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अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट में हिंदू और मुस्लिम पक्ष के अपने पक्ष में क्या क्या दलीलें दी थीं
| Published : Nov 09 2019, 10:31 AM IST / Updated: Feb 05 2022, 03:26 PM IST
अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट में हिंदू और मुस्लिम पक्ष के अपने पक्ष में क्या क्या दलीलें दी थीं
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1528: बाबर ने यहां बाबरी मस्जिद बनवाई थी। हिंदू मान्यताओं के मुताबिक, इसी जगह पर भगवान राम जन्मे थे। 1813: हिंदू संगठनों ने आरोप लगाया कि भगवान राम के मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनवाई गई। इस दिन ही हिंदुओं और मुसलमानों के बीच पहली हिंसा हुई थी।
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1859: ब्रिटिश सरकार ने तारों की एक बाड़ खड़ी कर दी। अंदरूनी और बाहरी परिसर में मुस्लिमों-हिंदुओं को अलग-अलग पूजा-इबादत करने की इजाजत दी। 1885: ये मामला पहली बार अदालत पहुंचा। महंत रघुबर दास ने फैजाबाद अदालत में राम मंदिर के निर्माण की इजाजत के लिए अपील की।
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1949: हिंदुओं ने विवादित स्थल पर भगवान राम की मूर्ति रख दी। इसके बाद से हिंदू यहां नियमित पूजा होने लगी। जनवरी 1950: रामलला की पूजा-अर्चना की अनुमति के लिए गोपाल सिंह विशारद ने फैजाबाद अदालत में एक अपील दायर की।
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दिसंबर 1950: मस्जिद को ढांचा नाम देकर, महंत परमहंस रामचंद्र दास ने हिंदू प्रार्थनाएं जारी रखने की अनुमति के लिए मुकदमा दायर किया। 1959: विवादित स्थल हस्तांतरित करने के लिए निर्मोही अखाड़ा ने मुकदमा दायर किया।
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1 फरवरी 1986: फैजाबाद जिला जज ने विवादित स्थल पर हिदुओं को पूजा की इजाजत दी। नाराज मुस्लिमों ने बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी बनाई। जून 1989: भाजपा ने वीएचपी को औपचारिक समर्थन दिया।
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नवंबर 1990: आडवाणी को बिहार में गिरफ्तार किया गया। भाजपा ने नाराज होकर तत्कालीन प्रधानमंत्री वीपी सिंह की सरकार से समर्थन वापस ले लिया। अक्टूबर 1991: उत्तर प्रदेश में कल्याण सिंह की सरकार ने बाबरी मस्जिद के आस-पास की 2.77 एकड़ भूमि को अधिकार में ले लिया।
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18 दिसंबर 1961: बाबरी मस्जिद के मालिकाना हक के लिए उत्तर प्रदेश सुन्नी वक्फ बोर्ड ने मुकदमा दायर किया। 1984: मंदिर के लिए विश्व हिंदू परिषद ने अभियान चलाया। मंदिर निर्माण के लिए एक समिति का गठन भी किया गया।