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World Environment Day: जानिए 5 जून को क्यों मनाया जाता है विश्व पर्यावरण दिवस, जानें क्या है महत्व
नई दिल्ली. 5 जून को हर साल विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है। इस दिवस को मनाने के पीछे का उद्देश्य पर्यावरण के प्रति लोगों को जादरुक करना होता है। पहली बार 1972 में पर्यावरण दिवस मनाया गया था। प्रकृति के बिना मनुष्य का जीवन संभव नहीं है। मनुष्य भी पर्यावरण और पृथ्वी का एक हिस्सा माना जाता है। आईए जानते हैं कि पर्यावरण दिवस क्यों मनाया जाता है और इसका क्या महत्व है?
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पहली बार 1972 में संयुक्त राष्ट्र संघ ने 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया। तभी से हर साल 5 जून को यह दिवस मनाया जाने लगा।
दरअसल, इस 1972 में यूएन ने स्वीडन के स्टॉकहोम में पर्यावरण और प्रदूषण को लेकर एक पर्यावरण सम्मेलन किया था। इसमें 119 देशों ने हिस्सा लिया। इसके बाद से इसी दिन हर साल विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाने लगा।
2020 में विश्व पर्यावरण दिवस की थीम 'प्रकृति के लिए समय' रखी गई है। हर साल पर्यावरण दिवस पर अलग थीम रखी जाती है।
पर्यावरण को सुधारने के लिए यह दिवस अहम माना जाता है। इसमें पूरा विश्व रास्ते में खड़ी चुनौतियों को हल करने का रास्ता निकालता है।
पर्यावरण के प्रति लोगों को जागरूक करने में यूएन द्वारा विश्व पर्यावरण दिवस सबसे बड़ा आयोजन है।
पर्यावरण दिवस का मुख्य उद्देश्य हमारी प्रकृति की रक्षा के लिए जागरूकता बढ़ाना और दिन-प्रतिदिन बढ़ रहे विभिन्न पर्यावरणीय मुद्दों को देखना है।
इस साल का पर्यावरण दिवस काफी अलग माना जा रहा है। दुनियाभर के देशों में लॉकडाउन के चलते प्रदूषण घटा है। भारत में भी स्थिति काफी बेहतर हुई है।
भारत में ना केवल वायु शुद्ध हुई है। बल्कि अब गंगा, यमुना समेत तमाम नदियों का पानी भी स्वच्छ हो गया है।
इस पर्यावरण दिवस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों से पर्यावरण दिवस पर प्रकृति के साथ गहरा रिश्ता बनाने का संकल्प लेने की अपील की है। पीएम मोदी ने अपने रेडियो कार्यक्रम मन की बात में कहा था, करते हुए कहा है कि पर्यावरण का सीधा संबंध हमारे बच्चों के भविष्य से है, इसलिए 5 जून को प्रकृति को बचाने की तरफ कदम बढ़ाते हुए कुछ पेड़ अवश्य लगाएं।
पीएम मोदी ने कहा था, लॉकडाउन के दौरान पिछले कुछ हफ्तों में जीवन की रफ्तार थोड़ी धीमी जरूर हुई है, लेकिन इससे हमें अपने आसपास, प्रकृति की समृद्ध विविधता को, जैव-विविधता को, करीब से देखने का अवसर भी मिला है। आज कितने ही ऐसे पक्षी जो प्रदूषण और शोर–शराबे में ओझल हो गए थे, सालों बाद उनकी आवाज़ को लोग अपने घरों में सुन रहे हैं। अनेक जगहों से, जानवरों के उन्मुक्त विचरण की खबरें भी आ रही हैं।