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बेबसी की तस्वीर देख हो जाएंगे भावुक: बैल की जगह महिलाएं खींच रहीं हल..भूखे मरने की आ गई नौबत
आगर-मालवा (मध्य प्रदेश). आज भारत की महिलाएं पूरी दुनिया में अपनी सफलता का परचम लहरा रही हैं। सेना से लेकर खेल जगत और फायटर प्लेन तक उड़ा रही हैं। लेकिन मध्य प्रदेश से एक ऐसी तस्वीर सामने आई है, जो कई सवाल खड़ा करती है। जहां गरीबी के चलते महिलाएं बैल बनकर हल जोतने पर मजबूर हैं। आइए जानते हैं इन महिलाओं की बेबसी...
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दरअसल, मशीनी करण के युग में मानवता को शर्मसार करने वाली यह तस्वीर आगर मालवा जिले से सामने आई है। जहां गरीबी के चलते एक परिवार की महिलाओं को बैलों की जगह लेकर खेतों में जुताई करनी पड़ रही है। परिवार के पास इतने पैसे भी नहीं बचे हैं कि वह बैल खरीद सकें। आखिर में मजबूर होकर अपनी तीन बीघा जमीन खुद ही जोतने लगीं।
यह महिलाएं अपने सोयाबीन बोए वाले खेत में उग आए खरपतवार को नष्ट करने के लिए कल्पा चला रही हैं। जानकारी में सामने आया है कि उन्होंने खुद ही हल चलाकर इसकी बुआई की है। यह परिवार दो वक्त की रोटी के लिए भी मजबूर है।
इन महिलाओं के साथ उनके छोटे-छोटे बच्चे भी उनका हाथ बंटाते हुए नजर आए। वह भी हर तरह से परिवार की खेतों में मदद करने से पीछने नहीं हैं। जिन हाथों में पढ़ने-लिखने की किताबें होनी थीं, अब वह खेतों में तपती धूम में तप रहे हैं।
इन तस्वरों को देखकर लगता है कि जितनी तस्वीर भयावह है उससे कहीं ज्यादा सरकारी सिस्टम के लिए चुनौती भी है। सरकार की चलने वाली तमाम गरीबों की योजनाएं कैसे सरकारी ऑफिसों की फाइलों में बंद हैं।जो सचमुच योजना का हकदार उसे किसी भी शासकीय योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है।