MalayalamNewsableKannadaKannadaPrabhaTeluguTamilBanglaHindiMarathiMyNation
  • Facebook
  • Twitter
  • whatsapp
  • YT video
  • insta
  • ताज़ा खबर
  • राष्ट्रीय
  • वेब स्टोरी
  • राज्य
  • मनोरंजन
  • लाइफस्टाइल
  • बिज़नेस
  • सरकारी योजनाएं
  • खेल
  • धर्म
  • ज्योतिष
  • फोटो
  • Home
  • National News
  • मस्जिदों से हो रहा था ऐलान,काफिरों को मारो;महिलाओं से हो रहे थे रेप...कश्मीरी पंडितों के दर्द के 30 साल

मस्जिदों से हो रहा था ऐलान,काफिरों को मारो;महिलाओं से हो रहे थे रेप...कश्मीरी पंडितों के दर्द के 30 साल

श्रीनगर. भारत के इतिहास का सबसे काला दिन 19 जनवरी 190 का जिसमें कश्मीरी पंडितों को अपने ही घर यानी जम्मू-कश्मीर से बेदखल कर दिया। इस जख्म के आज 30 साल बीत गए। इस बीच कितनी ही सरकारें बदलीं, कितने मौसम आए और चले भी गए। यही नहीं पीढ़ियां तक बदल चुकी हैं। लेकिन कश्मीरी पंडितों की घर वापसी और न्याय के लिए लड़ाई अभी भी जारी है। 19 जनवरी 1990 को जो हुआ यह कहानी किसी से छिपी नहीं है। दर्द की दास्तां बताते कश्मीरी पंडितों को दर दर की ठोकरें खाते हुए तीस साल बीत गए, लेकिन इस पीड़ित समुदाय का दर्द अब तक कम नहीं हो सका। 

5 Min read
Asianet News Hindi
Published : Jan 19 2020, 04:27 PM IST
Share this Photo Gallery
  • FB
  • TW
  • Linkdin
  • Whatsapp
  • GNFollow Us
18
सामने थे ये तीन विकल्प हीः नया साल देश और दुनिया के लोगों के लिए नए उमंग का त्यौहार होता है। खुशियां मनाई जाती हैं। लेकिन इस देश में कश्मीरी पंडित के लिए जनवरी महीना दुख, दर्द और निराशा वाला साबित हुआ। 19 जनवरी प्रतीक बन चुका है उस त्रासदी का, जो कश्मीर में 1990 में घटित हुई। जिहादी इस्लामिक ताकतों ने कश्मीरी पंडितों पर ऐसा कहर ढाया कि उनके लिए सिर्फ तीन ही विकल्प थे- या तो धर्म बदलो, मरो या पलायन करो। (कश्मीरी पंडितों की फाइल फोटो)
28
महिलाओं से हुए गैंगरेपः जम्मू-कश्मीर में जिहादी इस्लामिक ताकतों ने सैकड़ों कश्मीरी पंडितों को मौत के घाट उतार दिया था। महिलाएं खुद को बचाने के लिए चित्कार लगा रही थीं। लेकिन जिहादियों ने बर्बरता जारी रखी और सामूहिक दुष्कर्म कर उनकी हत्या कर दी। उन दिनों कितने ही लोगों की आए दिन अपहरण कर मार-पीट की जाती थी। पंडितों के घरों पर पत्थरबाजी, मंदिरों पर हमले लगातार हो रहे थे। (कश्मीरी पंडितों के पलायन के बाद से खाली पड़े घर, फाइल फोटो)
38
कदम-कदम पर हो रहे थे प्रताड़ितः घाटी में उस समय कश्मीरी पंडितों की मदद के लिए कोई नहीं था, ना तो पुलिस, ना प्रशासन, ना कोई नेता और ना ही कोई मानवाधिकार के लोग। उस समय हालात इतने खराब थे कि अस्पतालों में भी समुदाय के लोगों के साथ भेदभाव हो रहा था। सड़कों पर चलना तक मुश्किल हो गया था। कश्मीरी पंडितों के साथ सड़क से लेकर स्कूल-कॉलेज, दफ्तरों में प्रताड़ना हो रही थी- मानसिक, शारीरिक और सांस्कृतिक। (इस्लामिक कट्टरवाद, फाइल फोटो)
48
मस्जिदों से हो रहा था ऐलानः 19 जनवरी, 1990 की रात को अगर उस समय के नवनियुक्त राज्यपाल जगमोहन ने घाटी में सेना नहीं बुलाई होती, तो कश्मीरी पंडितों का कत्लेआम व महिलाओं के साथ सामूहिक दुष्कर्म और ज्यादा होता। उस रात पूरी घाटी में मस्जिदों से लाउडस्पीकरों से ऐलान हो रहा था कि 'काफिरो को मारो, हमें कश्मीर चाहिए पंडित महिलाओं के साथ ना कि पंडित पुरुषों के साथ, यहां सिर्फ निजाम-ए-मुस्तफा चलेगा...।' (पंडितों पर हुए जुल्म के खिलाफ विरोध की फाइल फोटो)
58
भगवान के रूप में आई सेनाः लाखों की तादाद में कश्मीरी मुसलमान सड़कों पर मौत का तांडव कर रहे थे। जो भी कश्मीरी पंडित मिलता उस पर अपना कहर बरपा रहे थे। अंत में तत्कालीन राज्यपाल जगमोहन ने सेना बुलाई। जिसके बाद सेना कश्मीरी पंडितों के बचाव में आई। ना कोई पुलिसवाला, ना नेता और ना ही सिविल सोसाइटी के लोग। लाखों की तादाद में पीड़ित कश्मीरी हिंदू समुदाय के लोग जम्मू, दिल्ली और देश के अन्य शहरों में काफी दयनीय स्थिति में जीने लगे, लेकिन किसी सिविल सोसाइटी ने उनकी पीड़ा पर कुछ नहीं किया। उस समय की केंद्र सरकार ने भी कश्मीरी पंडितों के पलायन या उनके साथ हुई बर्बरता पर कुछ नहीं किया। (विरोध की फाइल फोटो)
68
नहीं थम रहा था नरसंहार का दौरः कश्मीरी पंडितों के मुताबिक, 300 से ज्यादा लोगों को 1989-1990 में मारा गया। इसके बाद भी पंडितों का नरसंहार जारी रहा। 26 जनवरी 1998 में वंदहामा में 24, 2003 में नदिमर्ग गांव में 23 कश्मीरी पंडितों का कत्ल किया गया। तीस साल बीत जाने के बाद भी कश्मीरी पंडितों के खिलाफ हुए किसी भी केस में आज तक कोई कार्रवाई नहीं की गई। हैरानी की बात यह कि सैकड़ों मामलों में तो पुलिस ने एफआईआर तक दर्ज नहीं की। पलायन के बाद, कश्मीरी पंडितों के घरों की लूटापट की गई, कई मकान जलाए गए। कितने ही पंडितों के मकानों, बाग-बगीचों पर कब्जे किए गए। कई मंदिरों को तोड़ा गया और जमीन भी हड़पी गई। इन सब घटनाओं का आज तक पुलिस में केस दर्ज नहीं हुआ। (कश्मीरी पंडितों पर हुए जुल्म के खिलाफ न्याय की आस में, फाइल फोटो)
78
इनको उतार दिया मौत के घाटः कश्मीरी पंडितों के मुताबिक, भय, उत्पीड़न, प्रताड़ना से ग्रस्त कश्मीरी पंडितों के समुदाय के लिए किसी ने आज तक कोई आवाज नहीं उठाई है। न्यायाधीश नीलकंठ गंजू, टेलिकॉम इंजिनियर बालकृष्ण गंजू, दूरदर्शन निदेशक लसाकोल, नेता टिकालाल टपलू जैसे इस समुदाय के कई प्रतिष्ठित नाम थे जिनको मौत के घाट उतार दिया गया था और आज तक इन सब के केस में कुछ नहीं हुआ। इनके अलावा कई ऐसे नाम हैं, जिनके खिलाफ बर्बरता की गई, लेकिन आज तक कार्रवाई क्या केस तक दर्ज नहीं हुआ। गिरजा गंजू या फिर सरला भट्ट जिनका अपहरण कर सामूहिक दुष्कर्म किया गया और फिर लकड़ी चीरने की मशीन से जिंदा चीर दिया गया। ऐसे सैकड़ों हत्याएं की गईं, जिनमें न्याय आज तक नहीं हुआ। (कश्मीरी पंडितों की फाइल फोटो)
88
धारा 370 हटाए जाने के बाद जगी है आसः केंद्र सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर से धारा 370 को हटा लिया गया है। जिसके बाद कश्मीरी पंडितों को अब घर वापसी की उम्मीद जगी है। वर्ष 2020 में कश्मीरी पंडितों के लिए वाकई नया साल है। एक ओर जहां दर्द के 30 साल हो रहे हैं। वहीं, दूसरी तरफ अब कश्मीर में रहने की स्वतंत्रता के बाद से कश्मीरी पंडितों के चेहरे पर एक नई चमक देखने को मिली है। (घरवापसी की मांग को लेकर विरोध करते कश्मीरी पंडितों की फाइल फोटो)

About the Author

AN
Asianet News Hindi
एशियानेट न्यूज़ हिंदी डेस्क भारतीय पत्रकारिता का एक विश्वसनीय नाम है, जो समय पर, सटीक और प्रभावशाली खबरें प्रदान करता है। हमारी टीम क्षेत्रीय, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय घटनाओं पर गहरी पकड़ के साथ हर विषय पर प्रामाणिक जानकारी देने के लिए समर्पित है।

Latest Videos
Recommended Stories
Related Stories
Asianet
Follow us on
  • Facebook
  • Twitter
  • whatsapp
  • YT video
  • insta
  • Download on Android
  • Download on IOS
  • About Website
  • Terms of Use
  • Privacy Policy
  • CSAM Policy
  • Complaint Redressal - Website
  • Compliance Report Digital
  • Investors
© Copyright 2025 Asianxt Digital Technologies Private Limited (Formerly known as Asianet News Media & Entertainment Private Limited) | All Rights Reserved