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इस तरह तो आधा PAK भूखों मर जाएगा, हर दूसरे पाकिस्तानी को सता रहा एक अजीब खौफ

जिस तरह इमरान खान क्रिकेट में विरोधी टीमों के छक्के छुड़ाते थे, वैसा जादू वे पाकिस्तान के प्रधानमंत्री होते नहीं दिखा पाए। इस समय पाकिस्तानियों की हालत बेहद खराब है। उस पर कोरोना ने 'आटा गीला' कर दिया है। पाकिस्तान में बेरोगजारी लगातार बढ़ती जा रही है। कुछ समय पहले एक अंतरराष्ट्रीय रिसर्च कंपनी 'इप्सोस' ने कोरोना वायरस के कारण पाकिस्तान पर पड़े असर पर एक रिपोर्ट तैयार की थी। इसमें चौंकाने वाले तथ्य सामने आए थे। इसके अनुसार हर दूसरे पाकिस्तानी को 6 महीने में अपनी नौकरी जाने का डर सता रहा है। यानी 57 प्रतिशत पाकिस्तानियों को अपनी नौकरी जाने के खौफ से तनाव झेल रहे हैं। अब संयुक्त अरब अमीरात(UAE) में अकेले नवंबर-दिसंबर में 20 हजार पाकिस्तानियों की नौकरी जाने ने यह बात साबित कर दी है। देखिए क्या हैं पाकिस्तान के हालात... 

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Asianet News Hindi
Published : Jan 06 2021, 11:20 AM IST| Updated : Jan 06 2021, 11:23 AM IST
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 दरअसल, पाकिस्तान भारत और इजरायल का विरोध करता आ रहा है। इससे उसके UAE जैसे पुराने दोस्त दूर होते जा रहे हैं। कश्मीर के मुद्दे पर पाकिस्तान 1947 में हुए बंटवारे के बाद से ही कुलबुला रहा है। 5 अगस्त, 2019 को जब केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाने का ऐलान किया, तब पाकिस्तान ने दुनियाभर में हो-हल्ला मचाया था। वो अपने पुराने मुस्लिम मुल्क दोस्तों जैसे सऊदी अरब, UAE से समर्थन चाहता था, लेकिन दांव उल्टा पड़ा।

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बता दें कि हाल ही में यूएई ने पाकिस्तान सहित 13 मुस्लिम देशों के लिए वर्क या एम्प्लायमेंट वीजा रद्द कर दिया है। इसका असर यह हुआ कि पाकिस्तानियों की नौकरी चली गई। इससे 80 प्रतिशत नौकरियां भारतीयों को मिलीं। हालांकि यूएई यह कह रहा है कि उसने यह बैन कोरोना के मद्देनजर लगाया है।

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बता दें कि यूएई में पाकिस्तानी कामगारों की संख्या बहुत है। हर साल बड़ी संख्या में पाकिस्तानी काम के सिलसिले में यूएई जाते रहे हैं। अब रिक्रूटमेंट एजेंसियां कह रही हैं कि बैन ने पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ेगा। जब 18 नवंबर को यूएई ने वीजा पर बैन लगाया था, उससे कुछ समय पहले ही रावलपिंडी की एक रिक्रूटमेंट एजेंसी ने 3000 नौकरियां गंवा दी थीं।
 

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पाकिस्तान में एक रिक्रूटमेंट एजेंसी चलाने वाले सांसद अनवर बेग ने पाकिस्तान के प्रमुख अखबार एक्सप्रेस ट्रिब्यून को बताया था कि 2015 में पाकिस्तान से 3,26,000, 2016 में 2,90,000, 2017 में 275,000, 2018 में 208,000, 2019 में 2,11000 और 2020 में कोविड के बीच अक्टूबर तक 50,000 पाकिस्तानी काम-धंधे के लिए यूएई गए थे। पाकिस्तानी कामगार सालाना देश में 4 अरब डॉलर के करीब रेमिटेंस (Remittance) भेजते हैं। यानी पैसा ट्रांसफर करते हैं।

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यूएई और सऊदी अरब में काम करने वाले पाकिस्तानियों ने अकेले नंबर में करीब 8.3 हजार करोड़ रुपए स्वदेश भेजे थे। यानी पूरी दुनिया से पाकिस्तानी जितनी रकम घर भेजते हैं, उसका 65% खाड़ी देशों से आता है। 'इप्सोस' की रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान में गरीबी का यह आलम है कि 58 फीसदी पाकिस्तानी सरकारी सहायता पर निर्भर हैं।

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पाकिस्तान से जुड़े फैक्ट
-2018 की जनगणना के हिसाब से पाकिस्तान की जनसंख्या 21.22 करोड़ है
विश्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार शहरों के मुकाबले पाकिस्तान के गांवों की 80 फीसदी आबादी गरीब है
-पाकिस्तानी गांवों में 62 फीसदी ग्रामीण आबादी गरीबी रेखा से भी नीचे जीवन यापन कर रही है
- तुर्की ने पाकिस्तान से 300 करोड़ डॉलर का कर्ज ले रखा है, जो अब वापस मांगा जा रहा है
- 2019 में जितने पाकिस्तानी काम के सिलसिले में बाहर निकले, उसमें से 87 फीसदी सऊदी अरब या यूएई गए। 
-अभी सऊदी अरब में करीब 26 लाख और यूएई में करीब 15 लाख पाकिस्तानी कामगार मौजूद हैं।
 

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