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Hockey World Cup 2023: मेजर को क्यों कहा जाता है हॉकी का जादूगर? किसने दिलाया था भारत को इकलौता विश्व कप

Hockey World Cup 2023. भारतीय हॉकी टीम के नाम दुनिया के कुछ ऐसे रिकॉर्ड्स हैं जिन्हें तोड़ पाना बेहद मुश्किल है। भारत के कई खिलाड़ी ऐसे रहे हैं जिन्होंने न सिर्फ हॉकी को आगे बढ़ाने का काम किया बल्कि दुनिया में भारत का नाम भी रोशन किया। हॉकी के जादूगर मेजर ध्यान चंद ने तानाशाह हिटलर तक को अपना फैन बना लिया था। वहीं शमशेर सिंह जूनियर ने भारत को पहला और इकलौता विश्व कप दिलाया था। आइए ऐसे ही 5 टॉप भारतीय हॉकी खिलाड़ियों के बारे में बताते हैं... 

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Manoj Kumar
Published : Jan 05 2023, 02:36 PM IST
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मेजर ध्यान चंद
मेजर ध्यान चंद को हॉकी का जादूगर इसलिए कहा जाता है क्योंकि एक बाद गेंद जब उनके स्टिक के पास पहुंच जाती थी तो किसी चुंबक की तरह गेंद को फंसा लेते थे। मेजर सिर्फ गोल ही नहीं करते थे बल्कि गोलों की बारिश करते थे। मेजर ध्यान चंद ने दो-दो ओलंपिक गेम्स के फाइनल में हैट्रिक लगाई थी और ऐसा करने वाले वे दुनिया के इकलौते खिलाड़ी हैं। 1928 ओलंपिक में कुल 14 गोल करने वाले ध्यान चंद ने भारत को पहला ओलंपिक गोल्ड दिलाया। इसके बाद 1932 और 1936 में भारत को ओलंपिक गोल्ड दिलाने वाले खिलाड़ी मेजर ध्यान चंद ही थे।

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बलबीर सिंह सीनियर
बलबीर सिंह दोसांझ ने भारत को आजादी के बाद पहला ओलंपिक गोल्ड मेडल दिलाया था। 1948 में बलबीर सिंह सीनियर ने 8 गोल दागे और भारत को ओलंपिक गोल्ड दिलाया। 1952 के ओलंपिक गेम्स फाइनल में बलबीर सिंह ने 5 गोल किए थे और यह रिकॉर्ड आज तक कायम है। बलबीर सिंह को पद्मश्री से नवाजा गया था जो कि भारत का चौथा सर्वोच्च नागरिक सम्मान है।

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मोहम्मद शाहिद 
1979 में भारतीय हॉकी जूनियर टीम से डेब्यू करने वाले मोहम्मद शाहिद एक ऐसा नाम है जो हॉकी की दुनिया में अमर हो गया है। 1 साल तक जूनियर टीम के साथ खेलने वाले शाहिद 1980 में भारतीय सीनियर टीम के खिलाड़ी बन गए। शाहिद और जफर इकबाल की जोड़ी ने भारत को 8वां ओलंपिक गोल्ड दिलाया। 1980 में मॉस्को ओलंपिक में मोहम्मद शाहिद ने शानदार खेल दिखाया। इसके बाद से ही भारत कोई ओलंपिक पदक नहीं जीत पाया है।

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धनराज पिल्लै
भारतीय हॉकी टीम के स्टार खिलाड़ी धनराज पिल्लै को भला कौन भूल सकता है। 1989 में भारतीय टीम का हिस्सा बने धनराज पिल्लै ने मोहम्मद शाहिद की जगह भरने का काम किया था। पिल्लै को उनकी रफ्तार के लिए जाना जाता है। 90 के दशक में वे दुनिया के सबसे खतरनाक अटैकर माने जाते थे। धनराज की कप्तानी में भारत ने 1998 में 32 साल बाद एशियन गोल्ड मेडल जीता। पिल्लै ने 4 वर्ल्ड कप, 4 ओलंपिक और 4 बार चैंपियंस ट्रॉफी खेली।

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पीआर श्रीजेश
भारतीय गोलकीपर पीआर श्रीजेश भारत के लिए शानदार खिलाड़ी बनकर उभरे और इंटरनेशनल स्तर पर अपनी पहचान कायम की। 2011 में पाकिस्तान के खिलाफ दो गोल बचाने वाले श्रीजेश ने भारत को खिताब जिताने में बड़ी भूमिका निभाई। वे दीवार की तरह गोल पोस्ट पर खड़े होते थे और उनकी इसी काबिलियत की वजह से उन्हें दुनिया के सर्वेश्रेष्ठ गोलकीपर में शुमार किया जाता है।

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