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महाराष्ट्र में कुंवारे दूल्हों का आन्दोलन, घोड़े पर सवार दूल्हे प्रशासन से बोले- अब तो मेरी शादी करवाओ
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सभी दूल्हों ने शेरवानी या फिर कुर्ता-पायजामा पहन रखे थे और अपने गले में तख्तियां लिए हुए थे। तख्तियों पर लिखा था, "एक पत्नी चाहिए, एक पत्नी! मुझसे शादी करने के लिए कोई भी एक लड़की दे सकता है!", "सरकार, होश में आओ और हमसे बात करो, तुम्हें हमारी दुर्दशा पर ध्यान देना होगा!"
एनजीओ ज्योति क्रांति परिषद के अध्यक्ष रमेश बारस्कर ने कहा कि बुधवार के जुलूस में सभी हताश कुंवारे 25-40 के बीच की उम्र के थे, ज्यादातर पढ़े-लिखे और सम्मानित मध्यवर्गीय परिवारों से थे, जिनमें कुछ किसान, कुछ निजी कंपनियों में काम करने वाले भी थे।
उन्होंने कहा स्त्री-पुरूष अनुपात बिगड़ने के कारण, इन स्वस्थ, कमाऊ और सक्षम पुरुषों को वर्षों तक विवाह के लिए लड़कियां नहीं मिलती। स्थिति इतनी खराब है कि वे किसी भी लड़की से शादी के लिए तैयार हैं, जाति, धर्म, विधवा, अनाथ, कुछ मायने नहीं रखता।
आंदोलन करते हुए युवा कलेक्ट्रेट पहुंचे और कलेक्टर को एक लेटर दिया। इसमें उन्होंने अविवाहित लोगों के लिए दुल्हन ढूंढ़ने की भी मांग की है। आंदोलनकारियों ने कहा कि हमें शादी करने के लिए लड़की नहीं मिल रही है, इसीलिए सरकार और प्रशासन लड़की ढूंढने में हमारी मदद करे।