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नक्सली हमला: बेटे का चेहरा देखने 4 घंटे भटकते रहे माता-पिता, सेकंड मैरिज एनिवर्सिरी से पहले हो गया शहीद

रायपुर, छत्तीसगढ़.  बीजापुर के तर्रेम में शनिवार को हुए नक्सली हमले में शहीद हुए सब इंस्पेक्टर दीपक भारद्वाज उन जाबांज सिपाहियों में शामिल थे, जिन्होंने अपने साथियों की जान बचाने खुद की परवाह नहीं की। उन्होंने नक्सलियों से लोहा लेते हुए अपने कुछ साथियों को बचा लिया था, लेकिन तभी एक ब्लास्ट हुआ और बहादुर दीपक शहीद हो गए। दीपक जांजगीर के मालखरौदा के रहने वाले थे। यह जगह बीजापुर से करीब 600 किमी दूर है। जब बेटे की शहादत की खबर उनके पिता राधेलाल को लगी, तो उन्हें यकीन ही नहीं हुआ। वे तुरंत बीजापुर के लिए निकले। वहां अस्पताल में करीब 4 घंटे भटकते रहे, तब जाकर शहीद बेटे का चेहरा देख पाए। राधेलाल कहते हैं कि बेटे के नहीं रहने का बहुत दु:ख है, लेकिन गर्व है कि वो अमर हो गया। उसने बहादुरी दिखाई। दीपक की 2019 में शादी हुई थी। कुछ दिनों बाद उनकी सेकंड मैरिज एनिवर्सिरी आने वाली थी। बता दें कि इस हमले में 24 जवान शहीद हो गए। 

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Asianet News Hindi
Published : Apr 05 2021, 09:32 AM IST| Updated : Apr 05 2021, 09:46 AM IST
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शहीद दीपक के पिता बताते हैं कि जब वो बीजापुर के अस्पताल पहुंचे, तब जवानों के शव लाए जा रहे थे। उन्हें देखकर दिल बैठा जा रहा था। छठवें नंबर पर दीपक का शव था। उसे देखकर उनके दिल पर क्या बीती, बयां नहीं कर पाए। बता दें कि नक्सलियों ने CRPF और पुलिस के 700 जवानों को घेरकर हमला किया था। दीपक छत्तीसगढ़ पुलिस में सब इंस्पेक्टर थे। वे अपनी टीम को लीड कर रहे थे।

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हमले में घायल एक बहादुर सिपाही ने बताया कि नक्सलियों ने घात लगाकर फायरिंग की थी। घायल सिपाहियों को घेरे में लेकर नक्सलियों को जवाब देने लगे। दीपक हैवी फायरिंग करके नक्सलियों को पीछे धकेल रहे थे, ताकि वहां से निकला जा सके। वे 4-5 जवानों को वहां से सुरक्षित निकाल चुके थे, तभी IED ब्लास्ट की चपेट में आ गए और शहीद हो गए।

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6 सितंबर, 1990 में जन्मे दीपक ने 16 सितंबर, 2013 में छत्तीसगढ़ पुलिस ज्वाइन की थी। तब उनकी उम्र 23 साल थी। वे पहले भी कई नक्सली ऑपरेशन सफल बना चुके थे। लेकिन इस बार नक्सलियों ने धोखे से उन पर हमला किया।

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मां परमेश्वरी को सिर्फ यह बताया गया था कि दीपक घायल हैं, लेकिन पिता को अंदेशा हो चुका था। दीपक का शव तर्रेम थाना क्षेत्र के जीवनागुड़ा इलाके में एक पेड़ के पास मिला था।
 

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दीपक के पिता बताते हैं कि होली पर उनकी बात हुई थी। लेकिन तब वो बहुत बिजी था, इसलिए ज्यादा बात नहीं हो पाई थी। दीपक पढ़ाई में बहुत होशियार था। दीपक के साथी बताते हैं कि वो हर परिस्थिति में मुस्कराते रहते थे और दूसरों का हौसला बढ़ाते रहते थे।
 

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दीपक ने छठवीं से 12वीं तक की पढ़ाई नवोदय विद्यालय मल्हार से की थी। वे बास्केट बॉल के अच्छे खिलाड़ी थे। 2019 में दीपक की शादी हुई थी। लेकिन सेकंड मैरिज एनिवर्सिरी के पहले ही वो शहीद हो गए।

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