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3700kg विस्फोटक में धमाके के साथ चंद सेकंड में मलबे में बदल जाएगी यह 40 मंजिला इमारत, पूरी हो गई तैयारी
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आरडब्ल्यूए के वाइस प्रेसिडेंट ए सच्चर ने कहा कि हम एडवाइजरी का पालन कर रहे हैं। हमने पूरी तैयारी कर ली है। 28 अगस्त को सुबह 7 बजे तक आसपास के सभी लोगों और गाड़ियों को हटा लिया जाएगा। लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाने के बाद लिफ्ट, बिजली और पानी की सप्लाई बंद कर दी जाएगी। आसपास के सोसायटी के लोगों के साथ ही सभी मेंटेनेंस स्टाफ को भी सुरक्षित स्थान पर पहुंचा दिया जाएगा। दोपहर 12 तक धमाके वाली जगह के करीब कोई आदमी नहीं होगा। धमाका दोपहर 2:30 बजे होगा।
ट्विन टावर्स गिराने के लिए 3,700kg विस्फोटक लगाए गए हैं। विस्फोटकों को हर मंजिल पर लगाया गया है। इसके लिए दोनों टावरों में ड्रिल कर 9,400 छेद बनाए गए हैं। इन छेदों में विस्फोटक भरे गए हैं। इन्हें तार के माध्यम से एक-दूसरे से जोड़ा गया है। तार जोड़ने का काम अंतिम चरण में है। पिछले कुछ सप्ताह से ट्विन टावर्स में विस्फोटक लगाने का काम चल रहा है।
सुपरटेक के अवैध ट्विन टावर्स की ऊंचाई दिल्ली के कुतुब मीनार से भी अधिक है। यह भारत की सबसे ऊंची इमारत है, जिसे 28 अगस्त को दोपहर 2.30 बजे 9 सेकंड में ध्वस्त कर दिया जाएगा। इससे पहले भारत में कभी इतनी ऊंची इमारत को नहीं गिराया गया। बिल्डिंग गिरने के वक्त उठने वाले कंपन को कम करने के लिए इम्पैक्ट कुशन डिजाइन किए गए हैं। मलबा और धूल फैलने से रोकने के लिए कंटेनर लगाए गए हैं। भवनों को जाल और कपड़े से ढंका गया है।
बिल्डिंग गिराने का काम एडिफिस इंजीनियरिंग नाम की कंपनी कर रही है। कंपनी के पार्टनर उत्कर्ष मेहता ने कहा कि सभी विस्फोटकों में श्रृंखलाबद्ध धमाका होगा। इसमें 9-10 सेकंड लगेंगे। धमाके से बहुत तेज आवाज होगी। नोएडा के डीसीपी ट्रैफिक गणेश शाह ने कहा कि धमाके को लेकर की जा रही ट्रैफिक प्लानिंग अंतिम चरण में है। कुछ दिन पहले ट्विन टावर्स के सामने की सड़क को बंद कर दिया गया था। ट्विन टावर्स के पास की सभी सड़कों को धमाके वाले दिन बंद कर दिया जाएगा।
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ट्विन टावर्स गिराने से 35 हजार घन मीटर मलबा पैदा होगा। ट्रकों के माध्यम से इसे हटाने में करीब तीन महीने लगेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने धमाके की मदद से ट्विन टावर्स गिराने का आदेश दिया था। पहले ट्विन टावर्स को 21 अगस्त को गिराया जाना था, लेकिन नोएडा अथॉरिटी ने समय सीमा आगे बढ़ाकर 28 अगस्त करने की गुहार लगाई थी, जिसपर कोर्ट ने मंजूरी दे दी थी।
ट्विन टावर्स का निर्माण नियमों का उल्लंघन कर हुआ था। मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि यह नोएडा प्राधिकरण और सुपरटेक के बीच "नापाक मिलीभगत" का नतीजा था। कोर्ट ने आदेश दिया था कि कंपनी नोएडा प्राधिकरण और केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान जैसे एक विशेषज्ञ निकाय की देखरेख में अपने खर्च पर ट्विन टावर गिराएगी।
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