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1971 युद्ध में पाकिस्तान पर विजय की गौरवगाथा कहने वाला विजयंत पहुंचा शौर्यस्थली, देखिए Pics कैसे हुआ स्वागत
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पूर्व सांसद ने वॉर मेमोरियल शौर्यस्थल के लिए भेजा गया नर्व वर्ष का सर्वश्रेष्ठ गिफ्ट करार दिया। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी के आशीर्वाद से बने प्रदेश के पहले वॉर मेमोरियल को सीडीएस के सहयोग से मिला यह गिफ्ट शानदार और गौरवशाली है। देश के कई युद्ध में भारतीय गौरव गाथा लिखने वाला विजयंत टैंक अब यहां युद्ध स्मारक पर शोभा बढ़ाएगा।
शौर्यस्थल का निर्माण देश के लोगों को भारतीय सैनिकों की गौरवशाली परंपरा को कहने के लिए किया गया है। इस शौर्यस्थल के निर्माण में तत्कालीन रक्षा मंत्री मनोहर परिकर,पहले सीडीएस जनरल बिपिन रावत, पूर्व थल सेनाध्यक्ष जनरल वेद मलिक, पूर्व नौ सेनाध्यक्ष एडमिरल डी के जोशी, पूर्व वायु सेनाध्यक्ष एयर चीफ मार्शल राहा, धनोआ और भदोरिया, वर्तमान थल सेनाध्यक्ष जनरल मनोज पांडे, एडमिरल हरिकुमार और वायुसेनाध्यक्ष एयर चीफ वी एस चौधरी का योगदान रहा है। शौर्यस्थल के लिए वित्तीय सहायता सांसद रहे तरुण विजय ने किया है।
जानिए विजयंत के बारे में...
पाकिस्तान के विरुद्ध 1971 के युद्ध में भारत के मुख्य युद्धक टैंक विजयंता (विजयी) की जीत में महत्वपूर्ण भूमिका रही। विजयंत टैंकों ने 1999 में कारगिल युद्ध और पाकिस्तान के खिलाफ ऑपरेशन पराक्रम (2001-2002) में भी अहम भूमिका निभाई थी। चीन के साथ 1962 के युद्ध के बाद, भारत ने स्वदेश निर्मित युद्धक टैंक की आवश्यकता महसूस की और ब्रिटिश कंपनी विकर्स-आर्मस्ट्रांग के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए। विकर्स ने यूके से लगभग 90 टैंक बनाए और शिप किए साथ ही यह भारत को टेक्नोलॉजी ट्रांसफर के लिए भी सहमत हुआ। इसके बाद चेन्नई में हेवी व्हीकल फैक्ट्री (HVF जिसे अब आर्मर्ड व्हीकल निगम लिमिटेड कहा जाता है) की नींव रखी गई और इस टैंक का निर्माण शुरू हुआ।
क्या है युद्ध स्मारक शौर्य स्थल?
उत्तराखंड के वीर शहीदों की याद में राज्य के चीड़बाग में युद्ध स्मारक शौर्य स्थल का निर्माण 2017 में कराया गया था। 16 दिसंबर 2017 को इस शौर्यस्थल का शुभारंभ किया गया था। इस शहीद स्थली की देखरेख पूर्व सांसद तरुण विजय की अध्यक्षता में गठित समिति करती है। शौर्य स्थल का उद्घाटन तत्कालीन रक्षा मंत्री अरुण जेटली ने किया था जबकि इस स्मारक के निर्माण के दौरान भूमिपूजन मेजर जनरल बलराज मेहता व तरुण विजय ने किया था। चीड़बाग में करीब एक एकड़ भूमि में बने इस स्मारक के निर्माण में दो करोड़ रुपये से अधिक खर्च किया गया है। यहां उत्तराखंड के डेढ़ हजार से अधिक शहीद वीरों के नाम दर्ज हैं। स्मारक में एक तिरंगा भी फहराया गया है।
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