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चीनी ऐप पर बैन होने के बाद दो दोस्तों ने तैयार किया आपके बड़े काम का यह देसी स्कैनर ऐप
मुंबई. जरूरी कागजों(डॉक्यूमेंट्स) को सहेजकर रखना बड़ा पेंचीदा काम होता है। अकसर हम मोबाइल के जरिये कागजात की फोटो खींचकर सेव कर लेते हैं। लेकिन इनकी क्वालिटी इतनी खराब हो जाती है कि उन्हें पढ़ पाना मुश्किल होता है। गूगल प्ले स्टोर पर कई डॉक्यूमेंट्स स्कैनर ऐप मौजूद हैं। हालांकि वे फ्री नहीं हैं। चीनी ऐप फ्री थे, लेकिन भारत सरकार ने उन पर बैन लगा दिया। ऐस में लोगों को बड़ी समस्या हो रही थी। इसी समस्या के समाधान के रूप में सामने आया है एआई यानी Artifical Intelligence पर आधारित रीडिंग असिस्टेंट और डॉक्यूमेंट स्कैनर ऐप। इसे बनाया है आईआईटी बॉम्बे में सिविल इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट में बीटेक अंतिम वर्ष के दो छात्रों रोहित कुमार चौधरी और कविन अग्रवाल ने। इस ऐप को फ्री में डाउनलोड किया जा सकता है। पढ़िए इसके बारे में...
| Published : Aug 31 2020, 10:28 AM IST / Updated: Aug 31 2020, 10:30 AM IST
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Reading Assistant and Document Scanner app 15 अगस्त को लॉन्च किया गया था, लेकिन अब यह लोगों की नजरों में आना शुरू हुआ है।
इस ऐप को बनाने वाले रोहित कुमार चौधरी और कविन अग्रवाल बताते हैं कि भारत सरकार ने जब चीन के कई ऐप बैन किए, तो लोगों को डॉक्यूमेंट्स स्कैन करके रखने में दिक्कत होने लगी थी। इसके बाद उन्होंने यह फ्री ऐप लॉन्च किया।
रोहित और कविन ने बताया कि हम ऐसे ऐप पर विचार कर रहे थे, जो अंग्रेजी पढ़ने को आसान बना दे। यह ऐप आपके डॉक्यूमेंट्स को मोबाइल की मेमोरी में सेव करता है, इसलिए यह सुरक्षित है। यानी आप डॉक्यूमेंट्स स्टोरेज करने किसी भी क्लाउड स्टोरेज का इस्तेमाल नहीं कर सकते।
रोहित और कविन ने बताया अभी उनका ऐप सिर्फ अंग्रेजी भाषा में उपलब्ध है। बहुत जल्द यह कई भाषाओं में उपलब्ध होगा। इस पर काम चल रहा है।
आगे पढ़ें...लॉकडाउन में 10वीं पास सास ने बहू के संग मिलकर बनाया गजब का मोबाइल एप, देता है घर बैठे रोजगार
धनबाद, झारखंड. क्रियेटिविटी के लिए उम्र कोई मायने नहीं रखती। अब इन सास और बहू से ही मिलिए! सास मनोरमा सिंह की उम्र है 70 साल, जबकि बहू स्वाति कुमारी 32 साल की हैं। दोनों ने कोरोना काल का सदुपयोग किया और इस मौजूदा संकट में पढ़े-लिखे युवाओं को रोजागार दिलाने एक जबर्दस्त एप बना दिया। इसका नाम Guru-Chela रखा गया है। इस एप के जरिये छात्र-छात्राएं अपने लिए ट्यूशन ढूंढ सकते हैं। यानी शिक्षक भी अपने के लिए छात्र-छात्राएं। यानी यह एप ऑनलाइन या ऑफलाइन क्लासेस के लिए शिक्षक ढूढ़ने का बढ़िया जरिया है। सास-बहू ने यह एप सिर्फ 2 महीने में तैयार कर दिया। सास-बहू ने बताया कि एप के जरिये इस साल 250 लोगों को रोजगार दिलाने का लक्ष्य रखा गया है। सबसे बड़ी बात सास महज 10वीं पास हैं। बहू ने बीएड किया हुआ है।