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गैस त्रासदी: 10 तस्वीरों में देखिए भोपाल की वो भयावह रात, जब लाशें ढोने को गाड़ियां और कफन कम पड़ गए
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दरअसल, यह खौफनाक घटना 2-3 दिसंबर की साल 1984 में हुई थी। जिसको आज पूरे 36 साल हो गए, लेकिन इसके बावजूद भी लोगों के जख्म नहीं भरे हैं। आलम यह है कि आज भी उसका दर्द झेल रहे हैं। उस भयावह पल को जो भी याद करता है तो उसकी आंखों से आंसू आ जाते हैं।
बता दें कि मध्य प्रदेश सरकार और प्रशासन के मुताबिक, इस गैस त्रासदी से कुल 5 लाख लोग से ज्यादा प्रभावित हुए थे। वहीं, 4 के आसपास लोगों की मौत हुई थी। हालांकि, प्रशासन ने शुरुआत में मरने वालों की संख्या 2,259 बताई थी, जिसे बाद में आंकड़ा बढ़ गया था।
2-3 दिसंबर रात 10 बजे के आसपास गैस रिसाव हुआ था। करीब एक घंटे बाद 11 बजे के बाद इसका असर दिखने लगा था। जो जहां था घर या सड़क पर वहीं बेसुध होकर गिरने लगा था। देखते ही देखते पूरे शहर में अफरा-तफरी मच गई। हर कोई चीख रहा था बचाओ-बचाओ हम मर जाएंगे और हुआ भी ऐसा ही।
घटना के वक्त तैनात पुलिसकर्मियों को यह समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या करें। जहां देखो वहां लाशों का ढेर लग हुआ था। हमीदिया अस्पताल में लाशों से भरे ट्रक लगातार आ रहे थे। डॉक्टर यह खौफनाक सीन देखकर हैरान थे कि पूरी जिंदगी ऐसा भयावह सीन आजतक नहीं देखा।
इस गैसकांड का आलम यह था कि भोपाल की सबसे बड़ी हमीदिया अस्पताल में लोगों को पर्याप्त इलाज भी नहीं मिल पा रहा था। कहीं किसी का बेटा पिता के सामने तड़प रहा था तो कहीं पत्नी अपने पति के इलाज के लिए बिलखते हुए हाथ जोड़कर गुहार लगा रही थी।
हरीली गैस के कारण कई लोगों की आंखों की रोशनी चली गई। जिसने भागने की कोशिश की वह भट्ठी में गिर गए।
यह तस्वीर दिखाती है कि गैस लीक होने के बाद भोपाल में कैसा मंजर हो गया था।
जहरीली गैस के कारण कई लोगों की आंखों की रोशनी चली गई। जिसने भागने की कोशिश की वह भट्ठी में गिर गए।
इस तस्वीर में देखिए किस तरह एक की गांधी मेडिकल कॉलेज में एक लड़की की लाश लाई गई थी। इसके बाद अस्पताल में इनका सिलसिला बढ़ता गया।
इस गैस कांड में इंसान तो इंसान हजारों पशु-पक्षी और जानवर भी मारे गए थे।