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जोशीमठ में होटल्स गिराने का काम रूका, लौटी JCB, होटल मालिकों के हंगामा के बाद बंद हुआ काम
Joshimath buildings demolition started: जोशीमठ को बचाने की कवायद शुरू हो चुकी है। सीबीआरआई व अन्य एक्सपर्ट्स रिपोर्ट के बाद असुरक्षित बिल्डिंग्स को ध्वस्त करने का प्रॉसेस शुरू कर दिया गया है। सबसे पहले यहां के दो होटल्स-मलारी इन और माउंट व्यू को गिराया जाना था। बहुमंजिले दोनों होटल झुक गए हैं। अधिकारियों की देखरेख में इन होटल्स को गिराए जाने के लिए जेसीबी आदि पहुंची तो होटल मालिकों ने हंगामा खड़ा कर दिया। इन लोगों ने होटल गिराने का विरोध शुरू कर दिया। जानिए पूरा मामला विस्तार से...। उधर, रिपोर्ट्स के अनुसार अगर इन होटल्स को नहीं गिराए गए तो आसपास के एरिया के लिए यह और अधिक खतरा बन सकते हैं।
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इसके पहले स्टेट डिसास्टर रिस्पांस फोर्स के कमांडेंट मणिकांत मिश्रा ने कहा कि दो होटलों को चरणबद्ध तरीके से तोड़ा जाएगा। उन्होंने बताया कि सबसे पहले एक-दूसरे की ओर झुके दो होटलों - मलारी इन और माउंट व्यू को गिराने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। दो जेसीबी, एक बड़ी क्रेन और दो टिप्पर ट्रक सहित 60 मजदूरों को विध्वंस के लिए साइट पर लाया गया है। मिश्रा ने कहा, 'दो होटलों में से मलारी इन को पहले तोड़ा जाएगा। सबसे पहले ऊपर के हिस्से को तोड़ा जाएगा। होटल मलारी इन के मालिक ठाकुर सिंह राणा ने कहा कि उनको प्रशासन से कोई नोटिस नहीं मिला। लेकिन अगर जनहित में होटल को गिराया जाता है तो वह सरकार के फैसले के साथ हैं। परंतु उनको नोटिस तो पहले मिले। नोटिस नहीं मिलने पर होटल मालिकों ने हंगामा किया और गिराने का काम फिलहाल रोक दिया गया है।
आपदा प्रबंधन सचिव रंजीत सिन्हा ने बताया कि जोशीमठ के लिए खतरा बन रहे उन जर्जर भवनों को पहले गिराया जाएगा जिनमें अधिक दरारें हैं। इमारतों को गिराने के लिए किसी भी विस्फोटक की मदद नहीं ली जाएगी। सीबीआरआई के वैज्ञानिकों की देखरेख में पीडब्ल्यूडी की टीम भवनों को गिरा रही है। सभी मकानों को पीडब्ल्यूडी की mechanical techniques से तोड़ा जाएगा। जोशीमठ में जमीन धंसने से 678 घरों में दरारें आ चुकी हैं। इतना ही नहीं कई जगहों पर सड़कें भी धंस चुकी हैं। जमीन के नीचे से लगातार पानी निकल रहा है।
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने सुप्रीम कोर्ट से अर्जेंट हियरिंग की अपील की थी। कोर्ट ने इससे इनकार कर दिया है। सुनवाई 16 जनवरी को होगी। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की बेंच ने तत्काल सुनवाई के लिए स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती द्वारा दायर याचिका को लिस्टेड करने से इनकार करते हुए कहा कि हर महत्वपूर्ण चीज सीधे इसमें नहीं आनी चाहिए। इसे देखने के लिए लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित संस्थाएं हैं। हर जरूरी चीज हमारे पास नहीं आनी चाहिए। सीजेआई ने कहा, हम इसे 16 जनवरी को लिस्टेड करेंगे।
जोशीमठ उजड़ रहा। कभी यह क्षेत्र पर्यटकों से गुलजार रहता था। लेकिन अब पलायन का दंश झेल रहा। हर ओर दरारें, चेहरे पर खौफ और अपना घर छोड़ने का अफसोस। उत्तराखंड के मुख्य सचिव एसएस संधू ने जोशीमठ से लोगों को तत्काल निकालने का निर्देश देते हुए कहा कि हर मिनट महत्वपूर्ण है, जहां भूमि धंसने से संरचनाओं और सड़कों में दरारें पड़ गई हैं। चीफ सेक्रेटरी के आदेश का पालन कराने में प्रशासन लगा हुआ है। देश के सबसे खूबसूरत आध्यात्मकि स्थलों में एक जोशीमठ में हर ओर उदासी है। जिला प्रशासन ने रहने के लिए असुरक्षित माने जाने वाले घरों पर रेड क्रॉस का निशान बना दिया है। इन घरों में रह रहे लोगों को अगले छह महीने तक चार हजार रुपये सहायता का आश्वासन भी सरकार की ओर से दिया गया है।
जोशीमठ की स्थिति को समझने के लिए एशियानेट न्यूज़ेबल ने प्रसिद्ध भूविज्ञानी सीपी राजेंद्रन से बात की तो उन्होंने बताया कि जोशीमठ की यह स्थिति एक दिन में नहीं उत्पन्न हुई। यह सरकारों की हठ का नतीजा है जिसकी वजह से वास्तव में पहाड़ों में मौजूद पर्यावरण की नाजुक प्रणाली में दखल दिया गया जिससे पूरा सिस्टम प्रभावित होने लगा। विकास के नाम पर प्रकृति से खिलवाड़ का नतीजा जोशीमठ है। जोशीमठ और पूरे उत्तराखंड को लेकर आने वाले दिनों को लेकर चिंता जताते हुए भूविज्ञानी ने कहा कि निश्चित रूप से यह अंत नहीं है। इससे बहुत सारे भूस्खलन होंगे। यह वहां अधिक बार होगा। इसे रोकना होगा तो विकास के नाम पर मनमाने तरह से इंजीनियरिंग प्रोजेक्ट्स पर लगाम लगानी होगी।
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