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- Vijayadashami: पुणे में लक्ष्मीजी ने पहनी 16 किलो की सोने की साड़ी, बंगाल में सिंदूर खेला की फोटोज़ भी देखिए
Vijayadashami: पुणे में लक्ष्मीजी ने पहनी 16 किलो की सोने की साड़ी, बंगाल में सिंदूर खेला की फोटोज़ भी देखिए
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साड़ी को तैयार करने में लगा था 6 महीने से ज्यादा वक्त
यह साड़ी देवी को साल में दो बार दशहरा और लक्ष्मी पूजन के अवसर पर पहनाई जाती है। यहां पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु जुटते हैं। दक्षिण भारतीय कारीगरों ने 11 साल पहले इस साड़ी को तैयार किया था। इस साड़ी को बनाने में 6 महीने से ज्यादा का वक्त लगा था।
मां दुर्गा को सोने की आंखें और मास्क पहनाया
कोलकाता के एक पंडाल में मां दुर्गा को सोने की आंखें लगायी गई और सोने की साड़ी और सोने का मास्क भी पहनाया, जिसकी देशभर में चर्चा होती रही। इस साड़ी में हालांकि 6 ग्राम सोने का ही इस्तेमाल किया गया था जबकि सोने की आंखें 10 से 11 ग्राम की थी। इस पर कुल 1.5 लाख रुपए का खर्च आया था।
इस सोने की साड़ी को पूजा के बाद गरीब लड़की को दान कर दिया जाएगा, जिसकी हाल ही में शादी होने वाली है। इस प्रतिमा की हर जगह चर्चा हो रही है और लोग इसकी जमकर तारीफ भी कर रहे हैं।
इसी तरह पश्चिम बंगाल में सिंदूर खेला का आयोजन हो रहा है। मां दुर्गा की पूजा के बाद महिलाएं जश्न मनाते हुए एक-दूसरे को सिंदूर लगा रही हैं। नीचे देखिए सिंदूर खेला की तस्वीरें..
मिनी बंगाल कहे जाने वाले वाराणसी में सुबह से सिंदूर खेला का आयोजन हो रहा है। बंगाली समाज की महिलाओं ने सिंदूर खेला की 400 साल से ज्यादा पुरानी परंपरा का निर्वाह किया।
नवरात्र में मां दुर्गा के आखिरी दिन यानी विजयादशमी के दिन पंडालों में महिलाएं मां दुर्गा को सिंदूर अर्पित करती हैं।
विजयादशमी (Vijayadashami) का त्योहार आज पूरे देश में मनाया जा रहा है। इस दिन ना सिर्फ बुराई के प्रतीक रावण (Rawan) के पुतलों का दहन किया जाता है, बल्कि मंदिरों को आकर्षक तरीके से सजाया जाता है और विशेष अनुष्ठान किए जाते हैं।
महाराष्ट्र: पुणे के महालक्ष्मी मंदिर में देवी को विजयादशमी पर सोने की साड़ी में लपेटा गया। मंदिर के पुजारी दीपक वानरसे कहते हैं- सोने की साड़ी का वजन 16 किलोग्राम है और एक भक्त ने भेंट की थी। हम पिछले 11 वर्षों से इस परंपरा का पालन कर रहे हैं।