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जब दूसरे खिलाड़ी कर रहे थे ओलंपिक की तैयारी, तब मां की सेवा में लगी थी लवलीना, टोक्यो से पहले हुआ था ऑपरेशन
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लवलीना बोरगोहेन का जन्म 2 अक्टूबर को असम के गोलाघाट में लोअर मीडिल क्लास परिवार में हुआ था। उनके पिता एक छोटे स्तर के व्यवसायी थे। जिस वजह से उन्हें अपनी बेटियों के सपनों को पूरा करने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ा। लेकिन उन्होंने कभी पैसों को अपनी बच्चियों की राह का रोड़ा नहीं बनने दिया।
लवलीना बोरगोहेन ने आठवीं क्लास में किकबॉक्सिंग के रूप में अपने खेलों की शुरुआत की, लेकिन जब एक बार उनके पिता अखबार के टुकड़े में लपेट कर मिठाई लाए तो लवलीना ने उसमें मोहम्मद अली की फोटो देखी। इसके बाद उन्हें उनके बारे में जानने की इच्छा पैदा हुई, तो पिता ने मोहम्मद अली की दास्तां बेटी को सुनाई और फिर लवलीना ने भी उन्ही की तरह एक बॉक्सर बनने का सपना देखा।
बता दें कि लवलीना एक स्पोर्ट्स फैमिली से ताल्लुख रखती हैं। उनकी दो बड़ी जुड़ना बड़ी बहनें भी हैं। लिचा और लिमा दोनों नेशनल लेवल तक किकबॉक्सिंग कर चुकी हैं। उन्हीं को देखकर लवलीना ने स्पोर्ट्स में आने का फैसला किया था।
जब वह 9वीं कक्षा में थी, तब उसे एक SAI कैंप में देखा गया और ट्रेनिंग के लिए चुना गया। इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और उन्हें सबसे बड़ा ब्रेक तब मिला जब उन्हें 2018 कॉमनवेल्थ गेम्स वेल्टरवेट बॉक्सिंग कैटेगरी में भाग लेने के लिए चुना गया।
खिलाड़ी की जिंदगी में उस समय मुश्किल वक्त आया, जब 2019 में वह चोटिल हो गई थी। तब उन्होंने कहा था, 'मैं तब तक आराम नहीं करूंगी जब तक मैं ओलंपिक गोल्ड नहीं जीत लेती। उनकी इसी ललक ने उन्हें आज भारत के लिए गोल्ड या सिल्वर का उम्मीदवार बना दिया है।'
वह असम से ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करने वाली पहली महिला हैं और शिव थापा के बाद देश का प्रतिनिधित्व करने वाली राज्य की दूसरी मुक्केबाज हैं। उन्होंने 2020 एशिया और ओशिनिया बॉक्सिंग ओलंपिक क्वालीफायर में कांस्य पदक के साथ टोक्यो ओलंपिक 2020 के लिए क्वालीफाई किया था।
शुक्रवार को हुए महिला मुक्केबाजी के वेल्टरवेट वर्ग के क्वार्टर फाइनल में लवलीना ने चीनी ताइपे की चेन निएन-चिन को हराया। तीसरे राउंड में भी स्पिलिट डिसिजन के साथ लवलीना ने 4-1 से मुकाबला जीत गईं। इसके साथ ही उन्होंने सेमीफाइनल में प्रवेश कर लिया है और अब उन्हें कम से कम कांस्य पदक मिलना तय हो गया है।
हालांकि, खबरों के मुताबिक ओलंपिक में आने से कुछ महीने पहले लवलीना की मां का किडनी ट्रांसप्लांट होना था और वे मां के साथ थीं। जब सभी खिलाड़ी टोक्यो 2020 के लिए कड़ी प्रैक्टिस कर रहे थे तब लवलीना अपनी मां की सेवा कर रही थीं। समय निकालकर वह अपने कमरे में ही ट्रेनिंग करती थीं, क्योंकि कोचिंग स्टाफ के कुछ लोग कोरोना संक्रमित थे।
बता दें कि विजेंद्र सिंह और मैरीकॉम के बाद लवलीना तीसरी मुक्केबाज है जिन्होंने ओलंपिक पदक जीता है। वह अभी कांस्य पदक जीत चुकी है, लेकिन वह अब गोल्ड या सिल्वर के लिए मौजूदा वर्ल्ड चैंपियन बुसेनाज़ी (Busenaz) के खिलाफ बुधवार 4 अगस्त को भिडेंगी। यह मुकाबला भारतीय समयानुसार सुबह 11.00 बजे खेला जाएगा।