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Metro Rail pillar collapse: पति को लगा आंखों के सामने पत्नी-बेटे की दर्दनाक मौत का सदमा-'मैंने सबकुछ खो दिया'
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चमत्कारिक रूप से बचे लोहित कुमार हादसे को याद करके फफक पड़े-"मेरी पत्नी और बच्चे बाइक पर मेरे साथ यात्रा कर रहे थे। मैं उन्हें अपने कार्यालय के रास्ते छोड़ने ही वाला था कि कुछ ही देर में यह घटना हो गई। मैंने सब कुछ खो दिया है। सुरक्षा सुनिश्चित की जानी चाहिए, ताकि ऐसी घटनाएं दुबारा न हों।"
बेंगलुरु मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (बीएमआरसीएल) ने इस दुखद घटना पर चिंता व्यक्त की और आश्वासन दिया कि भविष्य में ऐसी किसी भी घटना से बचने के लिए संगठन हर आवश्यक कदम उठाएगा। BMRCL के एमडी अंजुम परवेज ने मीडिया से बात करके कहा-"बीएमआरसीएल पीड़ितों के परिजनों को 20 लाख की अनुग्रह राशि( ex-gratia) प्रदान करेगा। जब निर्माण की बात आती है, तो हाई क्वालिटी स्टैंडर्ड का पालन करते हैं। इस मामले की विस्तृत जांच की जाएगी और देखेंगे कि यह टेक्निकल एरर था या मानव निर्मित। ऐसी घटनाओं को फिर से होने से रोकने के लिए कदम उठाए जाएंगे।"
घटना के बाद पुलिस और आपातकालीन सेवा के कर्मचारी मौके पर पहुंचे। बेगलुरु पूर्व के DCP डॉ. भीमाशंकर एस गुलेड ने कहा-आज(10 जनवरी) सुबह करीब 10:45 बजे, जब दंपति अपने जुड़वां बच्चों के साथ हेब्बल की ओर जा रहे थे, तभी बाइक पर मेट्रो का खंभा गिर गया। मां, तेजस्विनी और बेटा विहान गंभीर रूप से घायल हो गए और उन्हें एल्टिस अस्पताल में स्थानांतरित कर दिया गया, जहां दोनों ने दम तोड़ दिया।"
कर्नाटक कांग्रेस के राज्य प्रमुख डीके शिवकुमार ने इस घटना के लिए सत्तारूढ़ सरकार को दोषी ठहराया। शिवकुमार ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, "यह 40% कमीशन सरकार का परिणाम है। विकास कार्यों में गुणवत्ता नहीं है।"
इस बीच गोविंदपुरा पुलिस स्टेशन में मेट्रो पिलर ढहने के मामले में 5 संबंधित अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। FIR के मुताबिक, साइट इंजीनियर, मेट्रो ठेकेदार, साइट प्रभारी अधिकारी, बीएमआरसीएल अधिकारी और अन्य को शामिल किया गया है। मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने मृतकों के परिवार के लिए अनुग्रह राशि की भी घोषणा की है। इसके अलावा, बेंगलुरू मेट्रो रेल कॉरपोरेशन ने कहा कि बेंगलुरू में एक निर्माणाधीन मेट्रो पिलर गिरने के मामले में संबंधित ठेकेदारों और इंजीनियरों को नोटिस जारी किया गया है। प्रशासन ने कहा-“ठेकेदार और संबंधित इंजीनियरों को नोटिस जारी किए जा रहे हैं। 11एससी से जांच करने और रिपोर्ट उपलब्ध कराने का अनुरोध किया जाएगा। एक आंतरिक तकनीकी टीम भी मामले की जांच करेगी।'
विजय कुमार को इस बात का अंदाजा नहीं था कि एचबीआर लेआउट के पास आउटर रिंग रोड पर वह जिस ट्रैफिक जाम में फंस गए थे, उसी जगह पर उनके परिवार के दो सदस्यों की मौत हो जाएगी। तेजिस्वनी उनकी बहू थी।
घटना के अनुसार, लोहित सुबह अपने बच्चों को एक नर्सरी स्कूल और अपनी पत्नी को अपने कार्यालय छोड़ने के लिए टूव्हीलर से जा रहे थे, तभी यह हादसा हुआ।
विजय कुमार ने कहा-"मुझे पता ही नहीं चला वहां पिलर गिर गया है। मैंने सोचा कि अक्सर ट्रैफिक भीड़ में फंसना स्वाभाविक है। मैं गहरे दुख में हूं। इससे मुझे असहनीय क्षति हुई है। सुरक्षा सावधानियों को नजरअंदाज कर दिया गया।"
विजय कुमार ने आरोप लगाया कि जब मेट्रो रेल का काम चल रहा हो, तो किसी को भी खंभे के करीब 30 मीटर की दूरी तक जाने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए, लेकिन वाहन 5 और 10 फीट के भीतर चलते हैं, जो दिखाता है कि सुरक्षा उपाय कितने अवैज्ञानिक हैं।