- Home
- National News
- कुंभ के बाद भारत के दूसरा सबसे बड़ा मेला तेलंगाना का 'मेदाराम जतारा' ट्राइबल फेस्टिवल कल से
कुंभ के बाद भारत के दूसरा सबसे बड़ा मेला तेलंगाना का 'मेदाराम जतारा' ट्राइबल फेस्टिवल कल से
- FB
- TW
- Linkdin
मेले के बारे में खास बातें
कोया जनजातीय त्योहारों, विभिन्न राज्य स्तरीय प्रतियोगिताओं, एमएसएमई इकाइयों को आर्थिक सहायता जैसी गतिविधियां भी व्यापक रूप से आयोजित की जाएंगी।
मेदाराम जतारा, कुंभ मेले के बाद भारत का दूसरा सबसे बड़ा मेला है, जो तेलंगाना के दूसरे सबसे बड़े जनजातीय समुदाय- कोया जनजाति द्वारा चार दिनों तक मनाया जाता है।
जनजातीय कार्य मंत्रालय ने वर्ष 2018 और 2020 में आयोजित जतारों के लिए प्रत्येक वर्ष 2.00 करोड़ रुपए जारी किए।
मंत्रालय ने जतारा अवधि के दौरान सामुदायिक आश्रयों के रूप में उपयोग करने के लिए मेदाराम में और उसके आसपास बहुउद्देश्यीय भवनों जैसे बुनियादी सुविधाओं की स्थापना के लिए अनुच्छेद 271(1) के तहत 2019-20 में 7.00 करोड़ रुपए और 2021-22 में 5.00 करोड़ रुपए स्वीकृत किए।
वर्तमान में, तेलंगाना सरकार के आदिवासी कल्याण विभाग के सहयोग से कोया जनजातियों द्वारा जतारा त्योहार द्विवार्षिक रूप से मनाया और आयोजित किया जाता है।
जनजातीय कार्य मंत्रालय ने मेदारम जतारा 2022 से संबंधित विभिन्न गतिविधियों के लिए 2.26 करोड़ रुपए मंजूर किए हैं। मेदारम जतारा भारत का दूसरा सबसे बड़ा मेला है, जो तेलंगाना के दूसरे सबसे बड़े जनजातीय समुदाय- कोया जनजाति द्वारा चार दिनों तक मनाया जाने वाला कुंभ मेला है। इस वर्ष यह 16 से 19 फरवरी, 2022 तक मनाया जा रहा है। (Fille Photo)
जनजातीय संस्कृति को बढ़ावा देना है
केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्रालय द्वारा जिन गतिविधियों के लिए धन स्वीकृत किया गया है, उनमें मेदाराम, जनजातीय संस्कृति और विरासत को बढ़ावा देना, दीवारों पर चिलकालगुट्टा तथा भित्ति चित्र और सांस्कृतिक परिसर - मॉडल कोया जनजातीय गांव में स्थित संग्रहालय परिसर के लिए सुरक्षा दीवार तैयार करना, सप्ताह भर चलने वाले राज्य स्तरीय जनजातीय नृत्य महोत्सव का आयोजन, संग्रहालय का सुदृढ़ीकरण आदि शामिल हैं। व्यापक रूप से आयोजित होने वाली अन्य आवश्यक गतिविधियों में कोया जनजाति के छोटे उत्सवों के संदर्भ में अनुसंधान और प्रलेखन, विभिन्न राज्य स्तरीय प्रतियोगिताओं का आयोजन तथा एमएसएमई इकाइयों को आर्थिक सहायता प्रदान करना शामिल है।
(Fille Photo)
आजादी का अमृत महोत्सव
आजादी का अमृत महोत्सव के तहत, भारत सरकार ने घोषणा की है कि 2022 के दौरान आदिवासी संस्कृति और विरासत पर मुख्य रूप से ध्यान दिया जाएगा। देवी सम्मक्का और सरलम्मा के सम्मान में मेदाराम जतारा आयोजित किया जाता है। यह दो साल में एक बार "माघ" (फरवरी) के महीने में पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। विभिन्न गांवों की कई अनुसूचित जनजातियां वहां इकट्ठा होती हैं, और लाखों तीर्थयात्री मुलुगु जिले में पूरे उत्साह के साथ त्यौहार मनाने के लिए आते हैं। वर्तमान में, जतारा त्यौहार द्विवार्षिक रूप से मनाया जाता है और तेलंगाना सरकार के आदिवासी कल्याण विभाग के सहयोग से कोया आदिवासियों द्वारा आयोजित किया जाता है।
(Fille Photo)
लाखों लोग होते हैं शामिल
इस तरह के दुर्लभ अवसर को देखने के लिए दो साल तक इंतजार करने वाले लाखों श्रद्धालुओं के लिए चार दिनों का मेदाराम जतारा सबसे शुभ आयोजन है। जनजातीय कार्य मंत्रालय की ओर से इस त्योहार के निरंतर समर्थन का उद्देश्य तेलंगाना के जनजातीय समुदायों और आगंतुकों के बीच जागरूकता तथा एक सामंजस्यपूर्ण संबंध कायम करना है। (Fille Photo)
यह आदिवासियों को उनकी अनूठी जनजातीय परंपराओं, संस्कृति और विरासत को संरक्षित करने तथा वैश्विक स्तर पर उनके आदिवासी इतिहास को बढ़ावा देने में सहायता करता है। यह एक भारत श्रेष्ठ भारत की भावना का भी प्रतीक है। (Fille Photo)