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7 साल पहले आई प्रलय ने लील ली थीं हजारों जानें, लेकिन एक 'चमत्कार' से बच गया था केदारनाथ मंदिर

देहरादून. 17 जून 2013 को उत्तराखंड में बाढ़ आई थी। इसमें करीब 10 हजार लोग बह गए थे। इस हादसे को आज साल हो गए हैं। 17 जून आते ही ना कितनों के जख्म हरे हो जाते हैं, लोगों के सामने वे दृश्य आने लगते हैं, जिनमें हर तरफ सिर्फ पानी ही पानी नजर आता है और इस पानी के बीच में फंसे लोग। इस बाढ़ से ना केवल उत्तराखंड का रुद्रप्रयाग जिला बल्कि पूरा उत्तर भारत प्रभावित हुआ था। इस दौरान करीब 5 हजार गांवों क नुकसान पहुंचा था। लेकिन इस दौरान एक चमत्कार भी लोगों ने देखा था। यहां सिर्फ केदारनाथजी का मंदिर ही बचा था। बाकि सब कुछ बह गया था। 

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Asianet News Hindi
Published : Jun 17 2020, 08:57 AM IST
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कहां स्थित है मंदिर?
केदारनाथ हिमालय पर्वत क्षेत्र में है। यह उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में आता है। केदारनाथ 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है और सबसे ज्यादा ऊंचाई पर स्थित है। केदारनाथ की ऊंचाई समुद्र तल से 11 हजार 800 फीट है। यहां आस पास कोई पेड़ पौधे नहीं हैं। चारों तरफ सिर्फ पर्वत और नदियों और झीलें हैं। 

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क्या हुआ था उस दिन?
जून के दूसरे हफ्ते में उत्तराखंड में भारी बारिश हो रही थी। लेकिन शुरुआती दो दिन तक रुद्रप्रयाग में सामान्य बारिश हो रही थी। लेकिन 16 जून को 89 मिमी बारिश हो गई थी। 16 जून की शाम को माहौल बदलने लगा। कुछ घंटों में ही केदारनाथ मंदिर पानी से पूरा भर गया। यहां बिजली के पावर हाउस भी फेल हो गए। तेज बारिश से जगह जगह लैंडस्लाइड होने लगे। पुल-सड़क बह गए। 

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17 जून को लगातार बारिश होने की वजह से नदियां उफान पर आ गईं। मंदाकिनी नदी भी खतरे के निशान के ऊपर बहने लगी। मंदिर की ओर पानी मुड़ने से कीचड़, मलबा जा घुसा। इससे तबाही मचने लगी। 

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पूरे मानसून पीरियड से ज्यादा 5 दिन में बारिश हुई
उत्तराखंड सरकार के मुताबिक, 14 जून से 18 जून तक यहां साढ़े 3 हजार मिमी से अधिक बारिश हुई थी। इतनी बारिश जून से सितंबर तक मानसून पीरियड में भी नहीं होती।

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इस एक चमत्कार से बचा मंदिर
केदारनाथ मंदिर के तीर्थ पुरोहित समाज समिति के अध्यक्ष पं. विनोद शुक्ला भी त्रासदी के वक्त मंदिर में थे। उन्होंने बताया कि 17 जून को मंदाकिनी नदी उफान पर थी। नदी का बहाव इतना तेज था कि बड़ी बड़ी चट्टानें बह कर आ रही थीं। थोड़े समय में ही केदारनाथ का पूरा क्षेत्र तबाह हो गया था।

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यहां घर, होटल और धर्मशालाएं सभी बर्बाद हो गए थे। हालांकि, हजारों साल पुराने इस मंदिर का कुछ नहीं बिगड़ा। लोग इसे चमत्कार मानते हैं।

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शुक्ला के मुताबिक, बाढ़ में पानी मंदिर की ओर बढ़ रहा था। लेकिन उसी वक्त एक बड़ी चट्टान मंदिर के सामने आ गई। इस चट्टान की वजह से नदी का पानी दो हिस्सों में बंट गया। इससे मंदिर का पानी दो भागों में बंट गया।

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लोग इसे केदारनाथ जी का चमत्कार बताते हैं। यहां प्रलय में मंदिर को छोड़कर पूरा क्षेत्र तबाह हो गया।

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