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10 PHOTOS: दिन के उजाले में देखिए 'महाकाल लोक' की भव्यता, 900 मीटर लंबे गलियारे से गर्भगृह पहुंचेंगे भक्त
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12 अक्टूबर से श्रद्धालु आम दिनों की तरह बाबा महाकाल के दर्शन कर सकेंगे। उद्घाटन से पहले महाकाल के गर्भगृह और नंदी हाल के साथ ही परिसर के सभी मंदिरों को रंग-बिरंगी रोशनी से सजाया गया है।
महाकाल लोक के लोकार्पण से पहले गायक कैलाश खेर महाकाल स्तुति पढ़ेंगे, जिसे उन्होंने 15 दिन में खुद तैयार किया है। मध्यप्रदेश, गुजरात, झारखंड, केरल समेत 6 राज्यों के करीब 700 कलाकार इस दौरान प्रस्तुति देंगे।
झारखंड के जनजातीय इलाकों से आए 12 कलाकार पीएम मोदी के सामने अपनी सांस्कृतिक परंपरा अनुसार भस्मासुर की प्रस्तुति देंगे। प्रधानमंत्री इलेक्ट्रिक व्हीकल से महाकाल लोक का अवलोकन करेंगे। इस दौरान वे कलाकारों से भी मिल सकते हैं।
महाकाल लोक के उद्घाटन का लाइव टेलिकास्ट 40 देशों में होगा। शिप्रा नदी के सभी घाटों पर एक लाख से ज्यादा श्रद्धालु बड़ी स्क्रीन पर लोकार्पण कार्यक्रम देख सकेंगे।
मंदिर परिसर को सजाने के लिए 250 क्विटंल फूल पुणे-बेंगलुरू से मंगवाए गए हैं। सोमवार शाम से ही सभामंडपम्, नंदी हॉल, कार्तिकेय, गणेश मंडपम् को फूलों से सजाने का काम शुरू हो गया था। श्रद्धालु कार्तिकेय मंडपम से बाबा महाकाल के दर्शन कर सकेंगे।
बता दें कि महाकाल लोक को तैयार करने में 4 साल से भी ज्यादा का समय लगा है। महाकाल की खासियत है कि 12 ज्योतिर्लिंगों में अकेले महाकालेश्वर ही दक्षिण मुखी हैं। पीएम मोदी अमृत सिद्धि योग में इसका लोकार्पण करेंगे।
महाकाल लोक में आने वाले भक्तों को नीलकंठ महादेव, सती के शव के साथ शिव, कैलाश पर शिव, गजासुर संहार, आदि योगी शिव, योगेश्वर अवतार, कैलाश पर रावण की प्रतिमाएं शिव की महिमा का गुणगान करती दिखेंगी।
महाकाल लोक में चार मुख्य द्वारा होंगे। इनके नाम पिनाकी, शंख, नंदी और नीलकंठ हैं। दूसरे फेज में दो मुख्य द्वार और बनाए जाएंगे। पूरा बनने के बाद इन चारों गेट से श्रद्धालु महाकाल लोक कॉरिडोर में प्रवेश कर सकेंगे।
महाकाल लोक में कई औषधीय पौधे लगाए गए हैं। यहां भगवान शिव को प्रिय शमी और बेलपत्र के अलावा नीम, पीपल, रुद्राक्ष, बकुल, कदम, सप्तपर्णी और वटवृक्ष भी लगाए गए हैं।
बता दें कि महाकाल मंदिर आज जैसा दिखता है, पुराने समय में ऐसा नहीं था। 11वीं सदी में गजनी के सेनापति और 13वीं सदी में दिल्ली के शासक इल्तुतमिश के मंदिर ध्वस्त कराने के बाद कई राजाओं ने इसका दोबारा निर्माण करवाया। लेकिन अब महाकाल परिसर एक अलग ही रूप में नजर आएगा।
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