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भारतीय नौसेना की शान INS विराट की दिलचस्प कहानी, जब इसके आखिरी सफर पर रो पड़े थे सैनिक
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मूल रूप से विराट ब्रिटेन की रॉयल नेवी का हिस्सा था। इसे एचएमएस हरमेस नाम से जाना जाता था। इसे 1959 में नौसेना में शामिल किया गया था। इसके बाद 1984 मे इसे सेवामुक्त कर दिया गया।
भारत ने 1980 में इसे ब्रिटेन से खरीद था। इसके बाद 12 मई, 1987 को इसे नौसेना के बेड़े में शामिल किया था। इसका नामकरण किया INS विराट।
बता दें कि विराट के अस्तित्व को लेकर लंबे समय से पेंच चला आ रहा था। जुलाई, 2019 में राज्यसभा में तत्कालीन रक्षा राज्यमंत्री श्रीपद नायक ने बताया था कि महाराष्ट्र और आंध्रप्रदेश की राज्य सरकारों ने इसे संग्रहालय में बदलने में रुचि दिखाई है। साथ ही भाजपा नेता राजीव चंद्रशेखर ने भी जहाज को स्क्रैप में जाने से बचाने में रुचि दिखाई थी।
बता दें कि इस जहाज को तोड़ने के लिए श्रीराम समूह ने खरीदा था। यह वो जहाज है, जिसे 1989 में ऑपरेशन जुपिटर में शामिल किया गया था। यह ऑपरेशन भारत-श्रीलंका समझौता टूटने के बाद लॉन्च किया गया था। भारत के किसी ऑपरेशन में इस जहाज का पहला प्रदर्शन था। लेकिन ब्रिटेन की रॉयल नेवी में यह कई ऑपरेशन को अंजाम दे चुका था।
विराट का एक अमर वाक्य रहा-जलमेव यस्य, बलमेव तस्य। विराट करीब 24 हजार टन वजनी है। यह 743 फीट लंबा और 160 फीट चौड़ा है। इसने अपनी सर्विस के दौरान करीब 2252 दिन और करीब 10,94,215 किलोमीटर का सफर समुद्र में तय किया। यह इतनी दूरी है कि 27 बार पूरी दुनिया के चक्कर लगाए जा सकते हैं।
विराट पर एक साथ 18 लड़ाकू विमान उतारे जा सकते थे। सबसे अधिक सेवा में रहने के कारण इसका नाम गिनीज बुक आफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज है। विराट की जगह विक्रमादित्य ने ली। उसे 2012 में सेवा में शामिल किया गया।