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कोरोना से मौत रोकने में भारत कामयाब, 10 लाख पर 1 की मौत हो रही, स्पेन में 540 तो इटली में 478 गंवा रहे जान
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10 लाख पर सबसे ज्यादा लोगों की मौत की बात करें तो इस लिस्ट में बेल्जियम सबसे आगे है। बेल्जियम में 10 लाख लोगों पर 677 लोगों की मौत हो रही है। वहीं, स्पेन में 540, इटली में 478, ब्रिटेन में 419, फ्रांस में 381, अेमरिका में 207 लोग अपनी जान गंवा रहे हैं। भारत के बाद मौतों को रोकने में चीन कामयाब रहा। यहां 10 लाख लोगों पर सिर्फ 3 लोगों की मौत हुई है। वहीं, रूस में यह दर 9 पर है।
लिस्ट में सिर्फ 10 लाख से ज्यादा टेस्ट करने वाले देश शामिल। (आंकड़े- 4 मई 1.30 बजे तक)
दुनिया में सिर्फ इन 10 देशों ने किए 10 लाख से ज्यादा टेस्ट
कोरोना वायरस का कहर दुनिया के 200 से ज्यादा देशों पर है। सबसे ज्यादा प्रभावित अमेरिका, ब्रिटेन, स्पेन, इटली, जर्मनी जैसे देश हैं। इन देशों में जितने ज्यादा टेस्ट हुए उतने ज्यादा ही संक्रमण के मामले सामने आए। अभी तक अमेरिका, स्पेन, इटली, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, तुर्की, रूस, भारत और यूएई ने ही 10 लाख से ज्यादा टेस्ट किए हैं। खास बात ये हैं कि यूएई के बाद भारत दूसरा ऐसा देश है, जहां इतने कम मामले सामने आए हैं। (आंकड़े 3 मई तक)
कोरोना से जंग में इस तरह आगे निकला भारत
भारत भारत सरकार ने कोरोना के खिलाफ काफी सक्रियता से कदम उठाए। WHO से सभी देशों को एक साथ ही कोरोना वायरस के बारे में जानकारी मिली थी। लेकिन भारत सरकार ने तेजी दिखाते हुए कदम उठाए। अन्य देशों से उड़ानें रोकीं। अमेरिका, ब्रिटेन, इटली समेत बाकी देश इंतजार करते रहे। इन्होंने ठोस कदम उठाने में काफी देर कर दी। इसी का आज नतीजा भुगत रहे हैं। भारत में हेल्थ टीमें तेजी से काम कर रही हैं। अस्पताल बन रहे हैं। बेड बढ़ाए जा रहे हैं। रेलवे कोच में वार्ड में बन रहे हैं।
लॉकडाउन और सरकार द्वारा उठाए गए कदमों से कोरोना पर मिली जीत
माना जा रहा है कि भारत में कोरोना को फैलने से रोकने में लॉकडाउन ने अहम भूमिका निभाई। इससे ना केवल नए मामले तेजी से बढ़े, बल्कि संक्रमण की रफ्तार भी काफी कम हो गई है। इसके साथ ही भारत सरकार द्वारा स्क्रीनिंग, हॉटस्पॉट का चयन, मॉनिटरिंग, टेस्टिंग और स्वास्थ्य सुविधाओं को बढ़ाने में जो कदम उठाए, वे सफल होते नजर आ रहे हैं। भारत में अब हर रोज 70 हजार तक टेस्ट हो रहे।
अमेरिका, स्पेन, इटली और बेल्जियम से कहां हुई चूक:
कोरोना वायरस से सबसे ज्यादा प्रभावित अमेरिका, स्पेन, इटली और बेल्जियम हैं। इन देशों की सबसे बड़ी गलती ये रही कि इन्होंने कोरोना वायरस को गंभीरता से नहीं लिया और ना ही समय रहते कोई ठोस कदम उठाए। WHO ने कोरोना वायरस के बारे में एक साथ सभी देशों को जानकारी दी थी। अमेरिका और यूरोप के ज्यादातर देशों का मानना था कि यह वायरस चीन से निकला है। इसका ज्यादा असर एशिया के देशों में ही होगा। यह हमारे यहां ज्यादा प्रभाव नहीं डालेगा।
इसके अलावा इन देशों का मानना था कि अगर उनके देश में कोरोना का थोड़ा बहुत प्रभाव पड़ेगा भी तो उनके यहां की बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं इससे निपट लेंगी। लेकिन समय रहते लॉकडाउन ना होने, सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पालन ना करने पर यहां शुरुआत में ही कोरोना को पैर फैलाने का मौका मिल गया। इसी की सजा ये देश आज भी भुगत रहे हैं। यहां लॉकडाउन जैसे फैसले भी काफी देर से लिए गए।
अमेरिका के लिए राष्ट्रपति ट्रम्प का रवैया महंगा पड़ा
अमेरिका में ट्रम्प प्रशासन पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं। माना जा रहा है कि कोरोना को गंभीरता से ना लेना ट्रम्प प्रशासन की सबसे बड़ी भूल है। अमेरिका में ट्रम्प और उनकी सरकार के मंत्री अफसर लगातार बयान बदलते रहे। इस महामारी के दौरान वे खुद कभी गंभीर नजर नहीं आए। यहां तक की जब बीमारी ने महामारी का रूप लिया, तब ट्रम्प ने कहा, अगर अमेरिकी प्रशासन मौतों को 1 लाख तक रोक लेता है तो यह बहुत बड़ी बात होगी।