चौथ (karwa chauth 2021) रखा है। इस खास मौके पर पति भी पत्नी को खुश करने के लिए उनको तरह-तरह के तोहफे देते हैं। इस दिन उनकी हर एक इच्छा को पूरी किया जाता है। लेकिन इसी बीच झारखंड के बोकारो से प्रेम की एक सच्ची प्रेम कहानी सामने आई है। जहां पति ने अपनी पत्नी की मौत के बाद करवाचौथ से एक दिन पहले उसकी अंतिम इच्छा पूरी की। उसने उज्जैन के महाकाल के दरबार में बीवी के 17 लाख रुपए के सोने गहने चढ़ाए। पढ़िए एक पति-पत्नी की सच्ची प्रेम कहानी...
- FB
- TW
- Linkdin
दरअसल, झारखंड के बोकारो के निवासी संजीव कुमार अपनी में के साथ शनिवार को उज्जैन में बाबा महाकाल के दर्शन करने के लिए पहुंचे हुए थे। साथ में उनकी मां सूरत प्यारी भी थीं। जहां उन्होंने स्व. रश्मि प्रभा की अंतिम इच्छा को पूरा करने के लिए उसके करीब 370 ग्राम सोने आभूषण भगवान के चरणों में समर्पित किए।
पति संजीव ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि उनकी पत्नी रश्मि बाबा माहाकाल की भक्त थी। वह अक्सर बाबा के दर्शन करने के लिए आती थी। उसने अंतिम समय कहा था कि मेरे जितने भी गहने हो उनको महकाल के चरणों में चढ़ा देना। इसलिए उनकी अंतिम इच्छा पूरा क करन के लिए उज्जैन आए हुए हैं।
संजीव कुमार ने बताया कि उनकी पत्नी रश्मि प्रभा का पिछले दिनों बीमारी के चलते निधन हो गया था। लेकिन अंत समय में भी पत्नी के मुख से भगवान महाकाल का नाम निकला। इतना ही नहीं अंतिम इच्छा भी बाबा के लिए कही। इसी उद्देशय से मैंने उनके सारे आभूषणों को महाकाल के दरबार में समर्पित कर दिए।
बता दें कि इस मौके पर महाकाल मंदिर समीति के प्रशासक गणेश कुमार धाकड़ और अन्य सदस्यों ने संजीव कुमार और उनकी मां का शॉल, श्रीफल व प्रसाद देकर सम्मान किया। इसके अलावा बाबा के चरणों में चढ़ाए अभूषणों के दान की रसीद भी दी गई।
बता दें कि इस मौके पर महाकाल मंदिर समीति के प्रशासक गणेश कुमार धाकड़ और अन्य सदस्यों ने संजीव कुमार और उनकी मां का शॉल, श्रीफल व प्रसाद देकर सम्मान किया। इसके अलावा बाबा के चरणों में चढ़ाए अभूषणों के दान की रसीद भी दी गई।