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India@75: भारत के 15 बिजनेसमैन, जिनकी लीडरशिप में देश ने की दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की

मुंबई। भारत इस साल अपनी आजादी का अमृत महोत्सव (Aazadi Ka Amrit Mahotsav) मना रहा है। 15 अगस्त, 2022 को भारत की स्वतंत्रता के 75 साल पूरे हो रहे हैं। बता दें इस महोत्सव की शुरुआत पीएम नरेंद्र मोदी ने 12 मार्च, 2021 को गुजरात के साबरमती आश्रम से की थी। आजादी का अमृत महोत्सव अगले साल यानी 15 अगस्त, 2023 तक चलेगा। आजादी के बाद भारत तेजी से तरक्की के पथ पर आगे बढ़ा। पिछले 75 सालों में भारत को ग्रोथ दिलाने में हमारे कई उद्योगपतियों का अहम योगदान रहा है। इस पैकेज में जानते हैं देश को उन्नति की राह पर आगे ले जाने वाले ऐसे ही 15 बिजनेसमैन के बारे में। 

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Asianet News Hindi
Published : Aug 05 2022, 10:29 AM IST| Updated : Aug 14 2022, 10:45 AM IST
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धीरूभाई अंबानी
देश की सबसे बड़ी कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज (RIL) की नींव रखने वाले धीरूभाई अंबानी का जन्म जूनागढ़ के चोरवाड़ में 28 दिसंबर 1932 को हुआ था। धीरूभाई अंबानी (Dhirubhai ambani) ने जब बिजनेस की दुनिया में कदम रखा तो उनके पास कोई पुश्तैनी संपत्ति नहीं थी। 1949 में महज 17 साल की उम्र में वो पैसे कमाने के लिए अपने भाई रमणीकलाल के पास यमन चले गए। यहां एक पेट्रोल पंप पर नौकरी मिल गई। इसके बाद 1954 में वो भारत आ गए। यहां उन्होंने एक कंपनी रिलायंस कॉमर्स कॉरपोरेशन की शुरुआत की, जिसने भारत के मसाले विदेश में और विदेश का पॉलिस्टर भारत में बेचने की शुरुआत कर दी। इसके बाद उन्होंने 1966 में रिलायंस टैक्सटाइल्स की शुरुआत की। 

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राहुल बजाज
बजाज ग्रुप की नींव रखने वाले मशहूर उद्योगपति राहुल बजाज का जन्म 10 जून 1938 को हुआ था। वो मशहूर स्वतंत्रता संग्राम सेनानी जमनालाल बजाज (Jamnalal Bajaj) के पोते थे। राहुल बजाज ने 1958 में दिल्ली के सेंट स्टीफंस कॉलेज से स्नातक की उपाधि हासिल की। इसके बाद उन्होंने बॉम्बे यूनिवर्सिटी से कानून की डिग्री ली। उन्होंने अमेरिका के हार्वर्ड बिजनेस स्कूल से एमबीए भी किया था। दुनिया उन्हें स्कूटर की दुनिया में क्रांति लाने के लिए जानती है। उनकी कंपनी का नाम बजाज ऑटो (Bajaj Auto) है। यह कंपनी दो-पहिया और तीन-पहिया गाड़ियां बनाती है। बजाज कंपनी मोटरसाइकिल, स्कूटर और ऑटो रिक्शा बनाती है। मोटरसाइकिल के मामले में यह कंपनी दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी और भारत की दूसरी सबसे बड़ी कंपनी है। वहीं तीन-पहिया गाड़ियां बनाने में यह दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी है।

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नारायण मूर्ति
इन्फोसिस के सह संस्थापक एनआर नारायणमूर्ति का जन्म  20 अगस्त, 1946 को कर्नाटक के सिद्लाघट्टा में हुआ था। मध्यमवर्गीय परिवार में जन्मे नारायण मूर्ति अपने माता-पिता की आठ संतानों में से पांचवे नंबर के थे। उन्होंने आईआईटी की प्रवेश परीक्षा दी, पर उनके पिता इंजीनियरिंग की पढ़ाई का खर्च उठाने में सक्षम नहीं थे। मैसूर विश्वविद्यालय के अध्यापक डॉ. कृष्णमूर्ति ने उनकी मदद की। 1967 में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग, मैसूर यूनिवर्सिटी से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की डिग्री ली। 1969 में IIT कानपुर से एमटेक की डिग्री ली। 1970 में नारायण मूर्ति ने पाटनी कम्प्यूटर्स (पुणे) में बतौर असिस्टेंट मैनेजर नौकरी की शुरुआत की। 1981 में नौकरी छोड़ दी, क्योंकि वे अपना खुद का सॉफ्टवेयर बिजनेस शुरू करना चाहते थे। इन्फोसिस की स्थापना के लिए नारायणमूर्ति ने पत्नी सुधा मूर्ति से 10 हजार रुपये उधार लिए थे। इस कंपनी ने देखते ही देखते सॉफ्टवेयर के क्षेत्र में नई ऊंचाई हासिल की। 

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लक्ष्मी निवास मित्तल 
मित्तल का जन्म 15 जून, 1950 राजस्थान में चुरू जिले के एक गांव में हुआ था। उनके पिता का नाम मोहनलाल मित्तल हैं। जब लक्ष्मी मित्तल का जन्म हुआ था तब उनके घर की माली हालत ठीक नहीं थी। आर्थिक तंगी से उभरने के लिए मित्तल के जन्म के दो साल बाद उनके पिता फैमिली सहित कोलकाता चले गए थे। यहां उन्होंने निप्पन डेनरोन नामक इस्पात कंपनी की शुरूआत की थी। लक्ष्मी मित्तल साल 1975 में इंडोनेशिया गए और वहां स्टील प्लांट लगाया। इसके बाद उन्होंने कई स्टील प्लांट खड़े किए। उन्होंने स्टील कंपनी आर्सेलर को भी खरीद लिया। आज दुनिया उन्हें स्टील किंग के नाम से जानती है। 

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ओम प्रकाश जिंदल
जिंदल समूह के संस्थापक स्वर्गीय ओमप्रकाश जिंदल बहुत ही कम समय में स्टील की दुनिया के बड़े बिजनेसमैन बन गए। ओम प्रकाश जिंदल का जन्म 7 अगस्त, 1930 हरियाणा के हिसार में हुआ था। इन्होंने जिंदल आर्गेनाइजेशन के अंतर्गत जिंदल स्टील एंड पावर की स्थापना की। वे बिजनेसमैन के साथ ही पॉलिटिक्स में भी काफी एक्टिव रहे। 1991 में उन्होंने पहली बार हिसार से कांग्रेस के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। जिंदल ग्रुप आज के समय स्टील, पावर और टेक्नोलॉजी फील्ड में एक्टिव है।

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किरण मजूमदार शॉ
भारत की जानी मानी उद्योगपति किरण मजूमदार शॉ का जन्म 23 मार्च 1953 को बेंगलुरु में हुआ था। उन्होंने बेंगलुरु के ही बिशप कॉटन गर्ल्स हाई स्कूल से अपनी पढ़ाई पूरी की। इसके बाद बेंगलुरु विश्वविद्यालय से 1973 में बीएससी (जूलॉजी ऑनर्स) की डिग्री हासिल की। इसके बाद उन्होंने वैलेरेट कॉलेज, मेलबर्न यूनिवर्सिटी ऑस्ट्रेलिया से ‘मॉल्टिंग और ब्रूइंग’ पर डिग्री ली। उन्होंने 1978 में महज 1200 रुपए से बायोकॉन कंपनी की नींव रखी। ये कंपनी एंजाइम्स का निर्माण करने वाली भारत की पहली कंपनी थी, जो अमेरिका और यूरोप को दवा एक्सपोर्ट करती थी। 1989 में बायोकॉन लिमिटेड भारत की पहली जैव प्रौद्योगिकी कंपनी बन गई। 2003 तक मानव इंसुनिल विकसित करने वाली दुनिया की पहली कंपनी बन गई। आज यह कंपनी 50 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा की कंपनी बन चुकी है। किरण मजूमदार ने 45 साल की उम्र में साल 1998 में स्कॉटलैंड के मूल निवासी जॉन-शॉ से शादी की। 

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केसी महिन्द्रा
कैलाश चंद्र महिंद्रा को के.सी. महिंद्रा के नाम से जाना जाता है। 1945 में महिंद्रा एंड मोहम्मद की सह-स्थापना की, जिसे 1948 में महिंद्रा एंड महिंद्रा नाम से पहचान मिली। 1945 में दो भाइयों केसी महिंद्रा और जेसी महिंद्रा के साथ मिलकर गुलाम मोहम्मद ने महिंद्रा एंड मोहम्मद यानी एम एंड एम नाम की कंपनी की स्थापना की थी। लेकिन 1947 में जब भारत आजाद हुआ तो यह मुल्क दो भागों में बंट गया। जिस तरह दो धर्मों के नाम पर देश का बंटवारा हुआ उसी तरह ये हिंदू-मुसलमान दोस्त भी बंट गए। सबसे पहले महिंद्रा एंड महिंद्रा ने जीप का उत्पादन किया। जीप का यह आइडिया केसी महिंद्रा को अमेरिका में नौकरी करने के दौरान आया था। तब महिंद्रा ने अमेरिकन कंपनी में काम के दौरान एक जीप देखी थी। यह जीप बनाने का सपना उन्होंने अमेरिका में ही देख लिया था। जिसे उन्होंने भारत आकर पूरा किया और उनकी कंपनी ने जीप का उत्पादन किया। वहीं बाद में कपनी ने कमर्शियल वाहन और ट्रैक्टर का उत्पादन किया। 

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जेआरडी टाटा
जेआरडी टाटा का जन्म (JRD Tata) का जन्म 1904 में पेरिस में हुआ था। उन्होंने सबसे लंबे समय तक टाटा ग्रुप की अगुवाई की। उन्होंने भारत को अपनी पहली एयरलाइन देने के साथ ही स्टील सेक्टर में भी ग्लोबल पहचान दिलाई। जेआरडी टाटा बचपन से ही हवा में उड़ने को लेकर रोमांचित रहते थे। जब वो 15 साल के थे, तभी उन्होंने फ्रांस में एक विमान में उड़ान भरी थी। 1932 में जेआरडी ने टाटा एविएशन सर्विस की शुरुआत की। कुछ समय बाद इसका नाम बदलकर टाटा एयरलाइंस (Tata Airlines) किया गया। बाद में इस कंपनी को एअर इंडिया का नाम मिला। 

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घनश्याम दास बिड़ला
देश में इंडस्ट्रियल क्रांति के जनक घनश्याम दास बिड़ला का जन्म राजस्थान के एक छोटे से जिले पिलानी में 10 अप्रैल 1894 को हुआ था। घनश्याम दास ने अपनी शुरुआती पढ़ाई पिलानी से की। उसके बाद अपने खानदानी व्यापार में सहयोग करने के लिए वह कोलकाता चले गए। यहां उन्होंने जूट के बाद कपड़ा मैन्युफैक्चरिंग में हाथ आजमाया। उन्होंने ग्रासिम इंडस्ट्री खोली। इसके बाद एलुमीनियम की फील्ड में हिंडाल्को कंपनी बनाई। 1927 में कुछ अन्य उद्योगपतियों के साथ मिलकर उन्होंने इंडियन चैम्बर ऑफ कामर्स एंड इंडस्ट्री की स्थापना की थी। 1957 में घनश्याम दास बिड़ला को भारत सरकार ने पद्म विभूषण से सम्मानित किया। 

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गौतम अडाणी
अडाणी ग्रुप के चेयरमैन और भारत के मशहूर उद्योगपति गौतम अडाणी का जन्म 24 जून, 1962 को अहमदाबाद के एक मिडिल क्लास परिवार में हुआ। गौतम अडाणी का कारोबार आज दुनियाभर के कई देशों में फैला हुआ है। वे भारत के टॉप बिजनेसमैन में शुमार हैं और उनका नाम अंबानी के साथ लिया जाता है। अडाणी के बिजनेस की बात करें तो उनकी कंपनियां कोयला, पावर, लॉजिस्टिक्स, रियल एस्टेट, एग्रो प्रोडक्ट्स, ऑयल और गैस जैसे क्षेत्रों में काम कर रही हैं। 

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रॉनी स्क्रूवाला
बॉलीवुड की फिल्में, सीरियल हों या फिर टीवी चैनल्स UTV ग्रुप का नाम अक्सर हमारे सामने आता है। यह ग्रुप आज भारत के सबसे बड़े मीडिया ग्रुप में गिना जाता है, जिसकी नींव रॉनी स्क्रवाला ने रखी। वो इस ग्रुप के फाउंडर और मैनेजिंग डायरेक्टर हैं। रॉनी कभी मुंबई में केबल ऑपरेटर का काम करते थे। केबल के बिज़नेस से पैसा जोड़कर उन्होंने शॉर्ट फिल्म और विज्ञापन बनाने का कारोबार शुरु किया, जो कामयाब रहा। वक्त के साथ उनका बिजनेस बढ़ता गया और उन्होंने 1990 में यूटीवी कम्युनिकेशन नाम से कंपनी शुरु की। आज के समय में यूटीवी भारत की सबसे बड़ी प्रोडक्शन कंपनी है, जिसने कई बड़ी फिल्में बनाई हैं। 

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शांतनुराव किर्लोस्कर
किर्लोस्कर ग्रुप को बिजनेस की दुनिया में आगे ले जाने वाले शांतनुराव किर्लोस्कर का जन्म 28 मई, 1903 में महाराष्ट्र के सोलापुर में हुआ था। वे किर्लोस्कर ग्रुप की नींव रखने वाले लक्ष्मणराव किर्लोस्कर के बेटे हैं। द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति के बाद, एस एल किर्लोस्कर के नेतृत्व में किर्लोस्कर समूह तेजी से विकसित हुआ। 1946 में, उन्होंने क्रमशः बैंगलोर और पुणे में किर्लोस्कर इलेक्ट्रिक कंपनी और किर्लोस्कर ऑयल इंजन लिमिटेड की स्थापना की। एस. एल. किर्लोस्कर को व्यापार और उद्योग में उनके योगदान के लिए 1965 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था।

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ब्रृज मोहन लाल मुंजाल
1923 में पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के जिला टोबा टेक सिंह के कमालिया में पैदा हुए बृजमोहन लाल मुंजाल साइकिल के स्पेयर पार्ट के बिजनेस में कदम रखा और दुनिया की सबसे बड़ी टू व्हीलर कंपनी Hero Motocorp को खड़ा कर दिया। देश के ऑटोमोबाइल सेक्टर में क्रांतिकारी परिवर्तन लाने वाले बृजमोहन लाल मुंजाल अपने तीन भाइयों के साथ पाकिस्तान से अमृतसर आ गए थे। यहां पर उन्होनें साइकिल के स्पेयर पार्टस का कारोबार शुरु किया। कारोबार में तरक्की हुई और उन्होनें 1954 में हीरो साइकिल्स लिमिटेड की स्थापना की। साइकिल का कारोबार तेजी से चल निकला, उस वक्त तक देश के तकरीबन हर घर में हीरो की साइकिल दिखने लगी थी। Hero Cycles 1975 तक देश की सबसे बड़ी साइकिल निर्माता कंपनी बन गई। इसके बाद हीरो ने मैजेस्टिक, मोपेड बनाना शुरू किया। बाद में जापानी कंपनी होंडा के साथ करार किया। 27 सालों तक हीरो और होंडा ने साथ मिलकर बाइक्स बनाई, लेकिन 2011 में दोनों कंपनियां अलग हो गईं और इसके बाद से हीरो मोटोकॉर्प अकेले ही काम कर रही है। 

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अजीम प्रेमजी 
अजीम प्रेमजी का जन्म 24 जुलाई, 1945 को मुंबई में हुआ था। उन्होंने अमेरिका की स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की। बाद में वहां से भारत लौटने के बाद उन्होंने अपने पिता की घाटे में चल रही कंपनी की कमान संभाली। दरअसल, अजीम के पिता हुसैन हाशिम प्रेमजी बर्मा से भारत आए थे। यहां उन्होंने विप्रो की नींव रखी और वनस्पति तेल के कारोबार में उतरे। हालांकि, कंपनी को काफी घाटा हुआ। इसके बाद 1968 में 23 साल की उम्र में अजीम प्रेमजी वेस्टर्न इंडिया वेजिटेबल प्रोडक्ट लिमिटेड (विप्रो) के प्रबंधक निदेशक बने। इसके बाद अजीम प्रेमजी ने इस कंपनी को फर्श से अर्श पर पहुंचा दिया। आज विप्रो का करोबार दुनिया के 110 देशों में फैला है। अजीम प्रेमजी विप्रो के चेयरमैन पद से रिटायर हो चुके हैं. 2019 में उनके बेटे रिशद प्रेमजी ने उनकी जगह ली। 

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आर्देशिर गोदरेज
आज हर भारतीय गोदरेज कंपनी को जानता है। इस कंपनी की नींव आर्देशिर गोदरेज ने ही रखी थी। आर्देशिर गोदरेज (Ardeshir Godrej) ने लॉ की पढ़ाई की थी। 1894 में बॉम्बे सॉलिसिटर की एक फर्म ने उन्हें एक केस लड़ने के लिए जंजीबार भेजा। लेकिन उन्हें लगा कि इस पेशे में उन्हें कदम-कदम पर झूठ का सहारा लेना पड़ेगा। इसके बाद वे भारत लौट आए। इसी दौरान एक दिन उन्होंने अखबार में चोरी की घटनाओं पर खबर पढ़ी। इसमें बंबई के पुलिस कमिश्नर ने लोगों को अपने घर और ऑफिस की सुरक्षा बेहतर करने के लिए कहा था। बस यहीं से उनके दिमाग में ताला बनाने का आइडिया आया। इसके बाद उन्होंने पारसी समाज के प्रतिष्ठित शख्स मेरवानजी मुचेरजी कामा से कर्ज़ लेकर बॉम्बे गैस वर्क्स के बगल में 215 वर्गफुट के गोदाम खोला और वहां ताले बनाने का काम शुरू कर दिया। इसके बाद तो गोदरेज ने साबुन, फ्रिज, लिक्विड हेयर कलर जैसे कई बिजनेस शुरू कर दिए। 

ये भी देखें : 

India@75: आजादी के बाद दुनियाभर में नाम कमाने वाली 10 भारतीय महिलाएं, अपने-अपने फील्ड में रहीं अव्वल

India@75: मदर इंडिया से बॉर्डर तक, आजादी के 75 सालों में बनी इन 15 फिल्मों को भुला पाना नामुमकिन

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