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Floods in Assam: 32 जिलों में 47 लाख लोगों का सबकुछ डूबा, 5400 से अधिक गांव बर्बाद, देखें कुछ तस्वीरें
गुवाहाटी. असम में बाढ़(Assam floods) की स्थिति गंभीर बनी हुई है। इस समय सभी प्रमुख नदियां उफान पर हैं। बाढ़ से राज्य में 47 लाख से अधिक लोग प्रभावित हुए हैं। 20 जून को 11 और लोगों की जान गई है। पूर्वोत्तर राज्य असम पिछले एक सप्ताह से विनाशकारी बाढ़ की चपेट में है, जिससे 36 में से 32 जिलों में 47,72,140 लोग प्रभावित हुए हैं। असम स्टेट डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी (ASDMA) द्वारा जारी बुलेटिन के मुताबिक, इस साल असम में आई बाढ़ और भूस्खलन(floods and landslides in Assam) में मरने वालों की संख्या बढ़कर 82 हो गई है। इस बीच केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा से फोन पर हालात की जानकारी ली। अमित शाह ने असम में बाढ़ की स्थिति के बारे में पूछताछ करने के लिए सोमवार को सुबह से दो बार फोन किया। उन्होंने बताया कि प्राकृतिक आपदा से हुए नुकसान का आकलन करने के लिए गृह मंत्रालय जल्द ही अधिकारियों की एक टीम भेजेगा। सरमा ने ट्वीट करके यह जानकारी दी। शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा को फोन कर स्थिति का जायजा लिया था और उन्हें केंद्र की ओर से हर संभव मदद का आश्वासन दिया था। मौसम विभाग ने आजकल में फिर असम के पश्चिमी हिस्सों में बारिश का अलर्ट जारी किया है। देखें कुछ तस्वीरें...
| Published : Jun 21 2022, 09:03 AM IST / Updated: Jun 21 2022, 09:07 AM IST
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असम विधानसभा में विपक्ष के नेता देवव्रत सैकिया ने प्रधानमंत्री से उन क्षेत्रों में राहत और पुनर्वास कार्य के लिए कम से कम 20,000 करोड़ रुपये के केंद्रीय पैकेज की मांग की, जो पिछले तीन से चार वर्षों में बाढ़ के कारण क्षतिग्रस्त हुए हैं। उन्होंने केंद्र से राज्य में बाढ़ और कटाव की समस्या को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने का आग्रह किया। कामरूप: जिले के कलिता कुची में भारी बारिश के बाद बाढ़ वाली सड़क से गुजरते ग्रामीण।
इस बीच मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने बाढ़ की स्थिति की समीक्षा के लिए राज्यों के मंत्रियों, वरिष्ठ अधिकारियों और जिलों में डिप्टी कमिश्नरों के साथ एक वर्चुअल बैठक की। उन्होंने बचाव और राहत कार्यों को सर्वोच्च प्राथमिकता देने का निर्देश दिया। सिलचर: बाढ़ प्रभावित इलाके से सुरक्षाकर्मियों ने लोगों को बचाया।
असम के मुख्यमंत्री सरमा ने अधिकारियों से उन क्षेत्रों में राहत सामग्री पहुंचाने के लिए भारतीय वायु सेना (आईएएफ) की मदद लेने को कहा, जहां NDRF या SDRF की नावें अब तक नहीं पहुंच पाई हैं। भारतीय वायुसेना ने राज्य सरकार को गंभीर रूप से प्रभावित क्षेत्रों में पेट्रोलियम और डीजल पहुंचाने का भरोसा दिलाया है। कामरूप: जिले के कलिता कुची में भारी बारिश ने भयंकर तबाही मचाई है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पड़ोसी राज्यों मणिपुर और त्रिपुरा से एनडीआरएफ की अतिरिक्त टीमों को शामिल करके बराक घाटी में राहत और बचाव कार्यों को गति दी जाएगी। सरमा ने कहा कि वह बाढ़ और भूस्खलन के कारण बुरी तरह क्षतिग्रस्त हुए जोवाई-बदरपुर मार्ग पर यातायात बहाल करने के लिए मेघालय के अपने समकक्ष(मुख्यमंत्री) के संपर्क में हैं। कामरूप : कामरूप जिले के कलिता कुची में वॉलिंटियर्स ने बाढ़ प्रभावित ग्रामीणों के बीच खाना बांटा।
बता दें कि असम में लगातार बारिश के कारण आई विनाशकारी बाढ़ ने 5,424 गांवों को प्रभावित किया है, जहां से 2,31,819 लोगों ने 810 रिलीफ कैम्प में शरण ली है। जिन लोगों ने ऐसे शिविरों में शरण नहीं ली है, उन्हें 615 केंद्रों से राहत सामग्री बांटी जा रही है। अगरतला: भारतीय सेना के जवानों ने लगातार बारिश के बाद अगरतला में बाढ़ राहत अभियान चलाया।
असम में इस समय कोपिली, ब्रह्मपुत्र, पुथिमारी, पगलाडिया, बेकी बराक और कुशियारा नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं। बारपेटा, कछार, दरांग, गोलपारा, कामरूप (महानगर), करीमगंज जिलों में शहरी बाढ़ की सूचना मिली और दिन के दौरान कामरूप और करीमगंज जिलों में भूस्खलन हुआ। अगरतला: यहां के बाहरी इलाके में लगातार बारिश के बाद बाढ़ प्रभावित गांव के निवासियों को सुरक्षित स्थान पर भेजा जा रहा है।
असम में 1,13,485.37 हेक्टेयर फसल क्षेत्र प्रभावित हुआ है, जबकि 5,232 जानवर बह गए हैं। दो तटबंध टूट गए, 349 सड़कें और 16 पुल क्षतिग्रस्त हो गए। अगरतला: यहां के बाहरी इलाके में लगातार हो रही बारिश के बाद बाढ़ प्रभावित गांवों के लोगों को रिलीफ कैम्प में भेजा जा रहा है।
बाढ़ ने हालात बेहद खराब कर दिए हैं। असम में हर साल बाढ़ ऐसी ही तबाही लाती है। लाखों लोग हर बार प्रभावित होते हें।
कामरूप: कामरूप जिले के कलिता कुची में भारी बारिश के बाद जलभराव वाली सड़क पर बाढ़ बैरिकेड्स लगाए जा रहे हैं।
सिलचर: सिलचर में बाढ़ प्रभावित इलाके से गुजरते लोग। सबसे अधिक दिक्कत दिव्यांग और बुजुर्गों को हो रही है।