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डॉक्टर बनने का सपना लेकर घर छोड़ दिल्ली गया था आफताब, लेकिन दंगाइयों ने उतार दिया मौत के घाट
| Published : Mar 04 2020, 09:05 AM IST / Updated: Mar 04 2020, 02:53 PM IST
डॉक्टर बनने का सपना लेकर घर छोड़ दिल्ली गया था आफताब, लेकिन दंगाइयों ने उतार दिया मौत के घाट
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बिजनौर जनपद में नूरपुर के मोहल्ला शहीदनगर निवासी मोहम्मद उमर का छोटा बेटा आफताब 13 फरवरी को मोहल्ले के ही दो युवकों के साथ दिल्ली में मजदूरी करने गया था। वह शिव विहार में हनुमान मंदिर के पास रहकर कूलर की जाली बनाने का काम करता था। 24 फरवरी को दिल्ली में हुई हिंसा में वह लापता हो गया था। परिजन उसको दिल्ली के अस्पतालों में तलाश रहे थे।
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सोमवार को उसका शव आरएमएल अस्पताल की मोर्चरी में मिला। मंगलवार शाम साढ़े छह बजे परिजन शव लेकर नूरपुर पहुंचे। आफताब की मां रहीसन और बहनों का रो- रोकर बुरा हाल हो गया। शव को रात में ही सुपुर्द ए खाक कर दिया गया।
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परिजनों के अनुसार आफताब पढ़ने में होशियार था और कस्बे के न्यू हैवन इंटर कॉलेज में कक्षा 11 वीं का छात्र था। बड़े भाई फुरकान ने बताया कि आफताब चार बहनों और छह भाईयों में छोटा होने के कारण सबका लाडला था। परिवार की आर्थिक हालत खराब होने के कारण वह नौकरी करने दिल्ली गया, जबकि परिजनों ने उसे मना भी किया था।
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आफताब अहमद के घर की आर्थिक हालत अच्छी नहीं है। आफताब डॉक्टर बनना चाहता था, इसलिए वह पढ़ाई के साथ नौकरी करके घर खर्च में सहयोग करता था। लेकिन 23 फरवरी की देर शाम भड़की हिंसा जो 25 फरवरी को सुबह तक चलती रही। इस हिंसा में आफताब की मौत हो गई। (फोटोः दिल्ली हिंसा के बाद बुरी तरह से जल चुकी गाड़ियां)
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दिल्ली हिंसा में 48 लोगों की मौत हो गईः दिल्ली के उत्तर-पूर्वी इलाके में 23 फरवरी (रविवार) की शाम से हिंसा की शुरुआत हुई। इसके बाद 24 फरवरी पूरे दिन और 25 फरवरी की शाम तक आगजनी, पत्थरबाजी और हत्या की खबरें आती रहीं। हिंसा में 48 लोगों की मौत हो गई। मरने वालों में दिल्ली पुलिस का एक हेड कॉन्स्टेबल रत्नलाल और एक आईबी कर्मचारी अंकित शर्मा भी शामिल है।
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दिल्ली में कैसे शुरू हुई हिंसा?सीएए के विरोध में शाहीन बाग में करीब 2 महीने से महिलाएं प्रदर्शन कर रही हैं। 23 फरवरी (रविवार) की सुबह कुछ महिलाएं जाफराबाद मेट्रो स्टेशन के बाहर विरोध प्रदर्शन करने लगीं। दोपहर होते-होते मौजपुर में भी कुछ लोगों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। (फोटोः दिल्ली में हिंसा कितना भयावह था इसका अंदाजा राख बन चुकी गाड़ियों को देख कर लगाया जा सकता है।)
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शाम को भाजपा नेता कपिल मिश्रा ने ट्वीट किया। उन्होंने लिखा कि दिल्ली में दूसरा शाहीन बाग नहीं बनने देंगे। कपिल मिश्रा भी अपने समर्थकों के साथ सड़क पर उतर आए, जिसके बाद मौजपुर चौराहे पर दोनों तरफ से ट्रैफिक जाम हो गया। इसी दौरान सीएए का समर्थन और विरोध करने वालों के बीच पत्थरबाजी शुरू हो गई। यहीं से विवाद ऐसा बढ़ा कि तीन दिन तक जारी रहा। (फोटोः अपने परिवार के सदस्य की मौत पर रोते-बिलखते परिजन)