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ग्लेशियर टूटने से बन गई ये रहस्यमयी झील, 24 घंटे रखी जा रही नजर, ताकि फिर से कोई मौत का सैलाब न आए
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पहले जानते हैं झील की कहानी...
ग्लेशियर टूटने के बाद ऋषि गंगा के ऊपरी हिस्से पर बनी यह झील चिंता का विषय बनी हुई है। इसमें 4.80 करोड़ लीटर पानी भरा हुआ है। यह झील कहीं वहां बने डैम क दीवारों पर तो प्रेशर नहीं डाल रही, इसका पता करने एक सेंसर डिवाइस लगाई गई है।
झील के आसपास की गतिविधियों पर नजर गड़ाए रखने वहां क्यूडीए(क्विक डिप्लोयबल एंटीना) लगाया गया है। इस सिस्टम को देहरादून स्थित सचिवालय के कंट्रोल रूम से जोड़ा गया है। सेटेलाइट से भी झील पर नजर रखी जा रही है। क्यूडीए एक टेक्नोलॉजी है, इसे वहां स्थापित किया जाता है, जहां संचार सुविधा उपलब्ध नहीं है। इस सेटेलाइट के जरिये जोड़ा जाता है।
ITB के जवान और अन्य टीम झील से पानी खाली करने में लगे हैं। लेकिन यह काम सरल नहीं है। मलबा होने से इसमें दिक्कत आ रही है। सोमवार को केंद्रीय गृह सचिव ने वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिये झील के बारे में जानकारी ली। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह झील क्यों टेंशन बनी हुई है।
इस झील के मुहाने को और अधिक खोलकर इसक प्रेशर खत्म करने की कोशिश हो रही है। आपदा के बाद इस झील का निरीक्षण करने SDRF के 7 सदस्यों सहित 17 लोगों की टीम झील से पैदा हुए संकट का आकलन करने पहुंची थी।
इस बीच सरकार आपदा में लापता 136 लोगों को मृत घोषित करने जा रही है। इनमें कई तपोवन में एनटीपीसी (NTPC) के हाइड्रोपावर प्लांट में फंसे रह गए। हादसे के वक्त यहां काम चल रहा था। जिस वक्त ग्लेशियर फटा उस वक्त टनल की दूसरी तरफ 40 मजदूर काम कर रहे थे।
तस्वीर में देख सकते हैं कि ग्लेशियर टूटने से आई बाढ़ में इस डैम का क्या हाल हुआ। पानी के प्रेशर से फौलादी दीवारें भी तहस-नहस हो गई थीं।
यह है एनटीपीसी (NTPC) के हाइड्रोपावर प्लांट की वो टनल, जिसमें बाढ़ के बाद मलबा भर गया था। इसमें कई मजदूर फंसे रह गए। इनमें से कुछ को ही जिंदा बचाया जा सका।
चमोली हादसे को तीन हफ्ते से ज्यादा समय गुजर चुका है, लेकिन रेस्क्यू अभी खत्म नहीं हुआ है। रेस्क्यू टीम पूरी ताकत से वहां बह गए पुल बनाने और पीड़ितों की मदद में लगी है।
पहली तस्वीर रेस्क्यू टीम की है, जो प्राकृतिक आपदा से तहस-नहस हुए पुलों आदि के अलावा बाकी दूसरे इंतजामों को पहले जैसा बनाने में लगी है। दूसरी तस्वीर NTPC की टनल की है।
प्राकृतिक आपदा से वहां बने डैम को भारी नुकसान हुआ है। वहीं, चारों तरफ अभी भी मलबा दिख रहा है।