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बनना चाहता था इंजीनियर, बन गया आतंकी... जानिए कौन है हिज्बुल कमांडर रियाज नायकू, जिसे सेना ने किया ढेर

श्रीनगर. जम्मू-कश्मीर के अवंतीपोरा के बेगपोरा में मंगलवार से जारी एनकाउंटर में सुरक्षाबलों को बड़ी सफलता हाथ लगी है। सुरक्षाबलों ने आतंकी संगठन हिज्बुल मुजाहिद्दीन के कमांडर रियाज़ नायकू को बुधवार को एनकाउंटर में ढेर कर दिया है। नायकू के ऊपर सेना ने 12 लाख का इनाम भी रखा था। जिसकी लंबे समय से तलाश की जा रही थी। कई बार उसे घेरा भी गया लेकिन इस बार वह बच नहीं पाया। जानिए कौन है रियाज नायकू...

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Asianet News Hindi
Published : May 06 2020, 04:04 PM IST| Updated : May 06 2020, 04:54 PM IST
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मंगलवार को सुरक्षाबलों को इनपुट मिला था कि रियाज़ नायकू बेगपोरा आ रहा है, जो उसका ही गांव था। यहां वो अपने परिवार से मिलने आ रहा था और गांव में ही अपने अड्डे में छिपा हुआ था। रियाज़ नायकू अपनी मां की तबीयत का हाल जानने आया था। 

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जैसे ही सुरक्षाबलों को इस बात का इनपुट मिला तो गांव को पूरी तरह से घेर लिया। जिस घर में रियाज नायकू छिपा हुआ था, वहां पर दो-तीन अन्य आतंकी भी छिपे हुए थे। जिन्हें अब सुरक्षाबलों ने ढेर कर दिया है। सुरक्षाबलों ने बुधवार को एक घर को ही उड़ा दिया, जिसमें रियाज़ नायकू छिपा हुआ था। बाद में इस बात की पुष्टि हो गई कि मरने वाला रियाज नायकू ही था। 

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कैसे मारा गया रियाज नायकू?
जम्मू-कश्मीर के आईजी विजय कुमार ने कहा कि कल सुबह से इसके खिलाफ सर्च चल रहा था, जो कि अब इसे मार दिया गया है। इसके साथ जितने अन्य आतंकी थे, उन सभी को मार गिराया गया है।

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विजय कुमार ने बताया कि रियाज नायकू कई तरह के हमलों में शामिल था, वो यहां लोगों को आतंकी संगठन में शामिल होने के लिए उकसाता था। अब अगर रियाज नायकू मारा गया है तो घाटी में आतंकी संगठन में भर्ती होने में कमी आएगी। 

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बुरहान वानी के बाद संभाली थी कमान
बुरहान वानी जब मारा गया था, तब उसके बाद हिज्बुल मुजाहिद्दीन की कमान रियाज नायकू के हाथ ही में दी गई थी। जिसके बाद से वह घाटी में आतंक का एक पोस्टर बॉय बनकर उभरा, उसने युवाओं को भड़काने की कोशिश की। रियाज़ नायकू अक्सर सोशल मीडिया के जरिए युवाओं को भड़काता था और अपनी ओर जोड़ने की कोशिश करता था। यही कारण रहा कि सुरक्षाबलों को एक लंबे वक्त से इस कमांडर की तलाश थी जो अब जाकर पूरी हुई। 
 

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पुलिसवालों के परिजनों का करता था अपहरण
जानकारी के मुताबिक रियाज अहमद नायकू की उम्र 35 साल थी। यह बेहद कम वक्त में हिज्बुल का अहम हिस्सा बन गया था। पुलिस अफसरों के परिवार के लोगों का अपहरण, आतंकी के मरने पर बंदूकों से सलामी इन चलनों को उसने ही शुरू किया था, जिससे हिज्बुल और खतरनाक होता जा रहा था। अपनी छवि की वजह से नायकू ने कई कश्मीरी युवाओं को आतंक की राह पर चलाया।

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पिता के लिए 2018 में ही मर गया था रियाज 
पिछले साल रियाज अहमद नायकू के पिता ने एक इंटरव्यू दिया था। वह बताते हैं कि बेटा नायकू इंजीनियर बनना चाहता था। वह मैथ्स में अच्छा था और उसे कंस्ट्रक्शन के काम में भी रुचि थी। परिवार से बातचीत में पता चला कि पिता उसे उसी दिन मरा हुआ मान चुके थे जिस दिन वह हिज्बुल में शामिल हुआ। 

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परिवार पूरे इंटरव्यू में ऐसे बात करता रहा जैसे उनका बेटा तब (2018) में ही मर चुका हो। अपने बेटे को याद करते हुए पिता कहते हैं, 'उसे 12वीं में 600 में से 464 नंबर आए थे। वह प्राइवेट स्कूल में मैथ भी पढ़ाने लगा था।'

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स्कूल टीचर से ऐसे आतंकी बन गया नायकू
रियाज नायकू स्कूल टीचर से आतंकी कैसे बना। इसके बारे में बताया जाता है कि 2010 में एक प्रदर्शन में 17 साल के अहमद मट्टो की आंसू गैस का गोला लगने से मौत हो गई थी। बताया जाता है कि उस प्रदर्शन में नायकू भी शामिल था। मौत के बाद घाटी में काफी कुछ बदला। इस दौरान पुलिस ने कई लोगों को पकड़ा था। उसमें रियाज नायकू भी शामिल था। 2012 में उसे जब छोड़ा गया  तब वह बिल्कुल बदल चुका था।

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अपहरण दिवस और गन सैल्यूट नायकू की देन 
पुलिस पर प्रेशर बनाने के लिए अपहरण दिवस की शुरुआत नायकू ने ही की थी। साउथ कश्मीर में इस दिन 6 पुलिसवालों के घर के 11 फैमिली मेंबर को अगवा कर लिया गया था। सभी को बाद में छोड़ दिया गया था। लेकिन बदले में नायकू के पिता को पुलिस कस्टडी से छुड़वाया गया था। नायकू ने ही गन सैल्यूट फिर से शुरू करवाया था। इसे आतंकी अपने कमांडर की मौत पर देते हैं। इसमें मरे हुए आतंकियों के अंतिम संस्कार के दौरान हवा में गोली चलाकर उन्हें श्रद्धांजलि दी जाती है।

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