कर्तव्य पथ पर प्रधानमंत्री मोदी...देखिए 10 latest photos
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पीएम मोदी ने कहा कि पिछले आठ वर्षों में हमने एक के बाद एक ऐसे कितने ही निर्णय लिए हैं, जिन पर नेता जी के आदर्शों और सपनों की छाप है। नेताजी सुभाष, अखंड भारत के पहले प्रधान थे जिन्होंने 1947 से भी पहले अंडमान को आजाद कराकर तिरंगा फहराया था। उन्होंने कहा कि उस वक्त उन्होंने कल्पना की थी कि लाल किले पर तिरंगा फहराने की क्या अनुभूति होगी। इस अनुभूति का साक्षात्कार मैंने स्वयं किया, जब मुझे आजाद हिंद सरकार के 75 वर्ष होने पर लाल किले पर तिरंगा फहराने का सौभाग्य मिला।
पीएम मोदी ने कहा कि अगर आजादी के बाद हमारा भारत सुभाष बाबू की राह पर चला होता तो आज देश कितनी ऊंचाइयों पर होता। लेकिन दुर्भाग्य से, आजादी के बाद हमारे इस महानायक को भुला दिया गया। उनके विचारों को, उनसे जुड़े प्रतीकों तक को नजरअंदाज कर दिया गया। उन्होंने कहा कि सुभाषचंद्र बोस ऐसे महामानव थे जो पद और संसाधनों की चुनौती से परे थे। उनकी स्वीकार्यता ऐसी थी कि, पूरा विश्व उन्हें नेता मानता था। उनमें साहस था, स्वाभिमान था। उनके पास विचार थे, विज़न था। उनमें नेतृत्व की क्षमता थी, नीतियां थीं।
कर्तव्य पथ के उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि यह नए भारत के आत्मविश्वास की आभा है। देश को आज एक नई प्रेरणा मिली है। गुलामी का प्रतीक किंग्सवे आज से कर्तव्य पथ बन गया। आज कर्तव्यपथ के रूप में नए इतिहास का सृजन हुआ। गुलामी की एक और पहचान से मुक्ति मिल गई।
पीएम मोदी ने कहा कि कर्तव्य पथ केवल ईंट-पत्थरों का रास्ता भर नहीं है। ये भारत के लोकतान्त्रिक अतीत और सर्वकालिक आदर्शों का जीवंत मार्ग है। यहां जब देश के लोग आएंगे, तो नेताजी की प्रतिमा, नेशनल वार मेमोरियल, ये सब उन्हें कितनी बड़ी प्रेरणा देंगे, उन्हें कर्तव्यबोध से ओत-प्रोत करेंगे। उन्होंने कहा कि राजपथ ब्रिटिश राज के लिए था, जिनके लिए भारत के लोग गुलाम थे। राजपथ की भावना भी गुलामी का प्रतीक थी, उसकी संरचना भी गुलामी का प्रतीक थी। जब देश का पथ राजपथ होगा तो उस पर चलने वाली सरकारें, लोकमुखी कैसे हो सकती हैं। कर्तव्य पथ अब सांसदों, नौकरशाहों को कर्तव्य का बोध कराएगा। उन्होंने कहा कि आज राजपथ का आर्किटैक्चर भी बदला है, और इसकी आत्मा भी बदली है।
पीएम मोदी ने कहा कि आज भारत के आदर्श अपने हैं, आयाम अपने हैं। आज भारत के संकल्प अपने हैं, लक्ष्य अपने हैं। आज हमारे पथ अपने हैं, प्रतीक अपने हैं। उन्होंने कहा कि आज अगर राजपथ का अस्तित्व समाप्त होकर कर्तव्यपथ बना है, आज अगर जॉर्ज पंचम की मूर्ति के निशान को हटाकर नेताजी की मूर्ति लगी है, तो ये गुलामी की मानसिकता के परित्याग का पहला उदाहरण नहीं है। ये न शुरुआत है, न अंत है। ये मन और मानस की आजादी का लक्ष्य हासिल करने तक, निरंतर चलने वाली संकल्प यात्रा है।
वैसे तो यह प्लेस दिल्ली की सबसे लोकप्रिय स्पेस है लेकिन री-डेवलपमेंट के बाद यह क्षेत्र पर्यटन की दृष्टि से बेहद खास होने जा रहा है। रीडेवलप्ड एरिया में लाल ग्रेनाइट वॉकवे हैं, जो चारों ओर हरियाली के साथ लगभग 1.1 लाख वर्ग मीटर फैले हुए हैं। इस पूरे प्रोजेक्ट की घोषणा सितंबर 2019 में की गई थी। 10 दिसंबर 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रोजेक्ट की आधारशिला रखी थी।
इंडिया गेट पर आजादी के महानायक नेताजी सुभाष चंद्र बोस की लगी प्रतिमा, ग्रेनाइट से बनी है और 28 फीट ऊंची और 6 फीट चौड़ी है। नेताजी की भव्य प्रतिमा को 280 मीट्रिक टन वजन वाले ग्रेनाइट के एक अखंड ब्लॉक (monolithic block) यानी एक ही पत्थर पर पर तराशा गया है। इसे तैयार करने में 26,000 मानव-घंटे(man-hours) लगे। 65 मीट्रिक टन वजनी मूर्ति का निर्माण करने के लिए ग्रेनाइट मोनोलिथ (granite monolith) मतलब एक ही पत्थर को तराशा गया। मूर्ति को तैयार करने वाले मूर्तिकारों को प्रसिद्ध मूर्तिकार अरुण योगीराज ने लीड किया। मूर्ति का निर्माण मार्डन टूल्स(औजार) की हेल्प से ट्रेडिशनल टेक्निक से किया गया।
नई दिल्ली के केंद्र में 42 मीटर ऊंचा इंडिया गेट है। यह उन 70,000 से अधिक भारतीय सैनिकों को शहादत को याद दिलाता है, जिन्होंने प्रथम विश्व युद्ध के दौरान ब्रिटिश सेना के लिए लड़ते हुए अपनी कुर्बानी दी थी। जब इंडिया गेट बना, तब यहां यूनाइटेड किंग्डम(UK) के राजा जार्ज पंचम(George V) की प्रतिमा स्थापित की गई थी। उसे बाद में बुराड़ी रोड स्थित कोरोनेशन पार्क (Coronation Park) में शिफ्ट कर दिया गया था। अब इसी चबूतरे(स्तम्भ) पर नेताजी की मूर्ति विराजी है।
दरअसल, सेंट्रल विस्टा एवेन्यू, राष्ट्रपति भवन से लेकर इंडिया गेट तक है। यह सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के तहत री-डेवलप किया गया है। पहले इस एरिया को राजपथ कहा जाता था। लेकिन पीएम मोदी ने आज उसे कर्तव्य पथ के रूप में जनता को समर्पित किया। अब राष्ट्रपति भवन से लेकर इंडिया गेट का कर्तव्य पथ कहलाएगा। गणतंत्र दिवस पर कर्तव्य पथ पर पहली बार परेड होगा।
सेंट्रल विस्टा मतलब राष्ट्रपति भवन से इंडिया गेट तक का 3.2 किलोमीटर का एरिया। यह 111 साल पहले अस्तित्व में आया था।बंगाल में अपने विरोध से डरे किंग जॉर्ज पंचम को भारत की राजधानी कलकत्ता (अब कोलकाता) से दिल्ली शिफ्ट करनी पड़ी थी। इसकी डिजाइन प्रसिद्ध आर्किटेक्ट एडविन लुटियंस और हर्बर्ट बेकर ने की थी। 1931 में सेंट्रल विस्टा का उद्घाटन हुआ था।