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कोल्ड ड्रिंक की बोतलें बेचकर पैसे जुटाए, मंदिर में लंगर खाया और फिर खड़ी कर दी 'एप्पल' जैसी कंपनी
24 फरवरी एप्पल के सह संस्थापक स्टीव जॉब्स के जन्मदिन के रूप में दर्ज है। कहते हैं कि हर चीज की शून्य से शुरुआत होती है। स्टीव जॉब्स ने अपनी मिनी बस और कुछ सामान बेचकर एक गैराज में अपने दो दोस्तों के साथ कंपनी की शुरुआत की थी। एप्पल आज कंम्यूटर से लेकर मोबाइल तक दुनिया की एक अग्रणी कंपनी बनी हुई है। जॉब्स ने पोर्टलैंड, ओरेगोन में रीड कॉलेज की पढ़ाई बीच में छोड़ दी थी। 1974 में उन्होंने एक कंपनी में नौकरी की, जहां वे वीडियो गेम्स डिजाइनर थे। यहां से वे कुछ पैसा कमाना चाहते थे, ताकि बौद्ध धर्म के बारे में जानने भारत की यात्रा कर सकें। बता दें कि कैलिफोर्निया के सेन फ्रांसिस्को में 1955 को जन्मे स्टीव का कैंसर के चलते 5 अक्टूबर, 2011 में निधन हो गया था। लेकिन आखिरी समय तक उन्होंने हिम्मत नहीं हारी।
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12 जून, 2005 को स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी के एक प्रोग्राम में अपने जीवन का सबसे प्रसिद्ध भाषण ‘Stay Hunger Stay Foolish’ दिया था। इसमें उन्होंने अपनी जिंदगी के कई राज़ बताए थे।
स्टीव ने 20 साल की उम्र में अपने दोस्त woz के साथ मिलकर गैरेज में एप्पल कंपनी की शुरुआत की थी। आज इस कंपनी में 4000 से अधिक कर्मचारी काम करते हैं। हालांकि एक समय ऐसा आया था, जब उनका एक प्रोजेक्ट फेल हो गया और 30 साल की उम्र में उन्हें उनकी ही कंपनी से बाहर निकाल दिया गया था।
(कंपनी लॉन्चिंग के दौरान स्टीव और दोस्त)
स्टीव की बेटी लीज़ा ब्रेनन जॉब्स ने उन पर एक किताब लिखी थी-स्मॉल फ्राई नाम से। इसमें लीज़ा ने खुलासा किया था कि उनके पिता पहले उन्हें पसंद नहीं करते थे। वे लीजा से कहते थे कि उनसे टॉयलेट सी बदबू आती है। लीज़ा का जन्म फार्म हाउस में हुआ था। तब उनकी मां क्रिशन बैनन स्टीव और पिता जॉब्स की उम्र 23 साल की थी। स्टीव के बारे में एक और खुलासा हुआ कि वे अपनी पत्नी की मदद नहीं करते थे। लीज़ा की मां को घर चलाने दूसरों के घरों में बर्तन तक मांजने पड़े।
अगले एक साल में ही एप्पल 20 करोड़ डॉलर की कंपनी बन गई थी।
जॉब्स जब 5 साल के थे, तब उनका परिवार सैन फ्रांसिस्को से माउंटेन व्यू, कैलिफोर्निया शिफ्ट हो गया। स्टीव जब जन्मे तब उनके माता-पिता की शादी नहीं हुई थी। इसी कारण उन्हें माता-पिता ने उन्हें गोद लिया था। शुरुआती दिनों में स्टीव को कोक की बोतलें बेचकर पैसे जुटाने पड़े। भगवान कृष्ण के एक मंदिर में सप्ताह में एक बार फ्री में भोजन करने जाते थे। जॉब्स ने भारत की यात्रा के बाद बौद्ध धर्म को अपना लिया था।