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मां, पत्नी और भतीजे से मिलते ही आधे घंटे तक फूट फूटकर रोया निर्भया का दोषी अक्षय, फिर पत्नी ने...
नई दिल्ली. सात साल पहले निर्भया से दरिंदगी करने वाले चारों दोषी तिहाड़ जेल में बंद है। कोर्ट के आदेश के बाद उन्हें 1 फरवरी को सुबह 6 बजे फांसी पर लटकाने की कवायद की जा रही है। ऐसे में तीन दोषियों मुकेश, पवन और विनय के परिवार वाले लगातार उनसे मिलने के लिए तिहाड़ जेल आते रहे हैं। लेकिन काफी इंतजार के बाद दोषी अक्षय के परिवार वाले सोमवार को जेल नंबर तीन उससे मिलने पहुंचे। फांसी की तारीख तय होने से पहले ही नवंबर माह में अक्षय की पत्नी उससे मिलने के लिए जेल आई थी। उसके बाद से अक्षय की परिवार वालों से लगातार फोन पर बात हो रही थी।
| Published : Jan 28 2020, 10:30 AM IST / Updated: Jan 28 2020, 10:36 AM IST
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अक्षय का परिवार बिहार में रहता है। अपनी मां, पत्नी और भतीजे को देखकर अक्षय अपने को रोक नहीं सका और फूट-फूट कर रोने लगा। बेटे के हालत को देखकर मां भी खुद को रोक नहीं सकी। वहीं पत्नी ने रूंधे गले से दोनों को ढांढस बंधाने की कोशिश की। जेल अधीक्षक कार्यालय में चली करीब आधे घंटे की मुलाकात के दौरान पत्नी और मां ने चल रही कानूनी प्रक्रिया के बारे में उससे पूछताछ की। (निर्भया के चारों दोषियों की फाइल फोटो)
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निर्भया मामले में चार दोषियों पवन, अक्षय, मुकेश और विनय शर्मा के खिलाफ दूसरी बार डेथ वारंट जारी हो चुका है। इनकी फांसी की तारीख 1 फरवरी तय की गई है लेकिन दोषियों के पास अभी पांच कानूनी विकल्प मौजूद हैं। साथ ही मुकेश ने राष्ट्रपति के द्वारा दया याचिका को खारिज करने के फैसले को भी सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। ऐसे में 1 फरवरी को भी दोषियों को फांसी पर लटकाना संभव नहीं है। (निर्भया के दो दोषी एक अक्षय, दूसरा मुकेश)
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दोषियों के वकील एपी सिंह के मुताबिक दोषी पवन और अक्षय के पास अभी सुधारात्मक याचिका और दया याचिका का विकल्प है जबकि विनय के पास दया याचिका का विकल्प बचा है। एपी सिंह का कहना है कि पवन, मुकेश, अक्षय और विनय को लूट के एक मामले में निचली अदालत ने दस साल की सजा सुनाई थी। इस फैसले के खिलाफ अपील हाईकोर्ट में लंबित है। जब तक इस पर फैसला नहीं हो जाता, दोषियों को फांसी नहीं दी जा सकती है। (फाइल फोटो-तिहाड़ जेल में बंद कैदी)
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फांसी घर से रखा गया है दूरः मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, दोषियों को फांसी घर से दूर रखा गया है। प्रशासन का मानना है कि फांसी घर को देखने से उनमें दहशत और तनाव हो सकता है। सुरक्षाकर्मियों को हिदायत दी गई है कि दोषियों को फांसी से जुड़ी कोई भी जानकारी न दी जाए। (निर्भया के दोषी मुकेश की प्रोफाइल)
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क्या है पूरा मामलाः दक्षिणी दिल्ली के मुनिरका बस स्टॉप पर 16-17 दिसंबर 2012 की रात पैरामेडिकल की छात्रा अपने दोस्त को साथ एक प्राइवेट बस में चढ़ी। उस वक्त पहले से ही ड्राइवर सहित 6 लोग बस में सवार थे। किसी बात पर छात्रा के दोस्त और बस के स्टाफ से विवाद हुआ, जिसके बाद चलती बस में छात्रा से गैंगरेप किया गया। (निर्भया के माता-पिता की फाइल तस्वीर)
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जिसके बाद लोहे की रॉड से क्रूरता की सारी हदें पार कर दी गईं। छात्रा के दोस्त को भी बेरहमी से पीटा गया। बलात्कारियों ने दोनों को महिपालपुर में सड़क किनारे फेंक दिया। पीड़िता का इलाज पहले सफदरजंग अस्पताल में चला, सुधार न होने पर सिंगापुर भेजा गया। घटना के 13वें दिन 29 दिसंबर 2012 को सिंगापुर के माउंट एलिजाबेथ अस्पताल में छात्रा की मौत हो गई। (फाइल फोटो- इसी बस में निर्भया के साथ हुई थी दरिंदगी)