निर्भया के दरिंदों को फांसी तक पहुंचाने में इन 2 लोगों ने निभाई अहम भूमिका
| Published : Mar 06 2020, 02:14 PM IST / Updated: Mar 06 2020, 03:07 PM IST
निर्भया के दरिंदों को फांसी तक पहुंचाने में इन 2 लोगों ने निभाई अहम भूमिका
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अवनींद्र पांडेय : निर्भया मामले में अवनींद्र पांडेय इकलौते गवाह थे। उन्हीं की गवाही ने निर्भया को न्याय दिलाने में अहम भूमिका निभाई। अवनींद्र घटना के वक्त निर्भया के साथ बस में मौजूद थे।
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चलती बस में जब निर्भया के साथ दरिंदगी हुई तब अवनींद्र को भी बुरी तरह पीटा गया था। इसके बाद उन्हें निर्भया के साथ बस से बाहर फेंक दिया गया। निर्भया के दोस्त की गवाही को निचली अदालत, दिल्ली हाई कोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट ने सही माना और फांसी की सजा सुनाई।
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अवनींद्र यूपी के गोरखपुर के रहने वाले हैं। तुर्कमानपुर स्थित घर में आज भी उनका परिवार रहता है। उनके पिता भानु प्रताप पांडेय शहर के जाने माने वकील हैं। वो कहते हैं, इस घटना को 7 साल हो गए। अब बेटा इन सब से दूर दूसरी जिंदगी जी रहा है।
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उन्होंने बताया, घटना के बाद बेटे से इतने सवाल पूछे गए कि वो अपनी लाइफ में आगे ही नहीं बढ़ पा रहा था। हालांकि, अब ऐसा नहीं है। पुणे में कॉम्पटीशन की तैयारी करने के बाद वो विदेश में प्राइवेट कंपनी में इंजीनियर के पद पर तैनात है। वो बस यही चाहता है कि निर्भया के दोषियों को फांसी हो।
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सीमा समृद्धि: दरिंदों को फांसी की सजा दिलाकर निर्भया को इंसाफ दिलाने में वकील सीमा समृद्धि का अहम रोल रहा है। सीमा समृद्धि शुरुआत से ही निर्भया की माता-पिता की वकील हैं। सीमा कुशवाहा पिछले एक दशक से वकालत कर रही हैं।
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सीमा ने 2014 में सुप्रीम कोर्ट में वकालत शुरू की। इसके बाद वे निर्भया ज्योति ट्रस्ट से भी जुड़ीं। सीमा ने दोषियों के हर पैतरेंबाजी का कोर्ट में खुलकर जवाब दिया। इसी का नतीजा ये हुआ कि एक दोषियों की एक के बाद एक याचिका खारिज होती चली गईं। अब दोषियों का चौथा डेथ वारंट जारी किया गया है।
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इससे पहले पटियाला कोर्ट ने 7 जनवरी को पहला डेथ वारंट जारी किया गया था, जिसमें दोषियों को 22 जनवरी की सुबह 7 बजे फांसी दी जानी थी। लेकिन दोषियों के कानूनी दांव पेंच के चलते यह फांसी टल गई। फिर 17 जनवरी को जारी किया, इसके मुताबिक- 1 फरवरी को फांसी होनी थी।
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हालांकि, कानूनी दांव पेंच के चलते यह भी टल गया। इसके बाद कोर्ट ने तीसरी बार डेथ वॉरंट जारी कर 3 मार्च की सुबह 6 बजे फांसी की तारीख तय की थी। लेकिन दोषी पवन ने 2 मार्च को दया याचिका लगा दी। इस वजह से कोर्ट ने डेथ वॉरंट को रद्द कर दिया।
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16 दिसंबर, 2012 की रात में 23 साल की निर्भया से दक्षिण दिल्ली में चलती बस में 6 लोगों ने दरिंदगी की थी। साथ ही निर्भया के साथ बस में मौजूद दोस्त के साथ भी मारपीट की गई थी। दोनों को चलती बस से फेंक कर दोषी फरार हो गए थे।
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इसके बाद निर्भया का दिल्ली के अस्पताल में इलाज चला था। जहां से उसे सिंगापुर के अस्पताल में इलाज के लिए भेजा गया था। 29 दिसंबर को निर्भया ने सिंगापुर के अस्पताल में इलाज के दौरान दम तोड़ दिया था।