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150 साल पुराने फांसीघर में 'मरने तक' फंदे पर लटकाए जाएंगे ये 'पागल प्रेमी' शबनम-सलीम
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हसनपुर कस्बे से सटे छोटे से गांव बावनखेड़ी के रहने वाले शौकत अली टीचर थे। शबनम उनकी हत्यारी बेटी है। पिता ने अपनी बेटी की परवरिश में कोई कसर नहीं छोड़ी। उसे अच्छे से पढ़ाया। MA करने के बाद शबनम शिक्षामित्र हो गई थी। लेकिन इसी दौरान वो अपने गांव के रहने वाले 8वीं पास सलीम के प्यार में पागल हो गई। ये दोनों अपने प्यार में ऐसे डूबे कि घर-परिवार की फिक्र भूल गए। चूंकि शबनम सैफी और सलीम पठान बिरादरी से था, इसलिए शबनम के परिजन इस रिश्ते के खिलाफ थे।
घटना 14-15 अप्रैल, 2008 की रात की है। खाना खाने के बाद शबनम, पिता शौकत अली, मां हाशमी, भाई अनसी और राशिद, भाभी अंजुम और फुफेरी बहन राबिया के अलावा भतीजा अर्श सब सोने चले गए। अचानक साजिश के तहत शबनम और उसके प्रेम सलीम ने अर्श का गला घोंट दिया, जबकि बाकी लोगों पर कुल्हाड़ी से दनादन वार कर दिए। इससे सभी की मौत हो गई।
(अपने परिवार के साथ बीच में शबनम)
शबनम हर हाल में सलीम से शादी करना चाहती थी। वो आए-दिन सलीम को अपने घर मिलने बुलाती थी। यह अलग बात है कि जब पुलिस ने पड़ताल के बाद दोनों को पकड़ा, तो ये एक-दूसरे पर इल्जाम लगाने लगे। लेकिन सर्विलांस से सारा खुलासा हो गया। शबनम की भाभी अंजुम के पिता लाल मोहम्मद ने कोर्ट में शबनम और सलीम के अवैध संबधों का खुलासा किया था।
(इसी घर में हुआ था यह हत्याकांड)
शबनम-सलीम के केस में कोर्ट में करीब 100 तारीखें हुईं। फैसले के दिन 29 गवाहों ने अपने बयान दिए। इस मामले में गवाहों से 649 सवाल पूछे गए। इसके बाद 160 पन्नों के फैसले में जज ने दोनों को फांसी की सजा सुनाई।
(जब शबनम को गिरफ्तार किया गया, दूसरे चित्र में घटनास्थल पर जब पुलिस पहुंची, तो यूं ड्रामा करते मिली थी शबनम)
मथुरा जेल के वरिष्ठ अधीक्षक शैलेंद्र कुमार मैत्रेयी बताते हैं कि जेल में 150 साल पहले फांसीघर बनाया गया था। भारत के इतिहास में यह पहला मौका है, जब किसी महिला को फांसी दी जाएगी। माना जा रहा है कि जल्लाद पवन दो बार फांसीघर का दौरा कर चुके हैं।
(ऐसे कुल्हाड़ी से काट दिया था सबको)